नई दिल्ली
‘पीठ दर्द की परेशानी झेल रहे’ दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का इस्तीफा आखिर मंजूर हो गया है। लोकसभा चुनाव की गहन तैयारी में जुटे माकन के इस्तीफे की मंजूरी पर राजनीतिक गलियारों में हैरानी जताई जा रही है। अब सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली कांग्रेस का ताज कौन संभालेगा? पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस मसले पर ‘मुस्करा’ चुकी हैं तो पार्टी के कुछ और वरिष्ठ नेता पार्टी आलाकमान के 'आदेश का इंतजार' कर रहे हैं।
सितंबर में माकन ने दिया था इस्तीफा
अजय माकन ने 18 सितंबर को इस्तीफा दिया था। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने पीठ दर्द का हवाला देते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा मंजूर करने का आग्रह किया था। उस वक्त पार्टी के वरिष्ठ नेता व दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने घोषणा की थी कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि कल शाम राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हुई। बैठक में चाको भी थे। बातचीत के बाद माकन का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया।
नए राजनीतिक समीकरणों की आहट
माकन ने जब इस्तीफा दिया था, तब कहा जा रहा था कि वह लोकसभा चुनाव में पार्टी द्वारा आप से किए जा रहे गठबंधन की संभावनाओं से नाराज हैं, लेकिन तब बात आई-गई हो गई थी। अब राजनीतिक गलियारों में उनके इस्तीफे को इस मसले से भी जोड़ा जा रहा है। जानकार कह रहे हैं कि इस इस्तीफे की मंजूरी से दिल्ली में नए राजनीतिक समीकरणों की सुगबुगाहट भी मिल रही है। मार्च 2015 में अध्यक्ष का पद संभालने वाले माकन ने आज ट्विटर पर सभी का दिल से आभार जताया है।
पढ़ें: प्रदेश अध्यक्ष के पद से अजय माकन ने दिया इस्तीफा
अब किस किस को आलाकमान के 'आदेश का इंतजार'
सवाल अब यह है कि माकन के इस्तीफा देने के बाद कौन बनेगा दिल्ली का नया अध्यक्ष। इसे बड़ा काम माना जा रहा है कि क्योंकि कुछ ही महीने बाद लोकसभा का चुनाव है। माना जा रहा है कि इस मसले पर हाईकमान खासी गंभीरता दिखाएगा। सूत्र बताते हैं कि नए अध्यक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम पर सहमति बन सकती है। इसके अलावा योगानंद शास्त्री, दलित नेता राजकुमार चौहान के अलावा हारुन युसूफ व पार्टी के युवा नेता देवेंद्र यादव संभावितों में शामिल हैं। इस लिस्ट में वरिष्ठ नेता डॉ़ एके वालिया व अरविंदर सिंह लवली का नाम भी कुछ हद तक आ रहा है, लेकिन उनको लेकर कुछ पचड़े हैं।
अब सामने आ जाएगा कि क्यों मुस्कुराने लगती हैं शीला
83 वर्षीय शीला दीक्षित को लेकर जब तब चर्चाएं चलती रही हैं और कहा जाता रहा है कि सर्जरी के बाद उनका स्वास्थ्य दुरुस्त है, इसलिए गांधी घराने से जुड़ी शीला कांग्रेस के दिल्ली अध्यक्ष पद के लिए सबसे माकूल हैं। लेकिन इस पद के लिए उनकी उम्र बड़ी परेशानी बताई जाती रही है। दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष व 15 साल तक दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चाएं जब-तब उठती रही हैं। 13 नवंबर को जब सान्ध्य टाइम्स ने इस बाबत उनसे बात की थी तो वह हंसने लगीं और इस बाबत किसी कमेंट से इनकार कर दिया। आज भी जब सान्ध्य टाइम्स ने अध्यक्ष बनने की संभावनाओं पर उनसे पूछा तो उन्हें किसी भी प्रकार के कमेंट से इनकार कर दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या हाईकमान ने उन्हें यह पद दिया तो वह मंजूर कर लेंगी, उनका कहना था कि पहले निर्णय तो हो जाने दीजिए।
पढ़ें: आप से गठबंधन पर कांग्रेस में विद्रोह जैसे हालात
इसी मसले पर जब दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री डॉ़ योगानंद शास्त्री और दलित नेता राजकुमार चौहान से बात की तो उनका कहना था कि यह निर्णय आलाकमान का है और वह जो भी निर्णय लेगा, उन्हें मंजूर होगा। हारून युसूफ व देवेंद्र यादव का कहना था कि ऐसे मामलों में पार्टी का निर्णय सर्वोपरि माना जाता है। हम भी पार्टी आलाकमान के आदेश के हिसाब से चलेंगे।
क्या नई परंपरा शुरू होगी
कहा यह भी जा रहा है कि अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान नया सिस्टम अपना सकता है। इसके लिए एक अध्यक्ष के साथ दो कार्यवाहक अध्यक्ष भी बनाए जा सकते हैं। जो जानकारी है कि उसके अनुसार इस सिस्टम में पार्टी नेतृत्व में सीनियर व युवा नेताओं की भागीदारी आसान हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो बढ़ती उम्र के बावजूद शीला दीक्षित के लिए अध्यक्ष बनना आसान हो जाएगा और उनका साथ देने के लिए दो और नेताओं को भी कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस सिस्टम न तो संगठन में नाराजगी बढ़ेगी और न ही आलाकमान पर पक्षपात के आरोप लगेंगे। इस सिस्टम पर पार्टी में जब-जब चर्चाएं होती रही हैं।
‘पीठ दर्द की परेशानी झेल रहे’ दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का इस्तीफा आखिर मंजूर हो गया है। लोकसभा चुनाव की गहन तैयारी में जुटे माकन के इस्तीफे की मंजूरी पर राजनीतिक गलियारों में हैरानी जताई जा रही है। अब सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली कांग्रेस का ताज कौन संभालेगा? पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस मसले पर ‘मुस्करा’ चुकी हैं तो पार्टी के कुछ और वरिष्ठ नेता पार्टी आलाकमान के 'आदेश का इंतजार' कर रहे हैं।
सितंबर में माकन ने दिया था इस्तीफा
अजय माकन ने 18 सितंबर को इस्तीफा दिया था। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने पीठ दर्द का हवाला देते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा मंजूर करने का आग्रह किया था। उस वक्त पार्टी के वरिष्ठ नेता व दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने घोषणा की थी कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि कल शाम राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हुई। बैठक में चाको भी थे। बातचीत के बाद माकन का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया।
नए राजनीतिक समीकरणों की आहट
माकन ने जब इस्तीफा दिया था, तब कहा जा रहा था कि वह लोकसभा चुनाव में पार्टी द्वारा आप से किए जा रहे गठबंधन की संभावनाओं से नाराज हैं, लेकिन तब बात आई-गई हो गई थी। अब राजनीतिक गलियारों में उनके इस्तीफे को इस मसले से भी जोड़ा जा रहा है। जानकार कह रहे हैं कि इस इस्तीफे की मंजूरी से दिल्ली में नए राजनीतिक समीकरणों की सुगबुगाहट भी मिल रही है। मार्च 2015 में अध्यक्ष का पद संभालने वाले माकन ने आज ट्विटर पर सभी का दिल से आभार जताया है।
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अब किस किस को आलाकमान के 'आदेश का इंतजार'
सवाल अब यह है कि माकन के इस्तीफा देने के बाद कौन बनेगा दिल्ली का नया अध्यक्ष। इसे बड़ा काम माना जा रहा है कि क्योंकि कुछ ही महीने बाद लोकसभा का चुनाव है। माना जा रहा है कि इस मसले पर हाईकमान खासी गंभीरता दिखाएगा। सूत्र बताते हैं कि नए अध्यक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम पर सहमति बन सकती है। इसके अलावा योगानंद शास्त्री, दलित नेता राजकुमार चौहान के अलावा हारुन युसूफ व पार्टी के युवा नेता देवेंद्र यादव संभावितों में शामिल हैं। इस लिस्ट में वरिष्ठ नेता डॉ़ एके वालिया व अरविंदर सिंह लवली का नाम भी कुछ हद तक आ रहा है, लेकिन उनको लेकर कुछ पचड़े हैं।
अब सामने आ जाएगा कि क्यों मुस्कुराने लगती हैं शीला
83 वर्षीय शीला दीक्षित को लेकर जब तब चर्चाएं चलती रही हैं और कहा जाता रहा है कि सर्जरी के बाद उनका स्वास्थ्य दुरुस्त है, इसलिए गांधी घराने से जुड़ी शीला कांग्रेस के दिल्ली अध्यक्ष पद के लिए सबसे माकूल हैं। लेकिन इस पद के लिए उनकी उम्र बड़ी परेशानी बताई जाती रही है। दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष व 15 साल तक दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चाएं जब-तब उठती रही हैं। 13 नवंबर को जब सान्ध्य टाइम्स ने इस बाबत उनसे बात की थी तो वह हंसने लगीं और इस बाबत किसी कमेंट से इनकार कर दिया। आज भी जब सान्ध्य टाइम्स ने अध्यक्ष बनने की संभावनाओं पर उनसे पूछा तो उन्हें किसी भी प्रकार के कमेंट से इनकार कर दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या हाईकमान ने उन्हें यह पद दिया तो वह मंजूर कर लेंगी, उनका कहना था कि पहले निर्णय तो हो जाने दीजिए।
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इसी मसले पर जब दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री डॉ़ योगानंद शास्त्री और दलित नेता राजकुमार चौहान से बात की तो उनका कहना था कि यह निर्णय आलाकमान का है और वह जो भी निर्णय लेगा, उन्हें मंजूर होगा। हारून युसूफ व देवेंद्र यादव का कहना था कि ऐसे मामलों में पार्टी का निर्णय सर्वोपरि माना जाता है। हम भी पार्टी आलाकमान के आदेश के हिसाब से चलेंगे।
क्या नई परंपरा शुरू होगी
कहा यह भी जा रहा है कि अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान नया सिस्टम अपना सकता है। इसके लिए एक अध्यक्ष के साथ दो कार्यवाहक अध्यक्ष भी बनाए जा सकते हैं। जो जानकारी है कि उसके अनुसार इस सिस्टम में पार्टी नेतृत्व में सीनियर व युवा नेताओं की भागीदारी आसान हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो बढ़ती उम्र के बावजूद शीला दीक्षित के लिए अध्यक्ष बनना आसान हो जाएगा और उनका साथ देने के लिए दो और नेताओं को भी कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस सिस्टम न तो संगठन में नाराजगी बढ़ेगी और न ही आलाकमान पर पक्षपात के आरोप लगेंगे। इस सिस्टम पर पार्टी में जब-जब चर्चाएं होती रही हैं।
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