नई दिल्ली
देश की सबसे पहली हाईस्पीड और आधुनिक रेलगाड़ी 'ट्रेन 18' को दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि कुंभ से पहले ही इस ट्रेन का ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा। केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश की सबसे तेज दौड़ने वाली मौजूदा ट्रेन से भी यह ट्रेन तेज चलेगी और एक तरह से लगभग 45 फीसदी वक्त की बचत होगी।
रेलमंत्री ने कहा कि दिल्ली और वाराणसी के बीच आमतौर पर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन भी 11 घंटे 30 मिनट का वक्त लगाती है लेकिन 'ट्रेन 18' से जब पैसेंजर सफर करेंगे तो यह ट्रेन लगभग आठ घंटे में पहुंचा देगी। हालांकि उन्होंने ट्रेन का ऑपरेशन शुरू होने के बारे में किसी तारीख की जानकारी नहीं दी लेकिन यह जरूर कहा कि कमिश्नर रेलवे सेफ्टी और रेलवे बोर्ड के बीच विचार विमर्श चल रहा है। जैसे ही यह पूरा होगा, उसके बाद प्रधानमंत्री से वक्त लिया जाएगा ताकि वे इस ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिखा सकें। हालांकि रेलवे बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सरकार का इरादा है कि कुंभ शुरू होने से पहले ही इस ट्रेन को चला दिया जाए ताकि कुंभ जाने वाले श्रद्धालु इस ट्रेन का फायदा उठा सकें। यह ट्रेन इलाहाबाद होते हुए ही वाराणसी तक जाएगी।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि इस ट्रेन को चलाने के लिए सभी इंतजाम शुरू किए जा रहे हैं। इसके तहत ही ट्रेन में सफर करने वाले पैसेंजरों केा भोजन और स्नैक्स की व्यवस्था के लिए भी तैयारी शुरू कर दी गई है लेकिन इसमें दिक्कत यह आ सकती है कि इस ट्रेन में उस तरह की व्यवस्था नहीं है कि खाने की ट्रे को रखा जा सके। इसके लिए अब इंतजाम किया जा रहा है।
पंचुएलिटी में सुधार
रेलमंत्री ने दावा किया कि ट्रेनों को वक्त पर चलाने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। इस साल अप्रैल में जहां ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से एक लाख 20 हजार मिनट वक्त का नुकसान हो रहा था, वह अक्टूबर में कम होकर 58 हजार मिनट का रह गया है। इसके अलावा कुल मिलाकर अब पंचुएलिटी का प्रतिशत 70 फीसदी तक आ चुका है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेटिंग रेश्यो पर कुछ दबाव जरूर है लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की वजह से लगभग 23 हजार करोड़ रुपये का रेलवे पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। दूसरी ओर रेलवे जनहित में और जनता से जुड़ी सुविधाओं को विकसित करने पर खर्चा कर रहा है। इसकी वजह से ही आपरेटिंग रेश्यो बढ़ रहा है।
रेलवे स्टेशन भी एयरपोर्ट की तरह : रेलवे सुरक्षा बल के प्रमुख ने बताया कि इलाहाबाद और हुबली स्टेशनों पर फेंसिंग की गई है और वे भी एक तरह से चारों ओर से सील हो चुके हैं और इन स्टेशनों पर एंट्री और एग्जिट सिर्फ गेट से ही हो सकता है। इसी तरह की व्यवस्था 202 और स्टेशनों पर की जा रही है। रेलवे पहले ही 3000 किमी की दीवारें बनाने की मंजूरी दे चुका है। रेलवे ट्रेक पर दीवारें बनने से रेलवे स्टेशनों को इसी तरह से सुरक्षित किया जा सकेगा। इसके अलावा स्टेशनों पर कैमरे लगाने का कार्य भी चल रहा है।
देश की सबसे पहली हाईस्पीड और आधुनिक रेलगाड़ी 'ट्रेन 18' को दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि कुंभ से पहले ही इस ट्रेन का ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा। केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश की सबसे तेज दौड़ने वाली मौजूदा ट्रेन से भी यह ट्रेन तेज चलेगी और एक तरह से लगभग 45 फीसदी वक्त की बचत होगी।
रेलमंत्री ने कहा कि दिल्ली और वाराणसी के बीच आमतौर पर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन भी 11 घंटे 30 मिनट का वक्त लगाती है लेकिन 'ट्रेन 18' से जब पैसेंजर सफर करेंगे तो यह ट्रेन लगभग आठ घंटे में पहुंचा देगी। हालांकि उन्होंने ट्रेन का ऑपरेशन शुरू होने के बारे में किसी तारीख की जानकारी नहीं दी लेकिन यह जरूर कहा कि कमिश्नर रेलवे सेफ्टी और रेलवे बोर्ड के बीच विचार विमर्श चल रहा है। जैसे ही यह पूरा होगा, उसके बाद प्रधानमंत्री से वक्त लिया जाएगा ताकि वे इस ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिखा सकें। हालांकि रेलवे बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि सरकार का इरादा है कि कुंभ शुरू होने से पहले ही इस ट्रेन को चला दिया जाए ताकि कुंभ जाने वाले श्रद्धालु इस ट्रेन का फायदा उठा सकें। यह ट्रेन इलाहाबाद होते हुए ही वाराणसी तक जाएगी।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि इस ट्रेन को चलाने के लिए सभी इंतजाम शुरू किए जा रहे हैं। इसके तहत ही ट्रेन में सफर करने वाले पैसेंजरों केा भोजन और स्नैक्स की व्यवस्था के लिए भी तैयारी शुरू कर दी गई है लेकिन इसमें दिक्कत यह आ सकती है कि इस ट्रेन में उस तरह की व्यवस्था नहीं है कि खाने की ट्रे को रखा जा सके। इसके लिए अब इंतजाम किया जा रहा है।
पंचुएलिटी में सुधार
रेलमंत्री ने दावा किया कि ट्रेनों को वक्त पर चलाने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। इस साल अप्रैल में जहां ट्रेनों की लेटलतीफी की वजह से एक लाख 20 हजार मिनट वक्त का नुकसान हो रहा था, वह अक्टूबर में कम होकर 58 हजार मिनट का रह गया है। इसके अलावा कुल मिलाकर अब पंचुएलिटी का प्रतिशत 70 फीसदी तक आ चुका है।
उन्होंने कहा कि ऑपरेटिंग रेश्यो पर कुछ दबाव जरूर है लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की वजह से लगभग 23 हजार करोड़ रुपये का रेलवे पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। दूसरी ओर रेलवे जनहित में और जनता से जुड़ी सुविधाओं को विकसित करने पर खर्चा कर रहा है। इसकी वजह से ही आपरेटिंग रेश्यो बढ़ रहा है।
रेलवे स्टेशन भी एयरपोर्ट की तरह : रेलवे सुरक्षा बल के प्रमुख ने बताया कि इलाहाबाद और हुबली स्टेशनों पर फेंसिंग की गई है और वे भी एक तरह से चारों ओर से सील हो चुके हैं और इन स्टेशनों पर एंट्री और एग्जिट सिर्फ गेट से ही हो सकता है। इसी तरह की व्यवस्था 202 और स्टेशनों पर की जा रही है। रेलवे पहले ही 3000 किमी की दीवारें बनाने की मंजूरी दे चुका है। रेलवे ट्रेक पर दीवारें बनने से रेलवे स्टेशनों को इसी तरह से सुरक्षित किया जा सकेगा। इसके अलावा स्टेशनों पर कैमरे लगाने का कार्य भी चल रहा है।
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