नई दिल्ली
राजधानी में इस बात की संभावना लग रही थी कि बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव जैसे जलवे न दिखा पाए और सातों सीटों में एकाध सीट पर उसे हार का सामना करना पड़े लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इसके बजाय राजधानी में बीजेपी के सातों प्रत्याशी जबर्दस्त मार्जिन से तो जीते ही, साथ ही उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ गया। माना जा रहा है कि इसके पीछे पीएम नरेंद्र मोदी फैक्टर तो काम कर ही रहा था, साथ में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पन्ना प्रमुखों व पंचपरमेश्वरों ने भी खासी भूमिका अदा की। इनके बल पर पार्टी घरों तक में घुस गई, वोटरों का आकलन कर लिया और उन्हें अंतिम क्षणों में साध लिया।
लोकसभा चुनाव को लेकर टिकटों के बंटवारे में बीजेपी में शुरू में खासी उथल-पुथल रही। पार्टी पहले इस बात का इंतजार करती रही कि सीट बंटवारे को लेकर आप और कांग्रेस में गठबंधन होगा या नहीं। फिर ऐसा लगा कि पार्टी सभी निवर्तमान सांसदों को दोबारा टिकट देने जा रही है। आखिर में दो सांसदों का टिकट काटकर उनकी जगह स्टार्स को उतार दिया गया। यह बात जगजाहिर है कि इस निर्णय से पार्टी के दिल्ली के नेता खासे नाराज हुए जो टिकटों की आस में लगे थे। इनमें से कई नेताओं ने चुनाव में काम करना बंद कर दिया और अपने समर्थकों को भी घर बैठ जाने को कहा। इसके बावजूद पार्टी प्रत्याशियों ने जबर्दस्त जीत हासिल की और दिल्ली में पार्टी का वोट प्रतिशत तो बढ़ाया ही साथ ही जीत का मार्जिन भी खासा बढ़ा दिया।
पन्ना (गट) प्रमुखों ने कैसे किया काम
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटें जीती थी और उसका वोट प्रतिशत करीब 46 प्रतिशत था। पार्टी ने इस बार भी सातों सीटें जीती हैं, लेकिन इस बार उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 56 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि पूरे देश की तरह मोदी फैक्टर दिल्ली में भी चला, लेकिन पार्टी अध्यक्ष द्वारा निर्धारित किए गए पन्ना प्रमुखों (अब इनका नया नाम गट प्रमुख है) ने खासा रोल अदा किया। इसके लिए पार्टी नेताओं के बजाय कार्यकर्ताओं और आरएसएस से जुड़े गणकों की सहायता ली गई। पन्ना प्रमुख के तहत वोटर लिस्ट के एक पन्ने पर एक प्रमुख और सहप्रमुख बनाए गए। इनका नाम वोटर लिस्ट के पन्ने में ही था, इसलिए इन्हें इस बात की जानकारी लगातार मिलती रही कि लिस्ट का कौन सा बंदा बीजेपी से जुड़ा है या अन्य पार्टियों का समर्थक है। ये सभी एक ही इलाके के थे। इनकी जानकारी आगे पंचपरमेश्वरों व अन्य स्तरों पर दी गई।
पंचपरमेश्वरों ने आकलन कर वोटरों को साधा
राजधानी में दो साल पहले अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों को पंचपरमेश्वरों के बारे में बताया था और कहा था कि ये पंचपरमेश्वर किस तरह वोटरों को बीजेपी की तरफ मोड़ सकते हैं। इसके तहत बूथ स्तर पर पंचपरमेश्वर का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष के अलावा वहां के एक युवा, एक पालक (वरिष्ठ कार्यकर्ता), एक महिला आदि को शामिल किया गया। इन सभी को पन्ना प्रमुख से जानकारी मिलती रही कि इलाके में कौन अपना है और कौन पराया। असल में इनका एक टारगेट भी था कि इस बार बीजेपी को 50 प्रतिशत से अधिक वोट दिलाने हैं, क्योंकि इस बात की संभावना है कि दिल्ली में आप व कांग्रेस में गठबंधन हो सकता है। पन्ना प्रमुख व पंचपरमेश्वर को बता दिया गया था कि अगर ऐसा हो गया तो दिल्ली मे गठबंधन भी फेल हो जाएगा। ऐसा हुआ, इनकी टीम ने घर में घुसकर वोटरों से संपर्क किया, उन्हें साधा और इस तरह अपनी भूमिका को कामयाब बना दिया।
राजधानी में इस बात की संभावना लग रही थी कि बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव जैसे जलवे न दिखा पाए और सातों सीटों में एकाध सीट पर उसे हार का सामना करना पड़े लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इसके बजाय राजधानी में बीजेपी के सातों प्रत्याशी जबर्दस्त मार्जिन से तो जीते ही, साथ ही उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ गया। माना जा रहा है कि इसके पीछे पीएम नरेंद्र मोदी फैक्टर तो काम कर ही रहा था, साथ में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पन्ना प्रमुखों व पंचपरमेश्वरों ने भी खासी भूमिका अदा की। इनके बल पर पार्टी घरों तक में घुस गई, वोटरों का आकलन कर लिया और उन्हें अंतिम क्षणों में साध लिया।
लोकसभा चुनाव को लेकर टिकटों के बंटवारे में बीजेपी में शुरू में खासी उथल-पुथल रही। पार्टी पहले इस बात का इंतजार करती रही कि सीट बंटवारे को लेकर आप और कांग्रेस में गठबंधन होगा या नहीं। फिर ऐसा लगा कि पार्टी सभी निवर्तमान सांसदों को दोबारा टिकट देने जा रही है। आखिर में दो सांसदों का टिकट काटकर उनकी जगह स्टार्स को उतार दिया गया। यह बात जगजाहिर है कि इस निर्णय से पार्टी के दिल्ली के नेता खासे नाराज हुए जो टिकटों की आस में लगे थे। इनमें से कई नेताओं ने चुनाव में काम करना बंद कर दिया और अपने समर्थकों को भी घर बैठ जाने को कहा। इसके बावजूद पार्टी प्रत्याशियों ने जबर्दस्त जीत हासिल की और दिल्ली में पार्टी का वोट प्रतिशत तो बढ़ाया ही साथ ही जीत का मार्जिन भी खासा बढ़ा दिया।
पन्ना (गट) प्रमुखों ने कैसे किया काम
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटें जीती थी और उसका वोट प्रतिशत करीब 46 प्रतिशत था। पार्टी ने इस बार भी सातों सीटें जीती हैं, लेकिन इस बार उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 56 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि पूरे देश की तरह मोदी फैक्टर दिल्ली में भी चला, लेकिन पार्टी अध्यक्ष द्वारा निर्धारित किए गए पन्ना प्रमुखों (अब इनका नया नाम गट प्रमुख है) ने खासा रोल अदा किया। इसके लिए पार्टी नेताओं के बजाय कार्यकर्ताओं और आरएसएस से जुड़े गणकों की सहायता ली गई। पन्ना प्रमुख के तहत वोटर लिस्ट के एक पन्ने पर एक प्रमुख और सहप्रमुख बनाए गए। इनका नाम वोटर लिस्ट के पन्ने में ही था, इसलिए इन्हें इस बात की जानकारी लगातार मिलती रही कि लिस्ट का कौन सा बंदा बीजेपी से जुड़ा है या अन्य पार्टियों का समर्थक है। ये सभी एक ही इलाके के थे। इनकी जानकारी आगे पंचपरमेश्वरों व अन्य स्तरों पर दी गई।
पंचपरमेश्वरों ने आकलन कर वोटरों को साधा
राजधानी में दो साल पहले अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों को पंचपरमेश्वरों के बारे में बताया था और कहा था कि ये पंचपरमेश्वर किस तरह वोटरों को बीजेपी की तरफ मोड़ सकते हैं। इसके तहत बूथ स्तर पर पंचपरमेश्वर का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष के अलावा वहां के एक युवा, एक पालक (वरिष्ठ कार्यकर्ता), एक महिला आदि को शामिल किया गया। इन सभी को पन्ना प्रमुख से जानकारी मिलती रही कि इलाके में कौन अपना है और कौन पराया। असल में इनका एक टारगेट भी था कि इस बार बीजेपी को 50 प्रतिशत से अधिक वोट दिलाने हैं, क्योंकि इस बात की संभावना है कि दिल्ली में आप व कांग्रेस में गठबंधन हो सकता है। पन्ना प्रमुख व पंचपरमेश्वर को बता दिया गया था कि अगर ऐसा हो गया तो दिल्ली मे गठबंधन भी फेल हो जाएगा। ऐसा हुआ, इनकी टीम ने घर में घुसकर वोटरों से संपर्क किया, उन्हें साधा और इस तरह अपनी भूमिका को कामयाब बना दिया।
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