नई दिल्ली
प्रदूषण की वजह से अब दिल्ली के कोहरे में छेद होने लगे हैं। इसका मतलब है कि घने कोहरे के बीच किसी हिस्से पर आसमान साफ रह जाता है। इसे फॉग होल कहा जाता है। इसकी वजह से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। पिछले 17 साल की सैटलाइट इमेज में यह बात सामने आई है। पूरी दुनिया के मुकाबले दिल्ली में सबसे ज्यादा फॉग होल मिले हैं। अमेरिकन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बाकी शहरी इलाकों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही फॉग होल पाए गए हैं।
कोहरा सर्दियों के लिए जरूरी माना जाता है। फॉग होल बनने से जमीन में नमी कम होने लगती है। इसके साथ ही उस खास जगह पर तापमान भी अधिक बना रहता है। फॉग होल वाली जगहों पर अधिकतम और न्यूनतम तापमान में काफी अंतर हो जाता है और लोग ज्यादा बीमार होते हैं। पक्षियों और जीवों पर खतरनाक असर होता है और वह पलायन तक करने लगते हैं। पिछले 17 सालों के डेटा पर प्रफेसर रितेश गौतम और मनोज सिंह ने एक रिसर्च की है। इस रिसर्च में कहा गया है कि प्रदूषण की वजह से फॉग के बनने की प्रक्रिया धीमी हो रही है।
दिल्ली में दिसंबर और जनवरी में 90 से अधिक फॉग होल पाए गए। आठ साल (2009-2016) के आकलन में पाया गया कि ऐसे केस दिल्ली में लगातार बढ़ रहे हैं। स्काईमेट के चीफ मेट्रोलॉजिस्ट डॉ. महेश पलावत के अनुसार फॉग होल घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा होता है। जिन इलाकों में हरियाली कम और ट्रैफिक जैसी गतिविधियां ज्यादा हैं, वहां कोहरे में छेद होने लगते हैं। सर्दियों में साउथ एक्स, आरके पुरम, पंजाबी बाग जैसे इलाकों में फॉग जल्दी खत्म होता है।
प्रदूषण की वजह से अब दिल्ली के कोहरे में छेद होने लगे हैं। इसका मतलब है कि घने कोहरे के बीच किसी हिस्से पर आसमान साफ रह जाता है। इसे फॉग होल कहा जाता है। इसकी वजह से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। पिछले 17 साल की सैटलाइट इमेज में यह बात सामने आई है। पूरी दुनिया के मुकाबले दिल्ली में सबसे ज्यादा फॉग होल मिले हैं। अमेरिकन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बाकी शहरी इलाकों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही फॉग होल पाए गए हैं।
कोहरा सर्दियों के लिए जरूरी माना जाता है। फॉग होल बनने से जमीन में नमी कम होने लगती है। इसके साथ ही उस खास जगह पर तापमान भी अधिक बना रहता है। फॉग होल वाली जगहों पर अधिकतम और न्यूनतम तापमान में काफी अंतर हो जाता है और लोग ज्यादा बीमार होते हैं। पक्षियों और जीवों पर खतरनाक असर होता है और वह पलायन तक करने लगते हैं। पिछले 17 सालों के डेटा पर प्रफेसर रितेश गौतम और मनोज सिंह ने एक रिसर्च की है। इस रिसर्च में कहा गया है कि प्रदूषण की वजह से फॉग के बनने की प्रक्रिया धीमी हो रही है।
दिल्ली में दिसंबर और जनवरी में 90 से अधिक फॉग होल पाए गए। आठ साल (2009-2016) के आकलन में पाया गया कि ऐसे केस दिल्ली में लगातार बढ़ रहे हैं। स्काईमेट के चीफ मेट्रोलॉजिस्ट डॉ. महेश पलावत के अनुसार फॉग होल घनी आबादी वाले इलाकों में ज्यादा होता है। जिन इलाकों में हरियाली कम और ट्रैफिक जैसी गतिविधियां ज्यादा हैं, वहां कोहरे में छेद होने लगते हैं। सर्दियों में साउथ एक्स, आरके पुरम, पंजाबी बाग जैसे इलाकों में फॉग जल्दी खत्म होता है।
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