Monday, February 12, 2018

जेसीबी के डर से रातभर जागकर तोड़ीं अपनी ही दुकानें

सुनाक्षी गुप्ता, नई दिल्ली

दक्षिणी दिल्ली के सैदुल्लाजाब स्थित इग्नू रोड पर सड़क से अतिक्रमण हटाने के लिए जब साउथ डीएम की टीम पहुंची तो हैरान रह गयी। दरअसल इग्नू रोड पर अतिक्रमण बढ़ने के कारण डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स ने 10 दिन पहले सड़क किनारे बनी दुकानों को तोड़ने का नोटिस दिया था। अतिक्रमण हटाने के लिए सोमवार को जब यहां टीम पहुंची तो वह चकित रह गयी। दुकानदार जेसीबी मशीन के डर से खुद ही अपनी दुकानें तुड़वा रहे थे। उनका कहना है कि मशीन अगर दुकान तोड़ेगी तो हमारे मकान को भी नुकसान पहुंचेगा और बचा हुआ हिस्सा भी जर्जर हो जाएगा। इसलिए उनके परिवार ने खुद ही रातभर में अपनी दुकान तोड़ ली।

सरकार के एक्शन का डर इस कदर लोगों में बना हुआ था कि कोई लेबर बुलाकर तो किसी का पूरा घर मिलकर अपनी दुकान तोड़ने में लगा हुआ था। लोगों ने बताया कि दुकान के पीछे ही सभी ने अपने घर भी बना रखे थे। उन्हें डर था कि अगर मशीन चली तो जो हिस्सा नहीं टूटना है वह भी टूट जाएगा। फिर उनके रहने के लिए भी कोई जगह नहीं बचेगी और वे सड़क पर आ जाएंगे। इसलिए उन्होंने जेसीबी आने से पहले रातभर जगकर दुकानें तोड़ डाली।

डीएम साउथ डिस्ट्रिक्ट अमजद ने बताया कि इस सड़क की चौड़ाई 60 फुट थी, जो अतिक्रमण के कारण घटकर 40 फुट रह गई थी। इसके लिए दिसंबर में डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स टीम ने ऐक्शन लेने का प्लान बनाया। 31 जनवरी को सभी दुकानदारों को नोटिस दिया गया। सोमवार को ऐक्शन लेते हुए 240 दुकानें तोड़ी गई हैं। इसके लिए दिल्ली पुलिस, जल बोर्ड, एसडीएमसी और सिविल डिफेंस की टीम ने साथ मिलकर सड़क को अतिक्रमण मुक्त कराया।

सड़क के दोनों तरफ से 10-10 फुट तक अतिक्रमण हटाने का काम किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों की शिकायत है कि अधिकारियों ने सड़क के एक तरफ बनी दुकानें ही तुड़वाई हैं। जबकि सड़क की दूसरी तरफ बने डीडीए के पार्क पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह पार्क भी अतिक्रमण करके ही बनाया गया है। लोगों की शिकायत है कि गरीब का गला काटा जा रहा है। वहीं एसडीएम साकेत रामचंद्र शिंगरे का कहना है कि डीडीए से इस बारे में बात की जा रही है, आगे जाकर यह पार्क भी तोड़ा जा सकता है।

स्थानीय निवासी इंतजार अहमद ने कहा, 'मेरी जूस की दुकान थी, जिसके सहारे 7 लोगों का परिवार चलता था। लेकिन अब हमारे पास कुछ नहीं बचा। यहां तक कि मशीन के डर से हमने खुद लेबर बुलाकर अपनी दुकान तुड़वाई। इसके लिए हमने अलग से 40 हजार रुपये देने पड़े। ताकि कम से कम हमारा मकान बच सके।'

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