Thursday, January 4, 2018

मेट्रो निदेशकों में SC/ST से कोई नहीं, नाराजगी

नई दिल्ली
संसद की अनुसूचित और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति ने दिल्ली मेट्रो के 17 निदेशकों में से अनुसूचित जाति और जनजाति का एक भी निदेशक न होने पर नाखुशी जताते हुए कहा है कि इस दिशा में सरकार ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किए हैं। समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि वह मेट्रो के निदेशक मंडल में कम से कम एक निदेशक अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से नियुक्त करने के लिए स्पष्ट नीति तैयार करे।

संसद में गुरुवार को पेश की गई इस रिपोर्ट में कमिटी ने कहा कि उसका दृढ़ मत है कि सरकार ने इस वर्ग के निदेशक को नियुक्त करने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किए हैं। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सामाजिक न्याय की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत सरकार को मेट्रो कंपनी में रिजर्वेशन के जरिए कम से कम एक निदेशक इसी वर्ग से नियुक्त करके उसे प्रतिनिधित्व देना चाहिए। कमिटी ने कहा है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाकर उसे सूचित भी करे।

कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली मेट्रो ने उसे सूचित किया है कि वह 3428 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चला रहा है और उसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है। इस अभियान में अनुसूचित जाति के लिए 100 और अनुसूचित जनजाति के लिए 143 पदों को शामिल किया गया है। कमिटी का कहना है कि उसे बताया गया है कि इस प्रक्रिया के पूरा होने के बकाया खाली पदों का आकलन करके विशेष भर्ती अभियान चलाया जाएगा, जो दिसंबर 2018 तक पूरा हो सकता है।

कमिटी ने दिल्ली मेट्रो के इस तर्क को भी थकाउ बताया है, जिसमें तर्क दिया गया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मदेवार प्रवेश स्तर पर उपलब्ध नहीं होते। कमिटी का कहना है कि पदों को भरने के लिए प्रचार किया जाता है, वह पर्याप्त नहीं होता। कमिटी को लग रहा है कि योग्य उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है। दिल्ली मेट्रो को भर्ती और पदोन्नति संबंधीअपनी नीति का मंत्रालय की ओर से आकलन करना चाहिए।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: मेट्रो निदेशकों में SC/ST से कोई नहीं, नाराजगी