नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लाभ के पद मामले में अयोग्य ठहराए गए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी गई है। चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई हो। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'सत्य की जीत हुई।' कुछ ही देर में CM केजरीवाल सभी 20 विधायकों से मुलाकात भी करनेवाले हैं।
केजरीवाल ने आगे लिखा, 'दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।' उधर, AAP नेता अलका लांबा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सभी 20 विधायक बने रहेंगे, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है जो सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे।
AAP खेमे में दौड़ी खुशी की लहर
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में 15 से ज्यादा पूर्व विधायक भी मौजूद थे। फैसला आते ही AAP के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई और जश्न मनाया जाने लगा। सड़क पर लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाई बांटी गई। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भारद्वाज बोले, कोर्ट ने अपनी बात रखने का दिया मौका
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि विधायकों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था। अब कोर्ट ने उन्हें यह मौका दिया है। चुनाव आयोग दोबारा इस मामले की सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि जनवरी में AAP विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा, मैंने केवल मुद्दा उठाया था
उधर, AAP विधायकों की अयोग्यता के मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने कहा, 'कोर्ट ने कहा है कि यह केस दोबारा खुलेगा। मैंने केवल एक संवैधानिक मुद्दा उठाया था, मेरे लिए यह कोई झटका नहीं है।'
यह है पूरा मामला
दरअसल, 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।
बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
विधायक जिनकी सदस्यता गई थी-
1. प्रवीण कुमार- जंगपुरा से विधायक थे। इन्हें शिक्षा मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
2. शरद कुमार- नरेला से विधायक थे। इन्हें राजस्व मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
3. आदर्श शास्त्री- द्वारका से विधायक थे। उन्हें सूचना-प्रौद्योगिकी मामलों के मंत्री का सचिव बनाया गया था।
4. मदन लाल- कस्तूरबा नगर से विधायक थे। इन्हें विजिलेंस मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
5. शिव चरण गोयल- मोती नगर से विधायक थे। इन्हें फाइनैंस मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
6. संजीव झा- बुराड़ी से विधायक थे। इन्हें ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
7. सरिता सिंह- रोहतास नगर से विधायक थे। इन्हें एंप्लॉयमेंट मिनिस्टर का सचिव बनाया गया था।
8. नरेश यादव- मेहरौली से विधायक थे। उन्हें लेबर मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
9. राजेश गुप्ता- वजीरपुर से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
10. राजेश ऋषि- जनकपुरी से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
11. अनिल कुमार वाजपेयी- गांधी नगर से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
12. सोम दत्त- सदर बाजार से विधायक चुने गए थे। वह इंडस्ट्रीज मिनिस्टर के संसदीय सचिव बनाए गए थे।
13. अवतार सिंह- कालकाजी से विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्हें गुरुद्वारा चुनाव मामलों के मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
14. विजेंदर गर्ग विजय- राजेंद्र नगर से विधायक थे। उन्हें PWD मिनिस्टर का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था।
15. जरनैल सिंह- तिलक नगर से विधायक थे। उन्हें डिवेलपमेंट मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
16. कैलाश गहलोत- नजफगढ़ से विधायक थे। उन्हें लॉ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
17. अलका लांबा- चांदनी चौक से विधायक चुनी गई थीं। उन्हें पर्यटन मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
18. मनोज कुमार- कोंडली से चुनाव जीते थे। उन्हें खाद्य और नागरिक आपूर्ति मामलों के मंत्री का सचिव बनाया गया था।
19. नितिन त्यागी- लक्ष्मी नगर से विधायक चुने गए थे। उन्हें महिला और बाल एवं सामाजिक कल्याण मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
20. सुखवीर सिंह- मुंडका से चुनाव जीते थे। उन्हें भाषा और SC/ST/OBC कल्याण मामलों के मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लाभ के पद मामले में अयोग्य ठहराए गए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता बहाल कर दी गई है। चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई हो। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, 'सत्य की जीत हुई।' कुछ ही देर में CM केजरीवाल सभी 20 विधायकों से मुलाकात भी करनेवाले हैं।
केजरीवाल ने आगे लिखा, 'दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।' उधर, AAP नेता अलका लांबा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सभी 20 विधायक बने रहेंगे, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है जो सरकार गिराने की कोशिश कर रहे थे।
AAP खेमे में दौड़ी खुशी की लहर
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में 15 से ज्यादा पूर्व विधायक भी मौजूद थे। फैसला आते ही AAP के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई और जश्न मनाया जाने लगा। सड़क पर लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाई बांटी गई। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भारद्वाज बोले, कोर्ट ने अपनी बात रखने का दिया मौका
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि विधायकों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था। अब कोर्ट ने उन्हें यह मौका दिया है। चुनाव आयोग दोबारा इस मामले की सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि जनवरी में AAP विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ता ने कहा, मैंने केवल मुद्दा उठाया था
उधर, AAP विधायकों की अयोग्यता के मामले में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने कहा, 'कोर्ट ने कहा है कि यह केस दोबारा खुलेगा। मैंने केवल एक संवैधानिक मुद्दा उठाया था, मेरे लिए यह कोई झटका नहीं है।'
यह है पूरा मामला
दरअसल, 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।
बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
विधायक जिनकी सदस्यता गई थी-
1. प्रवीण कुमार- जंगपुरा से विधायक थे। इन्हें शिक्षा मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
2. शरद कुमार- नरेला से विधायक थे। इन्हें राजस्व मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
3. आदर्श शास्त्री- द्वारका से विधायक थे। उन्हें सूचना-प्रौद्योगिकी मामलों के मंत्री का सचिव बनाया गया था।
4. मदन लाल- कस्तूरबा नगर से विधायक थे। इन्हें विजिलेंस मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
5. शिव चरण गोयल- मोती नगर से विधायक थे। इन्हें फाइनैंस मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
6. संजीव झा- बुराड़ी से विधायक थे। इन्हें ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
7. सरिता सिंह- रोहतास नगर से विधायक थे। इन्हें एंप्लॉयमेंट मिनिस्टर का सचिव बनाया गया था।
8. नरेश यादव- मेहरौली से विधायक थे। उन्हें लेबर मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
9. राजेश गुप्ता- वजीरपुर से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
10. राजेश ऋषि- जनकपुरी से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
11. अनिल कुमार वाजपेयी- गांधी नगर से विधायक थे। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
12. सोम दत्त- सदर बाजार से विधायक चुने गए थे। वह इंडस्ट्रीज मिनिस्टर के संसदीय सचिव बनाए गए थे।
13. अवतार सिंह- कालकाजी से विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्हें गुरुद्वारा चुनाव मामलों के मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
14. विजेंदर गर्ग विजय- राजेंद्र नगर से विधायक थे। उन्हें PWD मिनिस्टर का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था।
15. जरनैल सिंह- तिलक नगर से विधायक थे। उन्हें डिवेलपमेंट मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
16. कैलाश गहलोत- नजफगढ़ से विधायक थे। उन्हें लॉ मिनिस्टर का संसदीय सचिव बनाया गया था।
17. अलका लांबा- चांदनी चौक से विधायक चुनी गई थीं। उन्हें पर्यटन मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
18. मनोज कुमार- कोंडली से चुनाव जीते थे। उन्हें खाद्य और नागरिक आपूर्ति मामलों के मंत्री का सचिव बनाया गया था।
19. नितिन त्यागी- लक्ष्मी नगर से विधायक चुने गए थे। उन्हें महिला और बाल एवं सामाजिक कल्याण मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
20. सुखवीर सिंह- मुंडका से चुनाव जीते थे। उन्हें भाषा और SC/ST/OBC कल्याण मामलों के मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था।
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