नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने एक परिवार को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देने वाले पुलिस अधिकारी को तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के कारण लोग पुलिस से दूर हो रहे हैं। विशेष जज किरन बंसल ने एएसआई सुबे सिंह (59) पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने दोषी को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी और कहा कि इस अपराध का समाज पर बड़ा असर पड़ा है। लोग यह मानने लगे हैं कि पुलिस शिकायतकर्ताओं, गवाहों और पीड़ितों के प्रति सही रवैया नहीं रखती।
कोर्ट ने कहा, 'पुलिस तक पहुंचने वाले अधिकांश लोगों का यह मानना है कि उनका व्यवहार अनुचित, असंवेदनशील, पक्षपातपूर्ण और देर करने वाला है। आम इंसान को बिना रिश्वत दिए और बिना किसी प्रभाव के केस दर्ज कराने में दिक्कत होती है। पुलिस को भ्रष्टाचार में लिप्त और पक्षपातपूर्ण माना जाता है।' कोर्ट ने कहा कि यह मामला भी एक उदाहरण है जिसमें एक परिवार ने मदद के लिए 100 नवंबर डायल किया, लेकिन मदद की जगह उन्हें मुसीबतें हाथ लगीं।'
शिकायतकर्ता के मुताबिक, 30 मई 2013 को विशाल और उनकी पत्नी के बीच झगड़ा हो गया, जिसके बाद पत्नी ने खुदकुशी की धमकी दी। विशाल ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और उसके बाद सूबे सिंह घटनास्थल पर आा और पूरे परिवार को थाने ले गया। परिवार के बीच मामला सुलट गया, लेकिन सूबे सिंह, विशाल और उसके पिता से 50 हजार रुपये मांगने लगा। ऐसा न करने पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज करने की धमकी देने लगा। पीड़ित परिवार ने 20 हजार रुपये 31 मई 2013 को सूबे सिंह को दिए। हालांकि, विशाल और उसके दोस्तों ने इस घटना का विडियो बना लिया और जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।
दिल्ली की एक अदालत ने एक परिवार को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देने वाले पुलिस अधिकारी को तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के कारण लोग पुलिस से दूर हो रहे हैं। विशेष जज किरन बंसल ने एएसआई सुबे सिंह (59) पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने दोषी को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी और कहा कि इस अपराध का समाज पर बड़ा असर पड़ा है। लोग यह मानने लगे हैं कि पुलिस शिकायतकर्ताओं, गवाहों और पीड़ितों के प्रति सही रवैया नहीं रखती।
कोर्ट ने कहा, 'पुलिस तक पहुंचने वाले अधिकांश लोगों का यह मानना है कि उनका व्यवहार अनुचित, असंवेदनशील, पक्षपातपूर्ण और देर करने वाला है। आम इंसान को बिना रिश्वत दिए और बिना किसी प्रभाव के केस दर्ज कराने में दिक्कत होती है। पुलिस को भ्रष्टाचार में लिप्त और पक्षपातपूर्ण माना जाता है।' कोर्ट ने कहा कि यह मामला भी एक उदाहरण है जिसमें एक परिवार ने मदद के लिए 100 नवंबर डायल किया, लेकिन मदद की जगह उन्हें मुसीबतें हाथ लगीं।'
शिकायतकर्ता के मुताबिक, 30 मई 2013 को विशाल और उनकी पत्नी के बीच झगड़ा हो गया, जिसके बाद पत्नी ने खुदकुशी की धमकी दी। विशाल ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और उसके बाद सूबे सिंह घटनास्थल पर आा और पूरे परिवार को थाने ले गया। परिवार के बीच मामला सुलट गया, लेकिन सूबे सिंह, विशाल और उसके पिता से 50 हजार रुपये मांगने लगा। ऐसा न करने पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज करने की धमकी देने लगा। पीड़ित परिवार ने 20 हजार रुपये 31 मई 2013 को सूबे सिंह को दिए। हालांकि, विशाल और उसके दोस्तों ने इस घटना का विडियो बना लिया और जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।
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