पारस सिंह, नई दिल्ली
गरीबों और बेसहारों की मदद के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। वहीं, दिल्ली में एक कुनबा (परिवार) ऐसा है जो भूखों को खाना खिलाकर पुण्य कमा रहा है। ये लोग गाड़ी के जरिए अलग-अलग इलाकों में जाकर भूख के खिलाफ अभियान चलाते हैं। गाड़ी पर हनुमानजी की तस्वीर वाला एक होर्डिंग नजर आएगा। इसपर लिखा है, 'बालाजी कुनबा- एक परिवार भूख के खिलाफ'। इसमें आगे लिखा है, 'वह मंदिर का लड्डू भी खाता है, मस्जिद की खीर भी खाता है। वह भूखा है 'साहब' उसे, मजहब कहां समझ में आता है।'
आईएनए मार्केट के पीछे पिल्लांजी इलाका है। यहां स्थित एक मंदिर से इस अभियान का आयोजन किया जाता है। यहीं पर नाश्ता और खाना तैयार किया जाता है। ब्रेड पकोड़ों को तल रहे 31 साल के दिनेश चौधरी बोले, 'हमारा लक्ष्य है- एक परिवार भूख के खिलाफ।' हमारा संदेश है, 'भूख पर क्रोध दिखाओ, धार्मिक मुद्दों पर नहीं।' होर्डिंग पर बनी हनुमानजी की गुस्से वाली तस्वीर के बारे में बताया कि यहां हनुमानजी के क्रोध से हम भूख और गरीबी मिटा रहे हैं।
शुरुआत में इस काम को चार चचेरे भाइयों ने शुरू किया था। बाद में यह टीम बढ़कर 10 लोगों की हो गई। पिछले नौ महीनों से ये लोग एम्स, आरएमएल और जीबी पंत जैसे अस्पतालों के बाहर मुफ्त में खाना बांटते आ रहे हैं। इसके अलावा ये लोग बेघर और झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोगों को भी खाना देते हैं।
दिनेश ने बताया, 'मैं अकसर भूखे बच्चों को सड़क किनारे भीख मांगते देखता था, तभी मैंने फैसला किया कि इन्हें पैसे देने से अच्छा है खाना दिया जाए।' दिनेश और उनकी टीम हर मंगलवार, शनिवार और त्योहारों पर गरीबों को खाना खिलाते हैं। उनके खाने में पूरी-सब्जी, हलवा और काबुली चने के अलावा खास मौकों पर मिठाई भी होती है। यह कुनबा आमतौर पर 300 लोगों को खाना खिलाता है। वहीं, दिनेश का कहना है कि एक बार में वे 1000 लोगों को नश्ता खिलाते हैं।
गरीबों और बेसहारों की मदद के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। वहीं, दिल्ली में एक कुनबा (परिवार) ऐसा है जो भूखों को खाना खिलाकर पुण्य कमा रहा है। ये लोग गाड़ी के जरिए अलग-अलग इलाकों में जाकर भूख के खिलाफ अभियान चलाते हैं। गाड़ी पर हनुमानजी की तस्वीर वाला एक होर्डिंग नजर आएगा। इसपर लिखा है, 'बालाजी कुनबा- एक परिवार भूख के खिलाफ'। इसमें आगे लिखा है, 'वह मंदिर का लड्डू भी खाता है, मस्जिद की खीर भी खाता है। वह भूखा है 'साहब' उसे, मजहब कहां समझ में आता है।'
आईएनए मार्केट के पीछे पिल्लांजी इलाका है। यहां स्थित एक मंदिर से इस अभियान का आयोजन किया जाता है। यहीं पर नाश्ता और खाना तैयार किया जाता है। ब्रेड पकोड़ों को तल रहे 31 साल के दिनेश चौधरी बोले, 'हमारा लक्ष्य है- एक परिवार भूख के खिलाफ।' हमारा संदेश है, 'भूख पर क्रोध दिखाओ, धार्मिक मुद्दों पर नहीं।' होर्डिंग पर बनी हनुमानजी की गुस्से वाली तस्वीर के बारे में बताया कि यहां हनुमानजी के क्रोध से हम भूख और गरीबी मिटा रहे हैं।
शुरुआत में इस काम को चार चचेरे भाइयों ने शुरू किया था। बाद में यह टीम बढ़कर 10 लोगों की हो गई। पिछले नौ महीनों से ये लोग एम्स, आरएमएल और जीबी पंत जैसे अस्पतालों के बाहर मुफ्त में खाना बांटते आ रहे हैं। इसके अलावा ये लोग बेघर और झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोगों को भी खाना देते हैं।
दिनेश ने बताया, 'मैं अकसर भूखे बच्चों को सड़क किनारे भीख मांगते देखता था, तभी मैंने फैसला किया कि इन्हें पैसे देने से अच्छा है खाना दिया जाए।' दिनेश और उनकी टीम हर मंगलवार, शनिवार और त्योहारों पर गरीबों को खाना खिलाते हैं। उनके खाने में पूरी-सब्जी, हलवा और काबुली चने के अलावा खास मौकों पर मिठाई भी होती है। यह कुनबा आमतौर पर 300 लोगों को खाना खिलाता है। वहीं, दिनेश का कहना है कि एक बार में वे 1000 लोगों को नश्ता खिलाते हैं।
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