प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल एजुकेशन के नाम पर हो रही धांधली के खिलाफ एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अभियान तेज कर दिया है। देशव्यापी सिग्नेचर अभियान से अब तक 26 हजार लोग जुड़ चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मनमानी कर रहे हैं। डमी मरीज, डमी फैकल्टी और डमी इंस्ट्रूमेंट के जरिए कॉलेज मान्यता लेते हैं और फिर स्टूडेंट्स से ठगी शुरू कर देते हैं। इससे एक अधकचरा डॉक्टर तैयार होता है। इससे आने वाले समय में पूरा हेल्थ सेक्टर चरमरा जाएगा। गरीब मरीज इलाज के बिना मर जाएंगे।
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के प्रेजिडेंट हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि प्राइवेट कॉलेज जिस चीज के लिए खोले गए हैं, वे वैसा कर नहीं रहे हैं। डॉक्टर भाटी ने कहा कि फीस के नाम पर स्टूडेंट्स से लाखों वसूल लिए जाते हैं। मेडिकल काउंसिल कमिटी की वेबसाइट पर जो फीस होती है उससे कई गुना ज्यादा फीस ली जाती है। एक दिन की छुट्टी पर 20-20 हजार तक का फाइन लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि किसी बड़े आदमी का बच्चा डॉक्टर नहीं बनता, क्योंकि यह मेहनत का काम है। इस फील्ड में मिडिल और लोअर मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स आते हैं। मेडिकल की पढ़ाई के लिए वे करोड़ों रुपये कर्ज लेते हैं फिर प्राइवेट कॉलेजों के जाल में फंस जाते हैं। एम्स के डॉक्टर ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि या तो सरकार इस बारे में अनजान है या फिर मिली हुई है। हम इसे रोकना चाहते हैं इसलिए इस अभियान की शुरुआत की है। साथ ही उन्होंने बता कि सिग्नेचरों की कॉपी प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जेपी को एक लेटर के साथ सौंपी जाएगी। उनकी मांग है कि सभी कॉलेजों की मॉनटरिंग की जाए। रोज का रिकॉर्ड तैयार हो, पूरे साल इंस्पेक्शन हो। सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो आंदोलन भी करेंगे।
प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल एजुकेशन के नाम पर हो रही धांधली के खिलाफ एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अभियान तेज कर दिया है। देशव्यापी सिग्नेचर अभियान से अब तक 26 हजार लोग जुड़ चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मनमानी कर रहे हैं। डमी मरीज, डमी फैकल्टी और डमी इंस्ट्रूमेंट के जरिए कॉलेज मान्यता लेते हैं और फिर स्टूडेंट्स से ठगी शुरू कर देते हैं। इससे एक अधकचरा डॉक्टर तैयार होता है। इससे आने वाले समय में पूरा हेल्थ सेक्टर चरमरा जाएगा। गरीब मरीज इलाज के बिना मर जाएंगे।
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन के प्रेजिडेंट हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि प्राइवेट कॉलेज जिस चीज के लिए खोले गए हैं, वे वैसा कर नहीं रहे हैं। डॉक्टर भाटी ने कहा कि फीस के नाम पर स्टूडेंट्स से लाखों वसूल लिए जाते हैं। मेडिकल काउंसिल कमिटी की वेबसाइट पर जो फीस होती है उससे कई गुना ज्यादा फीस ली जाती है। एक दिन की छुट्टी पर 20-20 हजार तक का फाइन लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि किसी बड़े आदमी का बच्चा डॉक्टर नहीं बनता, क्योंकि यह मेहनत का काम है। इस फील्ड में मिडिल और लोअर मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स आते हैं। मेडिकल की पढ़ाई के लिए वे करोड़ों रुपये कर्ज लेते हैं फिर प्राइवेट कॉलेजों के जाल में फंस जाते हैं। एम्स के डॉक्टर ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि या तो सरकार इस बारे में अनजान है या फिर मिली हुई है। हम इसे रोकना चाहते हैं इसलिए इस अभियान की शुरुआत की है। साथ ही उन्होंने बता कि सिग्नेचरों की कॉपी प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जेपी को एक लेटर के साथ सौंपी जाएगी। उनकी मांग है कि सभी कॉलेजों की मॉनटरिंग की जाए। रोज का रिकॉर्ड तैयार हो, पूरे साल इंस्पेक्शन हो। सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो आंदोलन भी करेंगे।
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