नई दिल्ली
साउथ दिल्ली की सात कॉलोनियों के रीडिवेलपमेंट के लिए 16,000 से ज्यादा पेड़ों की कटाई का मुद्दा सोमवार को पहली बार एनजीटी में सुनवाई के लिए आ रहा है। एनजीओ चेतना की ओर से दायर याचिका में साउथ दिल्ली की सात कॉलोनियों में जनरल पूल रजिडेंशल अकोमोडेशन(जीपीआरए) के पुनर्विकास के लिए एनवायरनमेंट क्लीयरेंस(ईसी) दिए जाने को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, शहरी मंत्रालय ने क्लीयरेंस देते हुए उन कॉलोनियों के मौजूदा हालात से जुड़े तमाम जरूरी तथ्यों की अनदेखी की। याचिकाकर्ता ने कहा कि एनबीसीसी के इन सभी प्रॉजेक्ट्स की वजह से उन कॉलोनियों समेत पूरी दिल्ली के पारिस्थितिक संतुलन पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि इनके लिए 16,000 से ज्यादा पेड़ों को काटना पड़ेगा।
चेतना की तरफ से वकील मधुमिता ने दायर याचिका में एनजीटी से मांग की है कि वह आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय और एनबीसीसी को तब तक निर्माण कार्य से रोकें, जब तक टिब्यूनल खुद इस पूरे मुद्दे का आंकलन नहीं कर लेता।
साउथ दिल्ली की सात कॉलोनियों के रीडिवेलपमेंट के लिए 16,000 से ज्यादा पेड़ों की कटाई का मुद्दा सोमवार को पहली बार एनजीटी में सुनवाई के लिए आ रहा है। एनजीओ चेतना की ओर से दायर याचिका में साउथ दिल्ली की सात कॉलोनियों में जनरल पूल रजिडेंशल अकोमोडेशन(जीपीआरए) के पुनर्विकास के लिए एनवायरनमेंट क्लीयरेंस(ईसी) दिए जाने को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, शहरी मंत्रालय ने क्लीयरेंस देते हुए उन कॉलोनियों के मौजूदा हालात से जुड़े तमाम जरूरी तथ्यों की अनदेखी की। याचिकाकर्ता ने कहा कि एनबीसीसी के इन सभी प्रॉजेक्ट्स की वजह से उन कॉलोनियों समेत पूरी दिल्ली के पारिस्थितिक संतुलन पर बुरा असर पड़ेगा क्योंकि इनके लिए 16,000 से ज्यादा पेड़ों को काटना पड़ेगा।
चेतना की तरफ से वकील मधुमिता ने दायर याचिका में एनजीटी से मांग की है कि वह आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय और एनबीसीसी को तब तक निर्माण कार्य से रोकें, जब तक टिब्यूनल खुद इस पूरे मुद्दे का आंकलन नहीं कर लेता।
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