Monday, September 30, 2019

क्या जुगाड़ से खत्म हो जाएगा कूड़े का पहाड़?

नई दिल्ली
ईस्ट एमसीडी गाजीपुर में 140 लाख टन कूड़े के पहाड़ को देसी जुगाड़ से खत्म करेगी। पिछले एक महीने से लैंडफिल साइट पर देसी मशीन लगाने का काम काफी तेजी से चल रहा था। मशीन ने काम करना शुरू कर दिया है। मशीन की क्षमता प्रतिदिन 640 टन कूड़े को सेग्रीगेट करने की है। मशीन के काम करने से ईस्ट एमसीडी के अधिकारी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।ा

ईस्ट एमसीडी के एक सीनियर इंजिनियर ने बताया कि गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। कई साल पहले जब लैंडफिल साइट पर विस्फोट हुआ था उसके बाद से उनके ऊपर इसे खत्म करने का प्रेशर काफी बढ़ा है। कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए ईस्ट एमसीडी ने टेंडर भी मंगाए थे। टेंडर प्रक्रिया में नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सहित देश की कई बड़ी कंपनियों ने भाग लिया था।

अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों ने कूड़े के इस पहाड़ को खत्म करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा दिया था। इतनी मोटी रकम देना ईस्ट एमसीडी के बस की बात नहीं थी। इस कारण यह काम आगे नहीं बढ़ पाया। हर महीने देश विदेश की कई कंपनियों के प्रतिनिधि लैंडफिल साइट को देखने आते रहते हैं, लेकिन अभी तक कोई कंपनी आगे नहीं आई।

इसके बाद ईस्ट एमसीडी के इंजीनियरों की टीम ने किसी दूसरी कंपनी के भरोसे बैठे रहने की बजाय खुद इस प्रॉजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया। इंजिनियरों ने अपनी समझ से लैंडफिल साइट के कूड़े को देखते हुए देसी मशीन तैयार की। इस मशीन को बैलिस्टिक सेप्रेटर वेस्ट सेग्रीगेशन का नाम दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि देसी भाषा में इसे छलनी भी कहा जा सकता है, क्योंकि इस मशीन के माध्यम से कूड़े को छानकर अलग किया जाएगा। सालों से वे इस फील्ड में काम कर रहे है इसलिए उन्हें पता है कि लैंडफिल साइट के पहाड़ में किस तरह का कूड़ा है। उन्होंने बताया कि इसमें कूड़े को इस तरह से छाना जाएगा जिससे सबसे पहले उससे भारी पत्थर और छोटे टुकड़े आदि अलग हो जाएंगे। इसके बाद उससे प्लास्टिक आदि को अलग किया जाएगा। बाकी बचे हुए मलबे को छानकर मिट्टी अलग की जाएगी। इस तरह से कूड़ा कई हिस्सों में बंट जाएगा। पत्थर आदि को प्लांट पर रिसाइकल करने के लिए ले जाया जाएगा।

मिट्टी को कहां पर ठिकाने लगाया जाएगा इस बारे में प्लान बनाया जा रहा है। अधिकारी ने यह भी बताया कि अभी मशीन को ट्रायल के तौर पर चलाया जा रहा है। इसकी सफलता के बाद इसी तरह से कुछ और मशीने तैयार करनी होगी, लेकिन फिलहाल दिक्कत यह है कि रिसाइकल होने वाले मलबे के अलावा बाकी कूड़े को कहां और किस तरह से ठिकाने लगाया जाएगा। सांसद गौतम गंभीर ईस्ट एमसीडी के नेताओं के साथ मंगलवार को मशीन देखने गाजीपुर जा सकते हैं।

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