नई दिल्ली
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर किसी भी डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट में बार-बार हस्तक्षेप के आरोप लगाते हुए जनता के नाम एक संदेश जारी किया है। संदेश में कहा गया कि 71 साल पहले देश आजाद तो हो गया, लेकिन दिल्ली में पूरी तरह से जनतंत्र लागू नहीं हो सका। अंग्रेजों के शासन के समय जिस तरह से वायसराय का हुक्म दिल्ली में चलता था, उसी तरह से अब एलजी की मनमानी चल रही है। चुनी हुई सरकार अपने मन से कोई काम नहीं कर सकती।
दिल्ली की जनता के नाम जारी संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि दिल्ली के लोग हर साल करीब 1,30,000 करोड़ रुपये इनकम टैक्स अदा करते हैं। पूरा पैसा केंद्र सरकार के खाते में जाता है। इसमें से दिल्ली के विकास के लिए महज 325 करोड़ रुपये ही दिल्ली सरकार को मिलते हैं। उनका कहना है कि दिल्ली के लोगों ने टैक्स के रूप में जो पैसे अदा किया है, उस पर शत-प्रतिशत अधिकार केंद्र सरकार का ही क्यों हो? दिल्ली में विकास के लिए भी इस पैसे में करीब 30 प्रतिशत (40,000 करोड़) रुपये केंद्र सरकार दे, ताकि यहां भी विकास कार्य हो सके। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया है कि अगर केंद्र हर साल दिल्ली सरकार को 40,000 करोड़ रुपये दे, तो वे दिल्ली के प्रत्येक व्यक्ति को मकान उपलब्ध करा सकते हैं।
इस संदेश में उन्होंने कहा है कि कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने का काम लंबे समय से केंद्र सरकार के पास पेंडिंग है। कई बार फाइलों को दिल्ली सरकार ने केंद्र के पास भेजा। लेकिन केंद्र इस पर कोई कार्रवाई ही नहीं करता। अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला होता, तो सरकार के लिए यह काम एक महीने में संभव था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर किसी भी डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट में बार-बार हस्तक्षेप के आरोप लगाते हुए जनता के नाम एक संदेश जारी किया है। संदेश में कहा गया कि 71 साल पहले देश आजाद तो हो गया, लेकिन दिल्ली में पूरी तरह से जनतंत्र लागू नहीं हो सका। अंग्रेजों के शासन के समय जिस तरह से वायसराय का हुक्म दिल्ली में चलता था, उसी तरह से अब एलजी की मनमानी चल रही है। चुनी हुई सरकार अपने मन से कोई काम नहीं कर सकती।
दिल्ली की जनता के नाम जारी संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि दिल्ली के लोग हर साल करीब 1,30,000 करोड़ रुपये इनकम टैक्स अदा करते हैं। पूरा पैसा केंद्र सरकार के खाते में जाता है। इसमें से दिल्ली के विकास के लिए महज 325 करोड़ रुपये ही दिल्ली सरकार को मिलते हैं। उनका कहना है कि दिल्ली के लोगों ने टैक्स के रूप में जो पैसे अदा किया है, उस पर शत-प्रतिशत अधिकार केंद्र सरकार का ही क्यों हो? दिल्ली में विकास के लिए भी इस पैसे में करीब 30 प्रतिशत (40,000 करोड़) रुपये केंद्र सरकार दे, ताकि यहां भी विकास कार्य हो सके। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया है कि अगर केंद्र हर साल दिल्ली सरकार को 40,000 करोड़ रुपये दे, तो वे दिल्ली के प्रत्येक व्यक्ति को मकान उपलब्ध करा सकते हैं।
इस संदेश में उन्होंने कहा है कि कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने का काम लंबे समय से केंद्र सरकार के पास पेंडिंग है। कई बार फाइलों को दिल्ली सरकार ने केंद्र के पास भेजा। लेकिन केंद्र इस पर कोई कार्रवाई ही नहीं करता। अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला होता, तो सरकार के लिए यह काम एक महीने में संभव था।
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