Wednesday, January 2, 2019

पुलिस नई तकनीक से रोकेगी अपराध अब

नई दिल्ली
नए साल में दिल्ली सरकार ने फरेंसिक विभाग को और आधुनिक रूप देने की कोशिश की है। फरेंसिक साइंस लैबरेटरी में अब अपराध की जांच के लिए ज्यादा आधुनिक और नए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाएगा। लैब ने नई वेब तकनीक इंटिग्रेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) का प्रयोग शुरू किया है। इस तकनीक के जरिए सूचना साझा करने के लिए क्राइम, पुलिस और फरेंसिक विभाग के लिए एक साझा मंच तैयार किया गया है।

एफएसएल की डायरेक्टर दीपा वर्मा ने कहा, 'आईसीजेएस के जरिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है, जहां से अपराध के खिलाफ सूचना साझा करने में सभी विभागों को मदद मिलेगी। इस वेब सिस्टम के जरिए कोर्ट, पुलिस, जेल और फरेंसिक लैबोरेटरी सभी आसानी से सूचना ले सकेंगे और महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकेंगे। इससे अपराध सुलझाने में मदद मिलेगी क्योंकि कागजात की अदला-बदली और संपर्क स्थापित करने में ही काफी वक्त खर्च हो जाता है।'

क्राइम सीन मैनेजमेंट डिविजन के इंचार्ज संजीव गुप्ता का कहना है, 'इंटिग्रेशन के बाद दिल्ली पुलिस के लिए जांच के लिए भेजे गए केस की निगरानी करना पहले से काफी आसान है। इस ऑटोमेटेड सिस्टम के जरिए मैनुअल तौर पर सूचना आदान-प्रदान में लगने वाला वक्त और जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरने होगा, इससे समय की काफी बचत होगी। सभी विभागों के बीच बेहतर तालमेल के लिए भी यह प्रभावी कदम है।'

एफएसएल ने लैबरेटरी फिंगरप्रिंट जांच के लिए नई लैब विकसित की है। इस लैब में पहली बार भारत में किसी भी फरेंसिक लैब में पहली बार ड्यूअलकैमरा फरेंसिक कॉम्पैरटर का प्रयोग किया जा रहा है। इस लैब में अपेक्षाकृत नई तकनीक लेयर्ड वॉयल अनालिसिस तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए संदिग्ध अपराधियों की आवाज का नमूना लिया जाएगा।

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