प्रशांत सोनी, नई दिल्ली
आखिर बीजेपी में क्यों 'फिट' नहीं हो पाए पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली! काफी समय से एक अदद सिख चेहरे को तलाश रही बीजेपी के लिए यमुनापार का यह दिग्गज नेता 'ट्रंप कार्ड' साबित हो सकता था, लेकिन 'संगठन' को देख रहे लोग लवली को संभाल नहीं पाए। लवली के करीबी बताते हैं कि उनकी कांग्रेस में वापसी के पीछे यही एक बड़ी वजह रही।
दरअसल दिल्ली बीजेपी के कुछ नेता और पदाधिकारी लवली को लगातार यह जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे कि वो बाहरी हैं, लिहाजा उनकी यहां दाल गलने वाली नहीं है। पिछले 10 महीने के दौरान उन्हें 'गैर-जिम्मेदार' ही माना गया, इसलिए कोई काम नहीं सौंपा गया। हालांकि उन्हें पार्टी की अहम बैठकों में जरूर बुलाया जाता था, लेकिन वहां भी उनकी बात को ज्यादा तरजीह नहीं मिलती थी। बीजेपी में उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की तस्वीर भी साफ नहीं दिख रही थी। बहरहाल, बीजेपी में एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने लवली को अंदर तक झकझोर दिया। इस दौरान संयोग से कांग्रेस लीडरशिप की तरफ से उनकी 'घर वापसी' की पहल बड़े स्तर पर की गई तो उन्होंने भी 'हाथ' को लपकने में बिल्कुल देरी नहीं की।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते बीजेपी की एक मीटिंग के दौरान अपनी अवहेलना से लवली काफी आहत हुए और उन्होंने तभी बीजेपी को बाय-बाय करने का फैसला कर लिया। हुआ यह कि बीजेपी दिल्ली सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन की प्लानिंग कर रही थी और लवली को तत्काल प्रदेश मुख्यालय बुलाया गया। उन्हें बताया गया कि पार्टी दिल्ली सरकार की नाकामियों का एक 'श्वेत पत्र' जारी करेगी, जिसे तैयार करने में उनके सहयोग की दरकार है। इस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष मनोज तिवारी के अलावा विधानसभा में विपक्ष के नेता, पार्टी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, तीनों महामंत्री और संगठन मंत्री को भी रहना था। लेकिन जब लवली प्रदेश मुख्यालय पहुंचे तो वहां सिर्फ दो महामंत्री और संगठन मंत्री के अलावा कोई नहीं था।
नहीं पहचानी 'कद' की कीमत?
लवली को बाद में पता चला कि प्रदेश अध्यक्ष को तो इस अहम मीटिंग की जानकारी तक नहीं थी। विधानसभा में विपक्ष के नेता भी देर से आए। संगठन मंत्री लवली को यह कहकर चलते बने कि अभी वह दोनों महामंत्रियों से चर्चा कर 'श्वेत पत्र' का मसौदा तैयार कर लें, बाद में उस पर अन्य वरिष्ठ नेताओं की भी राय ले ली जाएगी। लवली को जिन दो महामंत्रियों के साथ मीटिंग के लिए छोड़ा गया था, राजनीतिक कद और अनुभव के मामले में वे दोनों लवली के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं। इससे लवली काफी आहत हुए और किसी तरह जल्द ही मीटिंग निपटाकर वहां से निकल गए। सूत्रों के मुताबिक उन्हें इस बात से भी झटका लगा कि प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सलाह लिए बिना ही अहम मीटिंग्स हो रही थीं। बस तभी, लवली ने बीजेपी छोड़ने का मन बना लिया था। बहरहाल, बीजेपी नेताओं ने कहा कि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था, जिससे उनके पार्टी छोड़ने की नौबत आ गई।
आखिर बीजेपी में क्यों 'फिट' नहीं हो पाए पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली! काफी समय से एक अदद सिख चेहरे को तलाश रही बीजेपी के लिए यमुनापार का यह दिग्गज नेता 'ट्रंप कार्ड' साबित हो सकता था, लेकिन 'संगठन' को देख रहे लोग लवली को संभाल नहीं पाए। लवली के करीबी बताते हैं कि उनकी कांग्रेस में वापसी के पीछे यही एक बड़ी वजह रही।
दरअसल दिल्ली बीजेपी के कुछ नेता और पदाधिकारी लवली को लगातार यह जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे कि वो बाहरी हैं, लिहाजा उनकी यहां दाल गलने वाली नहीं है। पिछले 10 महीने के दौरान उन्हें 'गैर-जिम्मेदार' ही माना गया, इसलिए कोई काम नहीं सौंपा गया। हालांकि उन्हें पार्टी की अहम बैठकों में जरूर बुलाया जाता था, लेकिन वहां भी उनकी बात को ज्यादा तरजीह नहीं मिलती थी। बीजेपी में उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य की तस्वीर भी साफ नहीं दिख रही थी। बहरहाल, बीजेपी में एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने लवली को अंदर तक झकझोर दिया। इस दौरान संयोग से कांग्रेस लीडरशिप की तरफ से उनकी 'घर वापसी' की पहल बड़े स्तर पर की गई तो उन्होंने भी 'हाथ' को लपकने में बिल्कुल देरी नहीं की।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते बीजेपी की एक मीटिंग के दौरान अपनी अवहेलना से लवली काफी आहत हुए और उन्होंने तभी बीजेपी को बाय-बाय करने का फैसला कर लिया। हुआ यह कि बीजेपी दिल्ली सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन की प्लानिंग कर रही थी और लवली को तत्काल प्रदेश मुख्यालय बुलाया गया। उन्हें बताया गया कि पार्टी दिल्ली सरकार की नाकामियों का एक 'श्वेत पत्र' जारी करेगी, जिसे तैयार करने में उनके सहयोग की दरकार है। इस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष मनोज तिवारी के अलावा विधानसभा में विपक्ष के नेता, पार्टी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, तीनों महामंत्री और संगठन मंत्री को भी रहना था। लेकिन जब लवली प्रदेश मुख्यालय पहुंचे तो वहां सिर्फ दो महामंत्री और संगठन मंत्री के अलावा कोई नहीं था।
नहीं पहचानी 'कद' की कीमत?
लवली को बाद में पता चला कि प्रदेश अध्यक्ष को तो इस अहम मीटिंग की जानकारी तक नहीं थी। विधानसभा में विपक्ष के नेता भी देर से आए। संगठन मंत्री लवली को यह कहकर चलते बने कि अभी वह दोनों महामंत्रियों से चर्चा कर 'श्वेत पत्र' का मसौदा तैयार कर लें, बाद में उस पर अन्य वरिष्ठ नेताओं की भी राय ले ली जाएगी। लवली को जिन दो महामंत्रियों के साथ मीटिंग के लिए छोड़ा गया था, राजनीतिक कद और अनुभव के मामले में वे दोनों लवली के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं। इससे लवली काफी आहत हुए और किसी तरह जल्द ही मीटिंग निपटाकर वहां से निकल गए। सूत्रों के मुताबिक उन्हें इस बात से भी झटका लगा कि प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सलाह लिए बिना ही अहम मीटिंग्स हो रही थीं। बस तभी, लवली ने बीजेपी छोड़ने का मन बना लिया था। बहरहाल, बीजेपी नेताओं ने कहा कि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं था, जिससे उनके पार्टी छोड़ने की नौबत आ गई।
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