नई दिल्ली
दिल्ली के तिलकनगर के 12 ब्लॉक इलाके में शराब की दुकानें रहेंगी या नहीं, इसका फैसला करने के लिए कम्युनिटी हॉल में इलाके के ही लोग जमा हुए। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी पहुंचे। इस दौरान दोनों पक्षों के लोगों ने अपनी बात रखी। ज्यादातर लोग शराब की दुकान हटाने के पक्ष में थे। लोगों का कहना था कि कॉलोनी में शराब की दुकान होने से गड़बड़ होती है। लड़कियां गली में निकलने से डरती हैं। शराबी गली में ही शराब पीते हैं और हंगामा भी करते हैं। हालांकि शराब की दुकान की मालकिन ने इन आरोपों को गलत बताया। वह इमोशनल हो गईं। उनका कहना था कि 13 साल से उनके खिलाफ एक भी शिकायत नहीं है। लोगों ने भी कहा कि वे दुकान चलाने वाले परिवार के खिलाफ नहीं हैं।
तिलक नगर के विधायक जरनैल सिंह ने मीटिंग में सबकी बातें नोट कीं। इलाके के एक बुजुर्ग ने बताया कि वह कई साल से शराब की टूटी बोतलें उठा रहे हैं। शराबी गली में ही बोतलें तोड़कर फेंक देते हैं। शीशे के टुकड़े उठाने में कई बार उनके हाथ तक कट गए थे। लोगों ने बताया कि लोग घरों के आगे शराब पीते हैं। लड़कियां बाहर निकलने से डरती हैं।
आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने दावा किया कि शराब की दुकान के ऊपर रेजिडेंशल फ्लोर है। नियमों के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता। वोटिंग के दौरान ज्यादातर लोगों ने हाथ उठाकर दुकान का विरोध किया। ठेका चलाने वाले परिवार ने इन आरोपों का विरोध किया। दुकान की मालकिन रंजना शर्मा ने कहा कि दुकान की वजह से कोई परेशानी नहीं है।
लोगों के कहने पर हमने कैमरे लगवाए हैं। उसकी रिकॉर्डिंग देखी जा सकती है। महिला ने बताया कि उनके पति और बेटे की मौत हो चुकी है। इकतरफा फैसले से उनकी रोजी-रोटी पर खतरा हो जाएगा। कुछ लोगों ने परिवार को किसी मॉल में वाइन शॉप का लाइसेंस देने की भी अपील की। मीटिंग में सिसोदिया ने कहा कि अब दिल्ली में जनता फैसला लेगी और सरकार लागू करेगी। उन्होंने कहा कि समस्या शराब से नहीं, उपद्रव से है। उन्होंने कहा कि आज हम फैसला करने नहीं, आपकी बात सुनने आए हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि सही तरीका यही है कि जो भुगतभोगी हों, वही फैसला करें। अगर कोई तीसरा फैसला ले या बंद कमरे में फैसला हो तो गड़बड़ी हो सकती है।
दिल्ली के तिलकनगर के 12 ब्लॉक इलाके में शराब की दुकानें रहेंगी या नहीं, इसका फैसला करने के लिए कम्युनिटी हॉल में इलाके के ही लोग जमा हुए। इस मीटिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी पहुंचे। इस दौरान दोनों पक्षों के लोगों ने अपनी बात रखी। ज्यादातर लोग शराब की दुकान हटाने के पक्ष में थे। लोगों का कहना था कि कॉलोनी में शराब की दुकान होने से गड़बड़ होती है। लड़कियां गली में निकलने से डरती हैं। शराबी गली में ही शराब पीते हैं और हंगामा भी करते हैं। हालांकि शराब की दुकान की मालकिन ने इन आरोपों को गलत बताया। वह इमोशनल हो गईं। उनका कहना था कि 13 साल से उनके खिलाफ एक भी शिकायत नहीं है। लोगों ने भी कहा कि वे दुकान चलाने वाले परिवार के खिलाफ नहीं हैं।
तिलक नगर के विधायक जरनैल सिंह ने मीटिंग में सबकी बातें नोट कीं। इलाके के एक बुजुर्ग ने बताया कि वह कई साल से शराब की टूटी बोतलें उठा रहे हैं। शराबी गली में ही बोतलें तोड़कर फेंक देते हैं। शीशे के टुकड़े उठाने में कई बार उनके हाथ तक कट गए थे। लोगों ने बताया कि लोग घरों के आगे शराब पीते हैं। लड़कियां बाहर निकलने से डरती हैं।
आरडब्ल्यूए के सदस्यों ने दावा किया कि शराब की दुकान के ऊपर रेजिडेंशल फ्लोर है। नियमों के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता। वोटिंग के दौरान ज्यादातर लोगों ने हाथ उठाकर दुकान का विरोध किया। ठेका चलाने वाले परिवार ने इन आरोपों का विरोध किया। दुकान की मालकिन रंजना शर्मा ने कहा कि दुकान की वजह से कोई परेशानी नहीं है।
लोगों के कहने पर हमने कैमरे लगवाए हैं। उसकी रिकॉर्डिंग देखी जा सकती है। महिला ने बताया कि उनके पति और बेटे की मौत हो चुकी है। इकतरफा फैसले से उनकी रोजी-रोटी पर खतरा हो जाएगा। कुछ लोगों ने परिवार को किसी मॉल में वाइन शॉप का लाइसेंस देने की भी अपील की। मीटिंग में सिसोदिया ने कहा कि अब दिल्ली में जनता फैसला लेगी और सरकार लागू करेगी। उन्होंने कहा कि समस्या शराब से नहीं, उपद्रव से है। उन्होंने कहा कि आज हम फैसला करने नहीं, आपकी बात सुनने आए हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि सही तरीका यही है कि जो भुगतभोगी हों, वही फैसला करें। अगर कोई तीसरा फैसला ले या बंद कमरे में फैसला हो तो गड़बड़ी हो सकती है।
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