नई दिल्ली
दिल्लीवासी लघुशंका या दीर्घशंका के लिए सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाने के लिए जल्द ही स्मार्टफोन पर ऐप्लिकेशन के जरिए मदद मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। दिल्ली हाई कोर्ट को नगर निगमों के जवाब पर विचार करते समय लगा कि शहर में सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाना कठिन है। कोर्ट ने नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक शौचालयों तक नागरिकों की पहुंच अधिक सुलभ बनाने के लिए इन जनसुविधाओं का मानचित्रीकरण और जिओटैगिंग करें। यदि इस निर्देश को पूरी तरह लागू कर दिया जाता है तो दिल्लीवासी सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाने के लिए जल्द ही अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि सूचना का डिजिटीकरण किया जाएगा और इसे ऑनलाइन मानचित्रों या मोबाइल ऐप्लिकेशन पर उपलब्ध कराया जाएगा।
ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने 3 हिस्सों में विभाजित दिल्ली नगर निगम के हलफनामों पर गौर किया और बेंच यह सुनिश्चित नहीं कर पाई कि इस तरह के शौचालय कहां मौजूद हैं। पीठ ने कहा, 'इसलिए निर्देश दिया जाता है कि नगर निगम हमारे समक्ष इन सार्वजनिक शौचालयों का मानचित्रण रखें।' बेंच ने कहा, 'सभी एजेंसियां जिओटैगिंग के जरिए इन सार्वजनिक शौचालयों की जगह के मानचित्रीकरण की संभावना तलाशेंगी और इसे उचित ऐप्लिकेशन के जरिए सभी मोबाइल धारकों को उपलब्ध कराएंगी। कोर्ट ने कहा कि इस पहलू पर उठाए गए कदमों के बारे में सुनवाई की अगली तारीख 30 अक्टूबर से पहले रिपोर्ट दायर की जाए। इसने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम जिओटैगिंग की संभावना तलाशने के लिए नोडल एजेंसी होगा।
दिल्लीवासी लघुशंका या दीर्घशंका के लिए सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाने के लिए जल्द ही स्मार्टफोन पर ऐप्लिकेशन के जरिए मदद मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। दिल्ली हाई कोर्ट को नगर निगमों के जवाब पर विचार करते समय लगा कि शहर में सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाना कठिन है। कोर्ट ने नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक शौचालयों तक नागरिकों की पहुंच अधिक सुलभ बनाने के लिए इन जनसुविधाओं का मानचित्रीकरण और जिओटैगिंग करें। यदि इस निर्देश को पूरी तरह लागू कर दिया जाता है तो दिल्लीवासी सार्वजनिक शौचालयों का पता लगाने के लिए जल्द ही अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि सूचना का डिजिटीकरण किया जाएगा और इसे ऑनलाइन मानचित्रों या मोबाइल ऐप्लिकेशन पर उपलब्ध कराया जाएगा।
ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने 3 हिस्सों में विभाजित दिल्ली नगर निगम के हलफनामों पर गौर किया और बेंच यह सुनिश्चित नहीं कर पाई कि इस तरह के शौचालय कहां मौजूद हैं। पीठ ने कहा, 'इसलिए निर्देश दिया जाता है कि नगर निगम हमारे समक्ष इन सार्वजनिक शौचालयों का मानचित्रण रखें।' बेंच ने कहा, 'सभी एजेंसियां जिओटैगिंग के जरिए इन सार्वजनिक शौचालयों की जगह के मानचित्रीकरण की संभावना तलाशेंगी और इसे उचित ऐप्लिकेशन के जरिए सभी मोबाइल धारकों को उपलब्ध कराएंगी। कोर्ट ने कहा कि इस पहलू पर उठाए गए कदमों के बारे में सुनवाई की अगली तारीख 30 अक्टूबर से पहले रिपोर्ट दायर की जाए। इसने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम जिओटैगिंग की संभावना तलाशने के लिए नोडल एजेंसी होगा।
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