सोमरीत भट्टाचार्य,नई दिल्ली
पिछले साल जून में सब-इंस्पेक्टर कृष्ण काडयान को तब सफदरजंग अस्पताल लाया गया था जब छतरपुर में राजेश भाटी गैंग के साथ शूटआउट के दौरान उन्हें कंधे और बांह में गोली लगी थी। हालांकि, यह उन्हें पिछले सप्ताह गैंगवॉर में शामिल शूटरों को पकड़ने के अभियान में जाने से नहीं रोक पाया। यह गैंगवॉर द्वारका में मेट्रो स्टेशन के नजदीक भीड़-भाड़ वाली जगह पर हुआ था।
शुक्रवार सुबह काडयान और उनकी टीम ने एक शूटर अंकित डबास को कंझावाला रोड पर पकड़ा था। शूटआउट के दौरान डबास की गोली काडयान के बाएं पैर की हड्डी में लगी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनकी टीम ने डबास को पकड़ लिया। शनिवार को काडयान को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनके शिन बोन में प्लेट लगाई गई। दर्द के बावजूद काडयान ने शनिवार को कहा कि ऐसी चोट उनके काम का हिस्सा है। काडयान ने कहा, 'मैं ऐसे ऑपरेशन में अपनी ट्रेनिंग और विवेक पर भरोसा करता हूं। परिस्थिति से भागने का कोई सवाल पैदा नहीं होता।'
काडयान ने 1989 में पुलिस फोर्स जॉइन की थी, उन्हें 2010 में स्पेशल सेल में शामिल किया गया था। वह दिल्ली के ऑर्गनाइज्ड क्राइम गैंग्स की धड़पकड़ की कोशिश के कारण जाने जाते हैं। डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस (स्पेशल सेल) संजीव यादव उनकी बहादुरी के लिए संभवतः उन्हें रिवॉर्ड दिलाने के लिए अनुशंसा करेंगे।
2014 में उन्होंने जब दक्षिण-पश्चिम दिल्ली से गैंगस्टर राजेश बोहरा को पकड़ा था तब वह असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर थे। उन्होंने हरियाणा और आसपास के इलाके में संचालित गैंग को पकड़ने के लिए अपनी टीम को तैयार करना शुरू कर दिया था। 2017 में उन्होंने विकास दलाल को पकड़ा था जिसे पिछले सप्ताह द्वारका में शूटआउट में गोली लगी थी। नजफगढ़ के नजदीक गैंगस्टर प्रदीप सोलंकी को गिरफ्तार करने पर उसी साल काडयान को आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन मिला था और उन्हें सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया था। उनके एक सहयोगी ने बताया, 'हम पश्चिमी दिल्ली और हरियाणा के कई अड्डों में उसकी पांच महीने से ट्रैक कर रहे थे लेकिन वह हार बार आखिरी वक्त पर भागने में कामयाब हो जाता था।'
काडयान की बेटी कोमल सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर है और वह चाहती हैंं कि उनके पिता डेस्क जॉब में शिफ्ट हो जाएं। काडयान को जब अस्पताल लाया गया तो कोमल ड्यूटी पर तैनात थीं। काडयान की पत्नी एक स्कूल में गेस्ट टीचर हैं। पहले वह अपने पति को प्रोत्साहित करती थीं, लेकिन अब उन्हें भी डर सताता है।
पिछले साल जून में सब-इंस्पेक्टर कृष्ण काडयान को तब सफदरजंग अस्पताल लाया गया था जब छतरपुर में राजेश भाटी गैंग के साथ शूटआउट के दौरान उन्हें कंधे और बांह में गोली लगी थी। हालांकि, यह उन्हें पिछले सप्ताह गैंगवॉर में शामिल शूटरों को पकड़ने के अभियान में जाने से नहीं रोक पाया। यह गैंगवॉर द्वारका में मेट्रो स्टेशन के नजदीक भीड़-भाड़ वाली जगह पर हुआ था।
शुक्रवार सुबह काडयान और उनकी टीम ने एक शूटर अंकित डबास को कंझावाला रोड पर पकड़ा था। शूटआउट के दौरान डबास की गोली काडयान के बाएं पैर की हड्डी में लगी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनकी टीम ने डबास को पकड़ लिया। शनिवार को काडयान को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनके शिन बोन में प्लेट लगाई गई। दर्द के बावजूद काडयान ने शनिवार को कहा कि ऐसी चोट उनके काम का हिस्सा है। काडयान ने कहा, 'मैं ऐसे ऑपरेशन में अपनी ट्रेनिंग और विवेक पर भरोसा करता हूं। परिस्थिति से भागने का कोई सवाल पैदा नहीं होता।'
काडयान ने 1989 में पुलिस फोर्स जॉइन की थी, उन्हें 2010 में स्पेशल सेल में शामिल किया गया था। वह दिल्ली के ऑर्गनाइज्ड क्राइम गैंग्स की धड़पकड़ की कोशिश के कारण जाने जाते हैं। डेप्युटी कमिश्नर ऑफ पुलिस (स्पेशल सेल) संजीव यादव उनकी बहादुरी के लिए संभवतः उन्हें रिवॉर्ड दिलाने के लिए अनुशंसा करेंगे।
2014 में उन्होंने जब दक्षिण-पश्चिम दिल्ली से गैंगस्टर राजेश बोहरा को पकड़ा था तब वह असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर थे। उन्होंने हरियाणा और आसपास के इलाके में संचालित गैंग को पकड़ने के लिए अपनी टीम को तैयार करना शुरू कर दिया था। 2017 में उन्होंने विकास दलाल को पकड़ा था जिसे पिछले सप्ताह द्वारका में शूटआउट में गोली लगी थी। नजफगढ़ के नजदीक गैंगस्टर प्रदीप सोलंकी को गिरफ्तार करने पर उसी साल काडयान को आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन मिला था और उन्हें सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया था। उनके एक सहयोगी ने बताया, 'हम पश्चिमी दिल्ली और हरियाणा के कई अड्डों में उसकी पांच महीने से ट्रैक कर रहे थे लेकिन वह हार बार आखिरी वक्त पर भागने में कामयाब हो जाता था।'
काडयान की बेटी कोमल सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर है और वह चाहती हैंं कि उनके पिता डेस्क जॉब में शिफ्ट हो जाएं। काडयान को जब अस्पताल लाया गया तो कोमल ड्यूटी पर तैनात थीं। काडयान की पत्नी एक स्कूल में गेस्ट टीचर हैं। पहले वह अपने पति को प्रोत्साहित करती थीं, लेकिन अब उन्हें भी डर सताता है।
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