Sunday, February 4, 2018

राइडरशिप 30 लाख और बेटिकट सिर्फ 214?

Prem.Tripathi@timesgroup.com, नई दिल्ली
घाटे में दौड़ रहीं डीटीसी बसों पर कुछ हद तक इसके टिकट चेकिंग दस्तों की लापरवाही भारी पड़ रही है। यह सवाल आरटीआई में मिले जवाबों को परखने के बाद खड़ा हुआ है। दरअसल, डीटीसी की बसों में रोजाना 30 लाख से ज्यादा लोग सफर करते हैं, लेकिन इसके चेकिंग दस्ते, सिर्फ 214 लोगों को ही बिना टिकट पकड़ पाते हैं।

डीटीसी को भेजी गई आरटीआई में पूछा गया था कि बीते साल अक्टूबर-नवंबर महीने में उसकी बसों में कितने बेटिकट यात्री पकड़े गए और उनसे कितना जुर्माना वसूला गया। डीटीसी के करीब 38 डिपो और चेकिंग कार्यालयों से इसका जवाब आया। आंकड़ों के मुताबिक, डीटीसी के टिकट चेकिंग दस्तों ने अक्टूबर-नवंबर महीने में सिर्फ 13,067 यात्रियों को बिना टिकट पकड़ा। इनसे जुर्माने के तौर पर 26,94800 रुपये वसूले गए। इसमें वेस्ट रीजन सबसे आगे रहा। यहां 7,606 लोगों को बिना टिकट पकड़ा गया। इनसे 15,82400 रुपये जुर्माना वसूला गया। हालांकि यह भी 124 यात्री रोजाना ही है।

सबसे खराब स्थिति साउथ रीजन की है। यहां 2 महीनों में 817 लोग ही बिना टिकट पकड़ में आए। इनसे 1,63600 रुपये वसूले गए। वहीं, नॉर्थ रीजन में 1200 लोगों से 2,40200 रुपये और ईस्ट रीजन में 3073 लोगों से 6,34400 रुपये वसूले गए। 371 लोगों को सिंधिया हाउस के चेकिंग दस्तों ने भी पकड़ा। इनसे 74,200 रुपये जुर्माना मिला। ध्यान रहे कि एक बेटिकट यात्री से डीटीसी 200 रुपये जुर्माना वसूलती है।

स्टाफ की कमी, इसलिए नहीं की चेकिंग
सबसे हैरानी वाला जवाब जीटीके रोड डिपो की तरफ से आया। बताया गया कि स्टाफ की कमी के चलते बेटिकट लोगों को पकड़ने की कार्रवाई नहीं की गई।

इनके जवाब आधे-अधूरे
द्वारका सेक्टर-2 डिपो ने 168 लोगों को बिना टिकट बसों में पकड़ा। लेकिन यह नहीं बताया कि जुर्माना कितना वसूला।
दिचाऊ कला डिपो ने 41,600 रुपये वसूलने की बात तो बताई, लेकिन यह साफ नहीं किया कि कितने लोग पकड़े गए।
रोहिणी-4 डिपो ने जवाब दिया कि उसके पास बेटिकट लोगों से जुड़ा कोई रेकॉर्ड नहीं है। जबकि उसी रीजन के रोहिणी-1 और 2 डिपो ने पूरी डिटेल्स शेयर कीं।

इसलिए मांगे अक्टूबर-नवंबर के आंकड़े
बीते साल 10 अक्टूबर को दूसरी बार दिल्ली मेट्रो के किराए में बढ़ोतरी हुई थी। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने डीटीसी बसों का रुख किया था। तब डीटीसी की राइडरशिप भी 32 लाख रोजाना को पार कर गई थी। डीटीसी बसों में बिना टिकट सफर करने वालों की कमी नहीं है। ऐसे में यह समझना जरूरी था कि टिकट चेकिंग दस्तों ने किस लेवल तक अपना काम किया।

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