नई दिल्ली
संजय गांधी अस्पताल में बन रहा 362 बेड की क्षमता वाला ट्रॉमा सेंटर, एम्स ट्रॉमा सेंटर से भी बड़ा होगा। अभी पूरे देश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर एम्स में है। रविवार को संजय गांधी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर बनाने का शिलान्यास कार्यक्रम हुआ। आनेवाले वक्त में यह देश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर बन जाएगा। दिल्ली सरकार यहां पर 50 पर्सेंट बेड इमरजेंसी, ट्रॉमा केयर और आईसीयू के लिए बना रही है। इसके निर्माण से दिल्ली में एक्सिडेंट के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अक्सर उन्हें बेड की कमी से इलाज नहीं मिल पाता।
दिल्ली में सबसे पहला ट्रॉमा सेंटर दिल्ली सरकार ने 1998 में एलएनजेपी अस्पताल की मदद से सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर बनाया था। यहां बेड की कुल क्षमता सिर्फ 49 है। इसके बाद एम्स ने ट्रॉमा सेंटर खोलने की घोषणा की। साल 2006 में एम्स ने जयप्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर शुरू किया। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वहां बेड की कुल क्षमता 243 है। इनमें 232 जनरल और 11 प्राइवेट बेड हैं। सूत्रों के अनुसार, यहां अभी 5 ऑपरेशन थियेटर हैं और लगभग 26 से 30 आईसीयू बेड हैं। इसी तर्ज पर राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी 2008 में ट्रॉमा सेंटर शुरू किया।
छह फ्लोर की बिल्डिंग बनाई गई और यहां पर कुल 78 बेड से सेंटर शुरू किया गया। साथ में तीन ऑपरेशन थिएटर और 11 आईसीयू बेड थे। लेकिन, जिस तरह से दिल्ली में रोड एक्सिडेंट के मामले आते हैं, उसे देखते हुए यह सुविधा कम ही आंकी जा रही थी। इन तीनों ट्रॉमा सेंटर में एनसीआर के मरीजों का भी दबाव होता है। अब संजय गांधी अस्पताल में 362 बेड की क्षमता का सेंटर बनने से राहत मिलेगी। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस ट्रॉमा सेंटर के अंदर आईसीयू, इमरजेंसी बेड्स भी हैं और ट्रॉमा सेंटर भी। साथ में 6 ऑपरेशन थिएटर भी हैं। मंत्री ने कहा कि आमतौर पर अस्पताल में आदमी तब जाता है, जब इमरजेंसी होती है। उसको वहां इमरजेंसी बेड मिलना चाहिए, इसलिए हमारी सरकार ने फैसला किया कि हम 40 फीसदी बेड इमरजेंसी, ट्रॉमा, आईसीयू के लिहाज से बनाएंगे।
संजय गांधी अस्पताल में बन रहा 362 बेड की क्षमता वाला ट्रॉमा सेंटर, एम्स ट्रॉमा सेंटर से भी बड़ा होगा। अभी पूरे देश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर एम्स में है। रविवार को संजय गांधी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर बनाने का शिलान्यास कार्यक्रम हुआ। आनेवाले वक्त में यह देश का सबसे बड़ा ट्रॉमा सेंटर बन जाएगा। दिल्ली सरकार यहां पर 50 पर्सेंट बेड इमरजेंसी, ट्रॉमा केयर और आईसीयू के लिए बना रही है। इसके निर्माण से दिल्ली में एक्सिडेंट के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अक्सर उन्हें बेड की कमी से इलाज नहीं मिल पाता।
दिल्ली में सबसे पहला ट्रॉमा सेंटर दिल्ली सरकार ने 1998 में एलएनजेपी अस्पताल की मदद से सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर बनाया था। यहां बेड की कुल क्षमता सिर्फ 49 है। इसके बाद एम्स ने ट्रॉमा सेंटर खोलने की घोषणा की। साल 2006 में एम्स ने जयप्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर शुरू किया। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वहां बेड की कुल क्षमता 243 है। इनमें 232 जनरल और 11 प्राइवेट बेड हैं। सूत्रों के अनुसार, यहां अभी 5 ऑपरेशन थियेटर हैं और लगभग 26 से 30 आईसीयू बेड हैं। इसी तर्ज पर राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी 2008 में ट्रॉमा सेंटर शुरू किया।
छह फ्लोर की बिल्डिंग बनाई गई और यहां पर कुल 78 बेड से सेंटर शुरू किया गया। साथ में तीन ऑपरेशन थिएटर और 11 आईसीयू बेड थे। लेकिन, जिस तरह से दिल्ली में रोड एक्सिडेंट के मामले आते हैं, उसे देखते हुए यह सुविधा कम ही आंकी जा रही थी। इन तीनों ट्रॉमा सेंटर में एनसीआर के मरीजों का भी दबाव होता है। अब संजय गांधी अस्पताल में 362 बेड की क्षमता का सेंटर बनने से राहत मिलेगी। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस ट्रॉमा सेंटर के अंदर आईसीयू, इमरजेंसी बेड्स भी हैं और ट्रॉमा सेंटर भी। साथ में 6 ऑपरेशन थिएटर भी हैं। मंत्री ने कहा कि आमतौर पर अस्पताल में आदमी तब जाता है, जब इमरजेंसी होती है। उसको वहां इमरजेंसी बेड मिलना चाहिए, इसलिए हमारी सरकार ने फैसला किया कि हम 40 फीसदी बेड इमरजेंसी, ट्रॉमा, आईसीयू के लिहाज से बनाएंगे।
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