नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से उन तथ्यों के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा है, जिनके आधार पर आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का फैसला लिया गया। गौरतलब है कि लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने भी मुहर लगा दी है, जिसके बाद ये विधायक अब पूर्व विधायक हो गए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने आयोग से इस बाबत एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस संजीव खन्ना और चंद्र शेखर की एक बेंच ने चुनाव आयोग को यह आदेश दिया। इससे पहले EC ने कहा था कि वह अयोग्य घोषित किए गए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली विधायकों की अर्जी में लगाए गए कुछ आरोपों पर जवाब देना चाहता है। आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह अपनी उस सिफारिश पर कायम है, जो राष्ट्रपति से की गई। आरोप लगाया गया था कि AAP के 20 विधायकों को संसदीय सचिव भी नियुक्त किया गया था।
शुरू में जब यह मामला सुनवाई में सामने आया तो कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को मामले में चुनाव आयोग की सिनॉप्सिस पर गौर करने को कहा था जिससे यह फैसला किया जाए कि क्या हलफनामा की जरूरत है? इसके बाद दोबारा मामला सामने रखा गया। दूसरे दौर की सुनवाई में बेंच ने कहा कि 250 पेज की लंबी सिनॉप्सिस में कई दस्तावेज समाहित हैं और यह काफी बड़ी है। कोर्ट ने EC से संक्षेप में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
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अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए सात फरवरी की तारीख तय की है, तब तक MLAs को EC के हलफनामे पर अपना-अपना जवाब दाखिल करना होगा। गौरतलब है कि ऐडवोकेट प्रशांत पटेल की अर्जी पर चुनाव आयोग ने विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी। बेंच ने ऐडवोकेट प्रशांत से भी MLAs की याचिकाओं पर अपना स्टैंड सामने रखने को कहा है।
अदालत ने खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा को लेकर अधिसूचना जारी करने से EC पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश की समयसीमा भी 7 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले प्रशांत पटेल ने मामले को खंडपीठ के समक्ष भेजे जाने का अनुरोध करते हुए अर्जी दी थी जिसके बाद सोमवार को इसे खंडपीठ के समक्ष भेजा गया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से उन तथ्यों के बारे में पूरी जानकारी देने को कहा है, जिनके आधार पर आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का फैसला लिया गया। गौरतलब है कि लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने भी मुहर लगा दी है, जिसके बाद ये विधायक अब पूर्व विधायक हो गए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने आयोग से इस बाबत एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस संजीव खन्ना और चंद्र शेखर की एक बेंच ने चुनाव आयोग को यह आदेश दिया। इससे पहले EC ने कहा था कि वह अयोग्य घोषित किए गए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली विधायकों की अर्जी में लगाए गए कुछ आरोपों पर जवाब देना चाहता है। आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह अपनी उस सिफारिश पर कायम है, जो राष्ट्रपति से की गई। आरोप लगाया गया था कि AAP के 20 विधायकों को संसदीय सचिव भी नियुक्त किया गया था।
शुरू में जब यह मामला सुनवाई में सामने आया तो कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को मामले में चुनाव आयोग की सिनॉप्सिस पर गौर करने को कहा था जिससे यह फैसला किया जाए कि क्या हलफनामा की जरूरत है? इसके बाद दोबारा मामला सामने रखा गया। दूसरे दौर की सुनवाई में बेंच ने कहा कि 250 पेज की लंबी सिनॉप्सिस में कई दस्तावेज समाहित हैं और यह काफी बड़ी है। कोर्ट ने EC से संक्षेप में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
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अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए सात फरवरी की तारीख तय की है, तब तक MLAs को EC के हलफनामे पर अपना-अपना जवाब दाखिल करना होगा। गौरतलब है कि ऐडवोकेट प्रशांत पटेल की अर्जी पर चुनाव आयोग ने विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी। बेंच ने ऐडवोकेट प्रशांत से भी MLAs की याचिकाओं पर अपना स्टैंड सामने रखने को कहा है।
अदालत ने खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा को लेकर अधिसूचना जारी करने से EC पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश की समयसीमा भी 7 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले प्रशांत पटेल ने मामले को खंडपीठ के समक्ष भेजे जाने का अनुरोध करते हुए अर्जी दी थी जिसके बाद सोमवार को इसे खंडपीठ के समक्ष भेजा गया था।
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