सिद्धार्थ रॉय & कृतिका शर्मा, नई दिल्ली
शुक्रवार को दिल्ली के केशवपुरम इलाके में हुए स्कूल वैन हादसे में 7 साल की बच्ची की मौत और 17 बच्चो के घायल होने के बाद दिल्ली सरकार नियमों में और सख्ती लाने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार उन वाहनों पर सख्ती करने के लिए सख्त नियम लाने की तैयारी में है, जिनका स्कूल ट्रांसपॉर्ट के लिए गैर-कानूनी ढंग से इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि 2007 में जारी किए गए दिशानिर्देश व नियम पुराने हो चुके हैं और बच्चों को लाने-ले जाने वाली प्राइवेट वैन्स की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्कूलों की भी होनी चाहिए।
स्पेशल कमिश्नर(परिवहन) के.के.दाहिया ने बताया, 'शुरुआत में नियमों का उल्लंघन करने वालों या बगैर परमिट चलने वालों में हम 5,000 रुपये के जुर्माने के साथ ऐसे वाहनों को तीन महीने के लिए जब्त कर लेंगे। हम दिल्ली मोटर वीइकल रूल्स में ढांचागत बदलाव लाने की तैयारी कर रहे हैं।'
माना जा रहा है कि ट्रांसपॉर्ट विभाग दिल्ली की सड़कों पर नियमों को ताक पर रखकर दौड़ने वाली स्कूल वैन्स और ऑटोरिक्शा पर बुधवार से कार्रवाई शुरू कर देगा। हालांकि, दाहिया का कहना है कि सिर्फ 20 एन्फोर्समेंट टीमों के साथ हजारों वाहनों की जांच करना इतना अकेले विभाग के बस की बात नहीं और ट्रैफिक पुलिस को भी इसमें साथ देना होगा।
विभाग यह भी चाहता है कि स्कूल यह सुनिश्चित करें कि बच्चों को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी उन वाहनों को दी जाए, जो रजिस्टर्ड होंगे। दाहिया ने कहा, 'स्कूल यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि उनकी जिम्मेदारी स्कूल परिसर के भीतर स्टूडेंट की सुरक्षा तक ही है।' विभाग चाहता है कि स्कूल प्रिंसिपल को देखना चाहिए कि वैन पर उस स्कूल का नाम लिखा हो, जिस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे उसमें लाए-ले जाए जा रहे हैं। साथ ही पैरंट्स को समझाया जाए कि गैर-कानूनी वहनों से अपने बच्चों को स्कूल न भेजें।
स्कूल प्रिंसिपल्स उन्हें जिम्मेदार न माने जाने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बाद से वे ड्राइवरों और वाहनों के परमिट और लाइसेंस की कॉपीज अपने पास रखते हैं। कोहिणी के माउंट आबु पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने कहा, 'हम हमेशा ही प्राइवेट वैम्स के खिलाफ रहे हैं और लगातार पैरंट्स को इसके लिए मना करते हैं लेकिन हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स प्राइवेट कैब्स से स्कूल पहुंचते हैं।' वहीं, बाल भारती स्कूल की प्रिंसिपल गीता गंगवानी ने कहा, 'हम वैन में किसी एक पैरंट के साथ बच्चों को लाने-ले जाए जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं लेकिन इससे आगे कुछ जिम्मेदारी नहीं ले सकते। स्कूल की बसों में एक टीचर और एक अटेंडेंट होता है। हम प्राइवेट वैन्स में टीचर नहीं दे सकते।'
शुक्रवार को दिल्ली के केशवपुरम इलाके में हुए स्कूल वैन हादसे में 7 साल की बच्ची की मौत और 17 बच्चो के घायल होने के बाद दिल्ली सरकार नियमों में और सख्ती लाने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार उन वाहनों पर सख्ती करने के लिए सख्त नियम लाने की तैयारी में है, जिनका स्कूल ट्रांसपॉर्ट के लिए गैर-कानूनी ढंग से इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि 2007 में जारी किए गए दिशानिर्देश व नियम पुराने हो चुके हैं और बच्चों को लाने-ले जाने वाली प्राइवेट वैन्स की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी स्कूलों की भी होनी चाहिए।
स्पेशल कमिश्नर(परिवहन) के.के.दाहिया ने बताया, 'शुरुआत में नियमों का उल्लंघन करने वालों या बगैर परमिट चलने वालों में हम 5,000 रुपये के जुर्माने के साथ ऐसे वाहनों को तीन महीने के लिए जब्त कर लेंगे। हम दिल्ली मोटर वीइकल रूल्स में ढांचागत बदलाव लाने की तैयारी कर रहे हैं।'
माना जा रहा है कि ट्रांसपॉर्ट विभाग दिल्ली की सड़कों पर नियमों को ताक पर रखकर दौड़ने वाली स्कूल वैन्स और ऑटोरिक्शा पर बुधवार से कार्रवाई शुरू कर देगा। हालांकि, दाहिया का कहना है कि सिर्फ 20 एन्फोर्समेंट टीमों के साथ हजारों वाहनों की जांच करना इतना अकेले विभाग के बस की बात नहीं और ट्रैफिक पुलिस को भी इसमें साथ देना होगा।
विभाग यह भी चाहता है कि स्कूल यह सुनिश्चित करें कि बच्चों को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी उन वाहनों को दी जाए, जो रजिस्टर्ड होंगे। दाहिया ने कहा, 'स्कूल यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि उनकी जिम्मेदारी स्कूल परिसर के भीतर स्टूडेंट की सुरक्षा तक ही है।' विभाग चाहता है कि स्कूल प्रिंसिपल को देखना चाहिए कि वैन पर उस स्कूल का नाम लिखा हो, जिस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे उसमें लाए-ले जाए जा रहे हैं। साथ ही पैरंट्स को समझाया जाए कि गैर-कानूनी वहनों से अपने बच्चों को स्कूल न भेजें।
स्कूल प्रिंसिपल्स उन्हें जिम्मेदार न माने जाने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बाद से वे ड्राइवरों और वाहनों के परमिट और लाइसेंस की कॉपीज अपने पास रखते हैं। कोहिणी के माउंट आबु पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने कहा, 'हम हमेशा ही प्राइवेट वैम्स के खिलाफ रहे हैं और लगातार पैरंट्स को इसके लिए मना करते हैं लेकिन हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स प्राइवेट कैब्स से स्कूल पहुंचते हैं।' वहीं, बाल भारती स्कूल की प्रिंसिपल गीता गंगवानी ने कहा, 'हम वैन में किसी एक पैरंट के साथ बच्चों को लाने-ले जाए जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं लेकिन इससे आगे कुछ जिम्मेदारी नहीं ले सकते। स्कूल की बसों में एक टीचर और एक अटेंडेंट होता है। हम प्राइवेट वैन्स में टीचर नहीं दे सकते।'
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