नई दिल्ली
नगर निगमों के स्कूलों के शिक्षकों को चार महीने से तनख्वाह नहीं मिलने से नाखुश दिल्ली हाई कोर्ट ने शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों और सफाई कर्मियों के साथ इस तरह का व्यवहार करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा नहीं चल सकता है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ शिक्षकों को ही वेतन नहीं मिल रहा है, बल्कि निगम के डॉक्टर, नर्सें और सफाई कर्मचारी भी इसी पीड़ा से जूझ रहे हैं। पीठ ने कहा कि शिक्षकों को वेतन का भुगतान करने के लिए अदालत का आदेश था, लेकिन दिल्ली सरकार समेत अन्य प्राधिकारियों ने उस निर्देश का पालन नहीं किया।
इसने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार और नगर निगमों के बीच समाज के गरीब लोग पिस रहे हैं जो सिर्फ अपने मासिक वेतन पर निर्भर हैं। पीठ को यह जानकर झटका लगा कि पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों द्वारा संचालित स्कूलों के शिक्षकों को सिर्फ पिछले साल नवंबर तक का ही वेतन दिया गया है। अदालत ने कहा, ‘क्या? आपने उन्हें नवंबर के बाद से वेतन नहीं दिया है? आप शिक्षकों के साथ इस तरह से व्यवहार नहीं कर सकते हैं। यह नहीं चल सकता। आप कैसे शिक्षक से बिना वेतन के सेवा की उम्मीद कर सकते हैं?’
पीठ ने कहा, ‘ यह सच में दिल्ली के लोगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि न सिर्फ शिक्षक बल्कि डॉक्टर, नर्सों और निगम के सफाई कर्मचारियों को भी वक्त पर तनख्वाह का भुगतान नहीं किया जा रहा है।’ अदालत ने दिल्ली सरकार और पूर्वी तथा उत्तरी दिल्ली नगर निगमों के आयुक्तों को अवमानना का नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 अप्रैल तय कर दी।
नगर निगमों के स्कूलों के शिक्षकों को चार महीने से तनख्वाह नहीं मिलने से नाखुश दिल्ली हाई कोर्ट ने शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों और सफाई कर्मियों के साथ इस तरह का व्यवहार करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा नहीं चल सकता है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ शिक्षकों को ही वेतन नहीं मिल रहा है, बल्कि निगम के डॉक्टर, नर्सें और सफाई कर्मचारी भी इसी पीड़ा से जूझ रहे हैं। पीठ ने कहा कि शिक्षकों को वेतन का भुगतान करने के लिए अदालत का आदेश था, लेकिन दिल्ली सरकार समेत अन्य प्राधिकारियों ने उस निर्देश का पालन नहीं किया।
इसने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार और नगर निगमों के बीच समाज के गरीब लोग पिस रहे हैं जो सिर्फ अपने मासिक वेतन पर निर्भर हैं। पीठ को यह जानकर झटका लगा कि पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगमों द्वारा संचालित स्कूलों के शिक्षकों को सिर्फ पिछले साल नवंबर तक का ही वेतन दिया गया है। अदालत ने कहा, ‘क्या? आपने उन्हें नवंबर के बाद से वेतन नहीं दिया है? आप शिक्षकों के साथ इस तरह से व्यवहार नहीं कर सकते हैं। यह नहीं चल सकता। आप कैसे शिक्षक से बिना वेतन के सेवा की उम्मीद कर सकते हैं?’
पीठ ने कहा, ‘ यह सच में दिल्ली के लोगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि न सिर्फ शिक्षक बल्कि डॉक्टर, नर्सों और निगम के सफाई कर्मचारियों को भी वक्त पर तनख्वाह का भुगतान नहीं किया जा रहा है।’ अदालत ने दिल्ली सरकार और पूर्वी तथा उत्तरी दिल्ली नगर निगमों के आयुक्तों को अवमानना का नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 11 अप्रैल तय कर दी।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: टीचरों को सैलरी नहीं, HC की फटकार