Wednesday, October 31, 2018

शीला दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस के लिए क्यों बन रही हैं मजबूरी वाली जरूरत?

नई दिल्ली
शीला दीक्षित सक्रिय राजनीति में उतरते हुए दिल्ली कांग्रेस की कमान फिर संभाल सकती हैं। कांग्रेस के अंदर इस बात के लिए गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस बात पर लगभग सहमति हो चुकी है और बस कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अंतिम फैसला लेना बाकी रह गया है। तो ऐसा क्या हुआ कि अचानक शीला दीक्षित पर कांग्रेस दांव लगाने को तैयार हो गई जो पिछले कुछ दिनों से सक्रिय राजनीति से भी दूर रही है।

सर्वे के बाद सामने आई मजबूरी
कांग्रेस के लिए शीला दीक्षित को फिर से आजमाने पर विचार करने के पीछे मजबूरी है जो एक सर्वे के बाद सामने आई है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने अक्तूबर महीने में पार्टी की स्थिति और नेताओं के बारे में आम लोगों की राय जानने के लिए पूरे देश में एक सर्वे किया था। एक स्वतंत्र एजेंसी की ओर से कराए गए इस सर्वे में दिल्ली में सीएम के सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार के बारे में सवाल पूछा गया था। इसके लिए नाम नहीं दिए गए थे। इसके नतीजे कांग्रेस के लिए चौंकाने वाले थे। पहले नंबर पर लोगों की पसंद शीला दीक्षित थीं। दिल्ली के मौजूदा सीएम अरविन्द केजरीवाल दूसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस की ओर से कराए गए इस सर्वे में यह भी चौंकाने वाली बात रही कि तीसरे नंबर पर दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया रहे और चौथे नंबर पर अजय माकन रहे।

इस सर्वे में लोगों ने शीला दीक्षित के दिल्ली सीएम रहते कार्यकाल के बारे में लोगों की ओर से बेहतर फीडबैक आए और लोगों ने उन्हें दोबारा सीएम बनाने की इच्छा व्यक्त की। सूत्रों के अनुसार इसी सर्वे के बाद शीला को फिर से दिल्ली की कमान दिए जाने की पहल हुई है।

शीला ने भी दिए जिम्मेदारी को तैयार होने के संकेत
हाल के समय में शीला दीक्षित का स्वास्थ्य बेहतर नहीं रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें अपनी पार्टी का सीएम उम्मीदवार बनाया था। हालांकि बाद में एसपी के साथ गठबंधन होने के बाद उन्होंने दावेदारी वापस ले ली थी लेकिन तब भी उनका स्वास्थ्य उनके प्रचार में बाधक बनकर सामने आया था। दिल्ली में वापसी के बारे में शीला ने पार्टी के शीर्ष नेताओं को मौका देने पर जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहने का भरोसा दिला दिया है।

गठबंधन की राजनीति में भी शीला स्वीकार्य चेहरा
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के सर्वे से पहले भी पार्टी ऐसा चेहरा दिल्ली में तलाश रही थी जो मौजूदा की राजनीति में सभी को स्वीकार्य हो। आम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर आपसी सहमति की संभावना तलाशने से पहले ही कांग्रेस के नेताओं की ओर से जिस तरह की बयानबाजी हुई उससे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व नाराज हुआ। साथ ही अरविन्द केजरीवाल ने जिस तरह शीला दीक्षित के इलाज का खर्च उठाने की घोषणा की उससे भी दोनों के बीच तल्ख रिश्ते में नरमी आने के संकेत दिए, जैसे गठबंधन को लेकर पार्टी इस संभावना को चुनाव से पहले पूरी तरह समाप्त नहीं करना चाहती हो। हालांकि अभी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार कर रहे हैं।

दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं और सभी पर अभी बीजेपी का कब्जा है। इसके अलावा अजय माकन और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद भी सामने आए जिसके बाद पार्टी बदलाव की संभावना तलाश रहा था।

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