नई दिल्ली
एम्स में सर्जरी कराना आसान नहीं है, कई विभागों में पांच से छह साल तक वेटिंग चल रही है, लेकिन अब यह इंतजार कम हो सकता है। सर्जरी के बढ़ते बोझ और लंबे इंतजार का हल निकालने के लिए एम्स प्रशासन सर्जरी की टाइमिंग बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। एम्स में दो शिफ्टों में सर्जरी करने की योजना बनाई जा रही है। एम्स के सर्जन भी इसके लिए तैयार हैं। हालांकि, शुरुआती बैठक में अनेस्थिसिया डिपार्टमेंट सर्जरी की टाइमिंग को लेकर तैयार नहीं हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यह अच्छी पहल है और इससे मरीजों को फायदा होगा।
हर महीने 16 हजार सर्जरी होती है
एम्स में 2017-18 में 1,94,015 सर्जरी की गई थी। इसके अनुसार औसतन हर महीने करीब 16 हजार और हर दिन 531 सर्जरी होती है। इसके बावजूद हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट में छह साल की वेटिंग है। कुछ ऐसी ही स्थिति न्यूरो सर्जरी की है। इस वजह से कई बार जरूरतमंद मरीजों को समय पर सर्जरी के लिए डेट नहीं मिलती है। देशभर के मरीजों के साथ वीआईपी भी एम्स में ही इलाज कराना पसंद करते हैं। ऐसे में मरीजों का दवाब एम्स में बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से एम्स में सर्जरी की संख्या भी बढ़ रही है, फिर भी वेटिंग लिस्ट कम नहीं हो रही है।
पढ़ें: एम्स ओपीडी मेन कैंपस से होगा मस्जिद मोठ में शिफ्ट
दो शिफ्ट में होगी सर्जरी
एम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि अभी सर्जन हफ्ते में दो दिन सर्जरी करते हैं, बाकी दिन वो ओपीडी या वॉर्ड में बिजी रहते हैं। अभी एम्स में सुबह साढ़े आठ बजे सर्जरी शुरू होती है, जो शाम पांच बजे तक होती है। इस प्रस्ताव में सुबह आठ बजे से लेकर शाम आठ बजे तक सर्जरी होगी, यानी तीन से साढ़े तीन घंटा ज्यादा सर्जरी की जाएगी। अब एम्स प्रशासन सर्जरी को दो शिफ्ट में करने का फैसला किया है, सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे के बीच और फिर दो बजे से शाम आठ बजे तक। सूत्रों के अनुसार इससे सर्जरी की क्वॉलिटी में और सुधार होगा। दूसरे शिफ्ट में जो सर्जन आएगा वह फ्रेश आएगा, जिससे वह पूरी एनर्जी के साथ सर्जरी करेगा।
डॉक्टर ने कहा कि यह अच्छी पहल है, उम्मीद है कि इसे जल्द लागू किया जा सकता है। हालांकि, एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉक्टर इस नए प्रस्ताव से सहमत नहीं है। सूत्रों का कहना है कि वह टाइमिंग को लेकर सहज नहीं है। एम्स के मुख्य बिल्डिंग में एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के 30 से 35 फैकल्टी है और लगभग 80 से 90 जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट हैं। इसके अलावा कैंसर सेंटर, हार्ट एंड न्यूरो सेंटर में अलग से एनेस्थीसिस्ट हैं।
एम्स में सर्जरी कराना आसान नहीं है, कई विभागों में पांच से छह साल तक वेटिंग चल रही है, लेकिन अब यह इंतजार कम हो सकता है। सर्जरी के बढ़ते बोझ और लंबे इंतजार का हल निकालने के लिए एम्स प्रशासन सर्जरी की टाइमिंग बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। एम्स में दो शिफ्टों में सर्जरी करने की योजना बनाई जा रही है। एम्स के सर्जन भी इसके लिए तैयार हैं। हालांकि, शुरुआती बैठक में अनेस्थिसिया डिपार्टमेंट सर्जरी की टाइमिंग को लेकर तैयार नहीं हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यह अच्छी पहल है और इससे मरीजों को फायदा होगा।
हर महीने 16 हजार सर्जरी होती है
एम्स में 2017-18 में 1,94,015 सर्जरी की गई थी। इसके अनुसार औसतन हर महीने करीब 16 हजार और हर दिन 531 सर्जरी होती है। इसके बावजूद हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट में छह साल की वेटिंग है। कुछ ऐसी ही स्थिति न्यूरो सर्जरी की है। इस वजह से कई बार जरूरतमंद मरीजों को समय पर सर्जरी के लिए डेट नहीं मिलती है। देशभर के मरीजों के साथ वीआईपी भी एम्स में ही इलाज कराना पसंद करते हैं। ऐसे में मरीजों का दवाब एम्स में बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से एम्स में सर्जरी की संख्या भी बढ़ रही है, फिर भी वेटिंग लिस्ट कम नहीं हो रही है।
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दो शिफ्ट में होगी सर्जरी
एम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि अभी सर्जन हफ्ते में दो दिन सर्जरी करते हैं, बाकी दिन वो ओपीडी या वॉर्ड में बिजी रहते हैं। अभी एम्स में सुबह साढ़े आठ बजे सर्जरी शुरू होती है, जो शाम पांच बजे तक होती है। इस प्रस्ताव में सुबह आठ बजे से लेकर शाम आठ बजे तक सर्जरी होगी, यानी तीन से साढ़े तीन घंटा ज्यादा सर्जरी की जाएगी। अब एम्स प्रशासन सर्जरी को दो शिफ्ट में करने का फैसला किया है, सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे के बीच और फिर दो बजे से शाम आठ बजे तक। सूत्रों के अनुसार इससे सर्जरी की क्वॉलिटी में और सुधार होगा। दूसरे शिफ्ट में जो सर्जन आएगा वह फ्रेश आएगा, जिससे वह पूरी एनर्जी के साथ सर्जरी करेगा।
डॉक्टर ने कहा कि यह अच्छी पहल है, उम्मीद है कि इसे जल्द लागू किया जा सकता है। हालांकि, एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉक्टर इस नए प्रस्ताव से सहमत नहीं है। सूत्रों का कहना है कि वह टाइमिंग को लेकर सहज नहीं है। एम्स के मुख्य बिल्डिंग में एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के 30 से 35 फैकल्टी है और लगभग 80 से 90 जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट हैं। इसके अलावा कैंसर सेंटर, हार्ट एंड न्यूरो सेंटर में अलग से एनेस्थीसिस्ट हैं।
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