Thursday, January 3, 2019

DSGPC की किसको मिल सकती है कमान?

सिमरनजीत सिंह, नई दिल्ली
आगामी 19 जनवरी को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (डीएसजीपीसी) का नया प्रेजिडेंट चुना जाना है। इसकी तैयारियां कमिटी के बड़े पदाधिकारियों ने शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बार यह देखना रोचक होगा कि किसे नया प्रेसिडेंट बनाया जाता है। यह पावर पार्टी आलाकमान सुखबीर सिंह बादल के हाथ में है। यही कारण है कि पदाधिकारियों का उनसे मेल-मिलाप पिछले कुछ दिनों से बढ़ गया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सुखबीर सिंह बादल किसी नए चेहरे को प्रेसिडेंट बनाना चाह रहे हैं, ताकि कमिटी के ऊपर एक बार फिर संगतों का विश्वास कायम किया जा सके, लेकिन कमिटी के ही कुछ सदस्य यह सवाल भी खड़ा कर रहे हैं कि नए चेहरे को कमिटी के कार्य को समझने में काफी समय लगाएगा और तब तक कमिटी न जाने किस स्थिति में होगी। इस बारे में कार्यकारी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका का कहना है कि 19 जनवरी को सुखबीर सिंह बादल की तरफ जिसे नया प्रेसिडेंट नियुक्त किया जाएगा, वही जिम्मेदारी संभालेगा।

हरमीत सिंह कालका का कहना है कि कोई नया सदस्य पूरी कमिटी को नहीं चला सकता इसलिए पुराने और सूझबूझ वाले सदस्यों का होना बेहद जरूरी है। पूरा फैसला सुखबीर सिंह बादल पर निर्भर है। बता दें कि बीते 6 दिसंबर को कमिटी के प्रेसिडेंट मनजीत सिंह जीके सहित पांच सदस्यीय कार्यकारिणी कमिटी ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से नए प्रेसिडेंट की खोज शुरू हो गई थी। अब 19 दिसंबर को नया प्रेसिडेंट संगत के सामने होगा। कमिटी सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रेसिडेंट सीट के लिए कार्यकारी अध्यक्ष हरमीत सिंह काला और महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा मजबूत दावेदार हैं।

जानकारों की मानें तो कमिटी के बड़े पदाधिकारी अपने-अपने सदस्यों को कार्यकारिणी कमिटी में फिट करवाने की भी होड़ में लगे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि कमिटी में आपस में ही प्रतियोगिता चल रही है कि कौन प्रेसिडेंट बनेगा और किसके ज्यादा से ज्यादा सदस्य कमिटी में फिट होंगे। इसके लिए लगातार सुखबीर सिंह बादल से संपर्क भी किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सुखबीर सिंह बादल एक ऐसा प्रेसिडेंट चाह रहे हैं, जो कमिटी को बखूबी चला सके, भ्रष्टाचार के आरोपों से बचा सकें और कुछ सालों बाद दोबारा होने वाले चुनावों में कमिटी को विजय दिलवा सके लेकिन उनकी यह खोज कहां जाकर पूरी होगी, यह कहना फिलहाल मुश्किल है।

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