नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी (आप) ने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला कदम बताते हुए कहा है कि यह अब तक की सबसे घातक पहल साबित होगी। आप के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य एन.डी.गुप्ता ने मंगलवार कहा कि चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बॉन्ड के नाम पर दानदाताओं की जानकारी छुपाने को कानूनी मान्यता देने की कोशिश हो रही है।
वित्तीय मामलों के जानकार गुप्ता ने इसे घातक बताते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसे की जानकारी सिर्फ सरकारी बैंक, रिजर्व बैंक और सरकार के पास ही होगी। उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र में सत्तारुढ़ राजनीतिक दल अन्य दलों के चंदे पर नजर रखते हुये उनके दानदाताओं को परेशान भी कर सकता है। गुप्ता ने चुनावी बॉन्ड के फॉर्मूले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि राजनीतिक चंदे को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सरकार को व्यवहारिक प्रयास करना चाहिए।
हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा आप के चंदे पर उठाए गए सवालों के जवाब में गुप्ता ने कहा कि पार्टी के बही-खातों में एक एक पैसे का हिसाब दर्ज है और इससे संबद्ध सरकारी एजेंसियों को भी अवगत कराया गया है। उन्होंने इस आशय की मीडिया रिपोर्टों को तथ्यात्मक तौर पर निराधार बताया। गुप्ता ने आयकर कानून की धारा 138 के हवाले से कहा कि किसी भी पक्षकार की आयकर संबंधी जानकारियां संबद्ध सरकारी एजेंसी या उसका कोई भी अधिकारी किसी के साथ साझा नहीं कर सकता। ऐसे में सीबीडीटी के हवाले से मीडिया रिपोर्टों का प्रकाशित होने से साफ है कि कानून का उल्लंघन कर आप के चंदे से जुडी भ्रामक जानकारियां मीडिया में लीक की जा रही हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) ने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड को भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला कदम बताते हुए कहा है कि यह अब तक की सबसे घातक पहल साबित होगी। आप के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य एन.डी.गुप्ता ने मंगलवार कहा कि चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बॉन्ड के नाम पर दानदाताओं की जानकारी छुपाने को कानूनी मान्यता देने की कोशिश हो रही है।
वित्तीय मामलों के जानकार गुप्ता ने इसे घातक बताते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसे की जानकारी सिर्फ सरकारी बैंक, रिजर्व बैंक और सरकार के पास ही होगी। उन्होंने आशंका जताई कि केंद्र में सत्तारुढ़ राजनीतिक दल अन्य दलों के चंदे पर नजर रखते हुये उनके दानदाताओं को परेशान भी कर सकता है। गुप्ता ने चुनावी बॉन्ड के फॉर्मूले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि राजनीतिक चंदे को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सरकार को व्यवहारिक प्रयास करना चाहिए।
हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा आप के चंदे पर उठाए गए सवालों के जवाब में गुप्ता ने कहा कि पार्टी के बही-खातों में एक एक पैसे का हिसाब दर्ज है और इससे संबद्ध सरकारी एजेंसियों को भी अवगत कराया गया है। उन्होंने इस आशय की मीडिया रिपोर्टों को तथ्यात्मक तौर पर निराधार बताया। गुप्ता ने आयकर कानून की धारा 138 के हवाले से कहा कि किसी भी पक्षकार की आयकर संबंधी जानकारियां संबद्ध सरकारी एजेंसी या उसका कोई भी अधिकारी किसी के साथ साझा नहीं कर सकता। ऐसे में सीबीडीटी के हवाले से मीडिया रिपोर्टों का प्रकाशित होने से साफ है कि कानून का उल्लंघन कर आप के चंदे से जुडी भ्रामक जानकारियां मीडिया में लीक की जा रही हैं।
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