Tuesday, November 5, 2019

वकीलों से क्यों इतने गुस्से में दिल्ली पुलिस, समझें झगड़े की पूरी कहानी

नई दिल्ली
तीस हजारी कोर्ट में वकील और पुलिसवालों के बीच पार्किंग को लेकर हुआ मामूली विवाद विकराल रूप ले चुका है। दिल्ली-यूपी में वकीलों द्वारा पुलिस को पीटने की कई घटनाओं के बाद अब दिल्ली में पुलिसवालों ने हड़ताल शुरू कर दी है। वहीं, वकील भी पहले से हड़ताल पर हैं। विडंबना यह है कि लोगों को न्याय दिलानेवाले और क्राइम के खिलाफ ऐक्शन लेनेवाले अब खुद न्याय और ऐक्शन की मांग कर रहे हैं। शनिवार से शुरू हुए इस विवाद को चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अबतक मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। आइए समझते हैं कि पार्किंग का छोटा सा विवाद कैसे इतना बड़ा हो गया।

2 नवंबर, पार्किंग को लेकर हुआ झगड़ा
तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिसवालों के बीच झगड़ा पार्किंग के विवाद पर शुरू हुआ। फिर यही मामूली पार्किंग विवाद वकील-पुलिस के बीच हिंसक भिड़ंत की वजह बन गया। दरअसल, मुजरिमों को सुनवाई के लिए लाने वाली पुलिस वैन की जगह एक वकील ने कार पार्क कर दी थी। पुलिसवाले ने इसका विरोध किया। दोनों के बीच हुई बहस के बाद अफवाह उड़ गई। अफवाह थी कि पुलिसवालों की गोली से एक वकील की मौत हो गई है। फिर क्या था वकील बिफर पड़े और पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया।


इसके बाद तीस हजारी कोर्ट परिसर में जमकर बवाल हुआ। इसमें 28 लोग जख्मी हुए थे, जिसमें वकील और पुलिसवाले दोनों शामिल थे। इस बीच पुलिस के कई वाहन भी फूंक दिए गए। आगजनी के दौरान 124 कैदी लॉकअप में फंस चुके थे। कई पुलिसकर्मी व जूडिशल स्टाफ भी फंस गए थे। फोर्स ने सभी को वहां से निकाला। शाम के समय कैदियों को कोर्ट से जेल भेजा जा सका। झड़प के बाद कोर्ट के सारे गेट बंद कर दिए गए थे। जो लोग अपनी तारीखों पर आए हुए थे, उन्हें भी जान बचाकर भागना पड़ा।

3 नवंबर: रविवार को कोर्ट, न्यायिक जांच के आदेश

तीस हजारी कोर्ट परिसर में वकील-पुलिसवालों में हुई हिंसक झड़प की न्यायिक जांच का दिल्ली हाई कोर्ट ने रविवार को आदेश दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया था। कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एस.पी. गर्ग से डेढ़ महीने में जांच रिपोर्ट मांगी है। कहा गया कि वे जांच में CBI, विजिलेंस, आईबी या जरूरत के हिसाब से किसी भी अफसर की मदद ले सकते हैं।

कोर्ट ने जांच पूरी होने तक पुलिस के दो सीनियर अफसरों के तबादले का आदेश भी दिया। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट आने तक किसी भी वकील पर दर्ज FIR पर कोई कार्रवाई न हो। कोर्ट में पुलिस ने बताया कि हिंसा के आरोपी दो पुलिस अफसरों को सस्पेंड किया गया है।

4 नवंबर: बाकी कोर्ट और यूपी तक फैल गया मामला
तीस हजारी कोर्ट हिंसा की जांच के बीच मामला फैल गया। साकेत और कड़कड़डूमा कोर्ट में पुलिसवालों को पीटा गया। इसके अलावा सोमवार को दिल्ली के सभी वकील हड़ताल पर रहे। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने इंडिया गेट तक मार्च भी निकाला। मारपीट का खतरा देखते हुए न्यायिक अधिकारियों को जेल में ही जाकर विचाराधीन कैदियों की रिमांड से जुड़ी कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए गए। इस बीच आईपीएस असोसिएशन ने दिल्ली पुलिस का सपॉर्ट किया। कहा गया कि हम अपमान और हमले के शिकार पुलिसकर्मियों के साथ हैं।


5 नवंबर: पुलिसवालों ने किया प्रदर्शन, सड़क जाम
तीस हजारी कोर्ट में झड़प के बाद हुई हिंसक घटनाओं के खिलाफ पुलिसवालों प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिसवाले आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित हुए। यहां उन्होंने सड़क को ब्लॉक कर दिया और हाथ पर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। इस वजह से सड़क पर जाम भी लग गया, जिसे बाद में बंद करना पड़ा। पुलिसवालों को मनाने के लिए पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी वहां पहुंचे। लेकिन उनके संबोधन को पुलिसवाले सुनने को जैसे तैयार ही नहीं थे। पटनायक के काम पर लौटने की अपील के बाद भी पुलिसवाले वहीं बैठे रहे।

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मंगलवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों को चेतावनी दी है कि यदि कोई भी वकील हिंसक घटनाओं या तोड़फोड़ में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। काउंसिल ने हिंसा में शामिल वकीलों के नाम मंगाए हैं और उन्हें आज ही हड़ताल वापस लेने के लिए बोला है। काउंसिल ने कहा है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह मामले से खुद को पूरी तरह अलग कर लेगी और किसी जांच का भी हिस्सा नहीं बनेगी। अमूल्य पटनायक ने भी पुलिसवालों से काम पर लौटने को कहा है।

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