राज शेखर, नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े एक महत्वपूर्ण केस की जांच कर रही है जिसमें 5 लोगों ने टाटा मोटर्स फाइनैंस लिमिटेंड से लोन के जरिये वाहन खरीदे। वाहन खरीदने के बाद उन्होंने भुगतान नहीं किया और अंडरग्राउंड हो गए। वेरिफिकेशन के दौरान कंपनी को पता चला कि इन पांचों के आपस में करीबी संबंध हैं और लोन लेने के लिए उन्होंने फर्जी पहचान बताए। संदिग्धों ने दो फर्जी कंपनी मेर्क लाइफ साइंसेंज और कॉग्टा इम्पोर्ट ऐंड एक्सपोर्ट बनाई और अपने केवाईसी दस्तावेज जैसे कि सैलरी स्लिप, आईडी कार्ड, अड्रेस प्रूफ और बैंक दस्तावेज के बारे में गलत जानकारी दी।
पुलिस इन पांचों के बारे जानकारी जुटाकर उनकी तलाश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसी जालसाजी छह महीने से चल रही थी और उन्हें खुद को बचाने के लिए उपयुक्त समय मिल गया। पुलिस को संदेह है कि इस गैंग इसी तरीके से दूसरी कंपनियों को भी ठगा होगा।
पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाला रविंदर कुमार शर्मा ने फरवरी में हेक्सा वाहन लोन के लिए कंपनी से संपर्क किया। उसने खुद को मेर्क लाइफ साइंसेज का कर्मचारी बताया और करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया।
कंपनी के अधिकारी ने बताया, 'उसने वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया और भुगतान भी नहीं किया। दिए गए पते पर जाने से उन्हें रविंदर शर्मा नाम का व्यक्ति मिला, जिसने किसी भी प्रकार के लोन से इनकार कर दिया। उसने कंपनी को बताया कि उसने होम लोन के लिए एक व्यक्ति को अपनी केवाईसी दी थी और उसने संदेह जताया कि उसी ने उसके दस्तावेज का गलत इस्तेमाल किया होगा। शर्मा के बताए ऑफिस पते पर जाने से पता चला कि ऐसा कोई दफ्तर मौजूद नहीं है।'
इसी तरह उसी इलाके के नीतीश कुमार नाम के एक व्यक्ति ने फरवरी में 11 लाख के लोन के लिए अप्लाई किया था। जब उसने लोन का पैसा नहीं चुकाया, कंपनी ने जांच की तो वह बताए गए पते पर नहीं मिला। मई में कंपनी को कॉग्टा इम्पोर्ट एक्सपोर्ट की तरफ से नेक्सॉन वाहनों के लिए तीन आवेदन मिले। आवेदकों के नाम माया राम, समीर गुप्ता और दीपक मुकेश था जिन्होंने क्रमशः 11, 12 और 11 लाख के लोन के लिए आवेदन दिया था। मुकेश के मामले में कंपनी को पते पर वह नहीं मिला जिससे लोन खारिज हो गया। कंपनी की जांच में पता चला कि पांचों एक ही गैंग से जुड़े हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि उदाहरण के लिए दीपक मुकेश ने अपने लोन के लिए रेफ्रेंस में नीतीश कुमार का नाम दिया था।
दिल्ली पुलिस वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े एक महत्वपूर्ण केस की जांच कर रही है जिसमें 5 लोगों ने टाटा मोटर्स फाइनैंस लिमिटेंड से लोन के जरिये वाहन खरीदे। वाहन खरीदने के बाद उन्होंने भुगतान नहीं किया और अंडरग्राउंड हो गए। वेरिफिकेशन के दौरान कंपनी को पता चला कि इन पांचों के आपस में करीबी संबंध हैं और लोन लेने के लिए उन्होंने फर्जी पहचान बताए। संदिग्धों ने दो फर्जी कंपनी मेर्क लाइफ साइंसेंज और कॉग्टा इम्पोर्ट ऐंड एक्सपोर्ट बनाई और अपने केवाईसी दस्तावेज जैसे कि सैलरी स्लिप, आईडी कार्ड, अड्रेस प्रूफ और बैंक दस्तावेज के बारे में गलत जानकारी दी।
पुलिस इन पांचों के बारे जानकारी जुटाकर उनकी तलाश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसी जालसाजी छह महीने से चल रही थी और उन्हें खुद को बचाने के लिए उपयुक्त समय मिल गया। पुलिस को संदेह है कि इस गैंग इसी तरीके से दूसरी कंपनियों को भी ठगा होगा।
पुलिस को मिली शिकायत के मुताबिक, गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाला रविंदर कुमार शर्मा ने फरवरी में हेक्सा वाहन लोन के लिए कंपनी से संपर्क किया। उसने खुद को मेर्क लाइफ साइंसेज का कर्मचारी बताया और करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया।
कंपनी के अधिकारी ने बताया, 'उसने वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया और भुगतान भी नहीं किया। दिए गए पते पर जाने से उन्हें रविंदर शर्मा नाम का व्यक्ति मिला, जिसने किसी भी प्रकार के लोन से इनकार कर दिया। उसने कंपनी को बताया कि उसने होम लोन के लिए एक व्यक्ति को अपनी केवाईसी दी थी और उसने संदेह जताया कि उसी ने उसके दस्तावेज का गलत इस्तेमाल किया होगा। शर्मा के बताए ऑफिस पते पर जाने से पता चला कि ऐसा कोई दफ्तर मौजूद नहीं है।'
इसी तरह उसी इलाके के नीतीश कुमार नाम के एक व्यक्ति ने फरवरी में 11 लाख के लोन के लिए अप्लाई किया था। जब उसने लोन का पैसा नहीं चुकाया, कंपनी ने जांच की तो वह बताए गए पते पर नहीं मिला। मई में कंपनी को कॉग्टा इम्पोर्ट एक्सपोर्ट की तरफ से नेक्सॉन वाहनों के लिए तीन आवेदन मिले। आवेदकों के नाम माया राम, समीर गुप्ता और दीपक मुकेश था जिन्होंने क्रमशः 11, 12 और 11 लाख के लोन के लिए आवेदन दिया था। मुकेश के मामले में कंपनी को पते पर वह नहीं मिला जिससे लोन खारिज हो गया। कंपनी की जांच में पता चला कि पांचों एक ही गैंग से जुड़े हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि उदाहरण के लिए दीपक मुकेश ने अपने लोन के लिए रेफ्रेंस में नीतीश कुमार का नाम दिया था।
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Read more: वाहन के लिए लोन लेकर हो जाता था गायब