नई दिल्ली
निर्भया के माता-पिता ने अदालत में याचिका दायर कर दोषियों के लिए फांसी की मांग से जुड़े अपने आवेदन को किसी और जज के पास ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि पिछली अदालत में जज न होने से उनका यह आवेदन लंबे समय से लंबित पड़ा है। निर्भया के माता-पिता ने एनबीटी से बातचीत में इसकी पुष्टि की।
'ऐसे जज के पास जाए केस जो कोर्ट में मौजूद तो हो'
उन्होंने कहा कि पहले अनु बालिगा नाम की जज इस पर सुनवाई कर रही थीं। फिर पवन कुमार नाम के जज के पास इसे ट्रांसफर कर दिया गया। उनकी कोर्ट पिछले दो महीनों से खाली पड़ी है। इसलिए उन्होंने अर्जी दायर कर डिस्ट्रिक्ट जज से अपने आवेदन को किसी ऐसे जज के पास ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है, जो कोर्ट में कम से कम मौजूद तो हो।
उन्होंने इसी साल फरवरी में यह आवेदन दिया था और गुहार लगाई कि मामले के सभी दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए। अपनी मांग के समर्थन में इन्होंने अदालत में यह दलील दी कि दोषियों की लगभग सभी अपीलों का निपटारा हो चुका है। उन्हें किसी भी कोर्ट ने फांसी की सजा से राहत नहीं दी है।
लगभग 7 साल बीत चुके हैं 'निर्भया गैंगरेप' को
साल 2012 में 16 दिसंबर की रात 23 साल की निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप की वारदात को बड़ी बेरहमी से अंजाम दिया गया था। दोषियों ने गैंगरेप के बाद चलती बस से उसे सड़क पर फेंक दिया था। हालांकि, निर्भया की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई। इस वारदात में शामिल 6 लोगों में से तीन फिलहाल तिहाड़ और एक मंडोली जेल में बंद है। बाकी दो में से एक ने ट्रायल के दौरान ही जेल में फांसी लगा ली थी। दूसरा, जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड से मिली सजा पूरी कर अब आजाद है। वह घटना के वक्त नाबालिग पाया गया था।
निर्भया के माता-पिता ने अदालत में याचिका दायर कर दोषियों के लिए फांसी की मांग से जुड़े अपने आवेदन को किसी और जज के पास ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि पिछली अदालत में जज न होने से उनका यह आवेदन लंबे समय से लंबित पड़ा है। निर्भया के माता-पिता ने एनबीटी से बातचीत में इसकी पुष्टि की।
'ऐसे जज के पास जाए केस जो कोर्ट में मौजूद तो हो'
उन्होंने कहा कि पहले अनु बालिगा नाम की जज इस पर सुनवाई कर रही थीं। फिर पवन कुमार नाम के जज के पास इसे ट्रांसफर कर दिया गया। उनकी कोर्ट पिछले दो महीनों से खाली पड़ी है। इसलिए उन्होंने अर्जी दायर कर डिस्ट्रिक्ट जज से अपने आवेदन को किसी ऐसे जज के पास ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है, जो कोर्ट में कम से कम मौजूद तो हो।
उन्होंने इसी साल फरवरी में यह आवेदन दिया था और गुहार लगाई कि मामले के सभी दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए। अपनी मांग के समर्थन में इन्होंने अदालत में यह दलील दी कि दोषियों की लगभग सभी अपीलों का निपटारा हो चुका है। उन्हें किसी भी कोर्ट ने फांसी की सजा से राहत नहीं दी है।
लगभग 7 साल बीत चुके हैं 'निर्भया गैंगरेप' को
साल 2012 में 16 दिसंबर की रात 23 साल की निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप की वारदात को बड़ी बेरहमी से अंजाम दिया गया था। दोषियों ने गैंगरेप के बाद चलती बस से उसे सड़क पर फेंक दिया था। हालांकि, निर्भया की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई। इस वारदात में शामिल 6 लोगों में से तीन फिलहाल तिहाड़ और एक मंडोली जेल में बंद है। बाकी दो में से एक ने ट्रायल के दौरान ही जेल में फांसी लगा ली थी। दूसरा, जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड से मिली सजा पूरी कर अब आजाद है। वह घटना के वक्त नाबालिग पाया गया था।
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