राज शेखर, नई दिल्ली
दिल्ली में गांजे के उपभोग में अचानक तेजी देखी गई है। पुलिस के आंकड़े डराने वाले हैं, क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल गांजे को जब्त करने की घटना में 502 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 30 अप्रैल तक 1,345 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था। पिछले वर्ष की समान अवधि में 223 किलोग्राम जब्त किए गए थे। पिछले वर्ष गांजा की मांग 2,417 किलोग्राम रही है, जबकि यह आंकड़ा 5,000 किलोग्राम को पार कर गया।
गिरफ्तार किए गए पेडलर्स ने यह स्वीकार किया है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के नजदीक ड्रग्स की तस्करी में वृद्धि हुई है। नॉर्थ कैम्पसके नजदीक स्थित मजनू का टीला और दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाके ड्रग्स की आपूर्ति के लिए चर्चित हैं। पुलिस ने कहा कि कुछ रिक्शावाले भी इस इलाके में ड्रग्स बेचते हैं। वहीं, गांजा पीने वाले कई लोगों का मानना है कि इससे कोई नुकसान नहीं है और इस वैध कर देना चाहिए। जबकि इसका इस्तेमाल करने वाले कॉलेज स्टूडेंट्स ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि वे इसे पीते हैं क्योंकि यह सिगरेट से ज्यादा सही है और ऑनलाइन सर्च का हवाला देते हुए कहा कि ये नुकसान रहित हैं।
साउथ कैम्पस के द्वितीय वर्ष के एक छात्र ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि सिगरेट कहीं अधिक खतरनाक है। हालांकि, गांजा एक हर्ब है।' उधर, चिकित्सकों की राय अलग है और वे गांजा को मस्तिष्क और शरीर के नुकसानदेह बताते हैं। भांग के उत्पादक राष्ट्रीय राजधानी में ड्रग्स को बढ़ावा दे रहे हैं, क्योंकि इसकी लोकप्रियता में बढ़ावा हुआ है। डीसीपी (अपराध) भीष्ठ सिंह ने कहा, ' दिल्ली में तम्बाकू का चलन ओडिशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड से बढ़ा है।' एक अधिकारी ने कहा, 'पहाड़ी क्षेत्र, उपयुक्त जलवायु, न पहुंच सकने वाले इलाके और स्थानीय लोगों की मदद से भांग उत्पादकों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।'
गांजे की आपूर्ति नक्सली प्रभावित इलाके से सबसे ज्यादा होती है। डीसीसी (स्पेशल सेल) प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि उनकी टीम ने 540 किलोग्राम नारकोटिक जब्त किया था जिन्हें मथुरा रोड स्थित एक ट्रक में चालाकी से छुपा कर रखा गया था। गांजा झारखंड और ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके से लाया जाता है। एक जांच अधिकारी ने बताया, 'नक्सली भौगोलिक हालात और घने जंगल में न पहुंच पाने का फायदा उठाते हैं। ड्रग माफिया जनजातीय लोगों को ड्रग्स की खेती और उसके परिवहन के काम में लगाते हैं।'
बिहार में शराबबंदी के बाद से भांग की खेती में तेजी आई है। जबकि पश्चिम बंगाल के कूच बेहार और पड़ोसी इलाके तथा त्रिपुरा से भी दिल्ली तक ड्रग्स की आपूर्ति की जाती है।
दिल्ली में गांजे के उपभोग में अचानक तेजी देखी गई है। पुलिस के आंकड़े डराने वाले हैं, क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल गांजे को जब्त करने की घटना में 502 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 30 अप्रैल तक 1,345 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था। पिछले वर्ष की समान अवधि में 223 किलोग्राम जब्त किए गए थे। पिछले वर्ष गांजा की मांग 2,417 किलोग्राम रही है, जबकि यह आंकड़ा 5,000 किलोग्राम को पार कर गया।
गिरफ्तार किए गए पेडलर्स ने यह स्वीकार किया है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के नजदीक ड्रग्स की तस्करी में वृद्धि हुई है। नॉर्थ कैम्पसके नजदीक स्थित मजनू का टीला और दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाके ड्रग्स की आपूर्ति के लिए चर्चित हैं। पुलिस ने कहा कि कुछ रिक्शावाले भी इस इलाके में ड्रग्स बेचते हैं। वहीं, गांजा पीने वाले कई लोगों का मानना है कि इससे कोई नुकसान नहीं है और इस वैध कर देना चाहिए। जबकि इसका इस्तेमाल करने वाले कॉलेज स्टूडेंट्स ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि वे इसे पीते हैं क्योंकि यह सिगरेट से ज्यादा सही है और ऑनलाइन सर्च का हवाला देते हुए कहा कि ये नुकसान रहित हैं।
साउथ कैम्पस के द्वितीय वर्ष के एक छात्र ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि सिगरेट कहीं अधिक खतरनाक है। हालांकि, गांजा एक हर्ब है।' उधर, चिकित्सकों की राय अलग है और वे गांजा को मस्तिष्क और शरीर के नुकसानदेह बताते हैं। भांग के उत्पादक राष्ट्रीय राजधानी में ड्रग्स को बढ़ावा दे रहे हैं, क्योंकि इसकी लोकप्रियता में बढ़ावा हुआ है। डीसीपी (अपराध) भीष्ठ सिंह ने कहा, ' दिल्ली में तम्बाकू का चलन ओडिशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड से बढ़ा है।' एक अधिकारी ने कहा, 'पहाड़ी क्षेत्र, उपयुक्त जलवायु, न पहुंच सकने वाले इलाके और स्थानीय लोगों की मदद से भांग उत्पादकों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।'
गांजे की आपूर्ति नक्सली प्रभावित इलाके से सबसे ज्यादा होती है। डीसीसी (स्पेशल सेल) प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि उनकी टीम ने 540 किलोग्राम नारकोटिक जब्त किया था जिन्हें मथुरा रोड स्थित एक ट्रक में चालाकी से छुपा कर रखा गया था। गांजा झारखंड और ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके से लाया जाता है। एक जांच अधिकारी ने बताया, 'नक्सली भौगोलिक हालात और घने जंगल में न पहुंच पाने का फायदा उठाते हैं। ड्रग माफिया जनजातीय लोगों को ड्रग्स की खेती और उसके परिवहन के काम में लगाते हैं।'
बिहार में शराबबंदी के बाद से भांग की खेती में तेजी आई है। जबकि पश्चिम बंगाल के कूच बेहार और पड़ोसी इलाके तथा त्रिपुरा से भी दिल्ली तक ड्रग्स की आपूर्ति की जाती है।
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