Saturday, September 23, 2017

रोज 25 स्नैचिंग लेकिन कोई कानून नहीं

नई दिल्ली
यूक्रेन की राजदूत का आईफोन स्नैचरों ने लाल किले के पास से छीन लिया। पुलिस की तत्परता से मोबाइल मिल गया। यह घटना बताने के लिए काफी है कि देश की राजधानी में स्नैचरों का आतंक कितना है। औसतन दिल्ली पुलिस के पास स्नैचिंग की 25 घटनाएं रोज आती हैं। 2016 की तुलना में यह आंकड़ा कम जरूर है क्योंकि तब अमूमन ऐसी 27 शिकायतें रोज आती थीं। 15 सितंबर तक इस साल 6,466 ऐसे केस हैं जब स्नैचरों ने राह चलते लोगों से फोन, जूलरी का बैग, पैसे और दूसरी कीमती चीजें छीनकर फरार हो गए।

पिछले 16 सालों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में स्नैचिंग की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। स्नैंचिंग के अपराध के शिकार की वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग ऐसे अपराधों की रिपोर्ट भी नहीं लिखवाते। इन सबके बाद भी ऐसे अपराधों में 12 गुना फीसदी बढ़ोतरी जरूर डराने वाली हैं।

पुलिस का कहना है कि गलियों और सड़कों पर स्नैचिंग की घटनाओं में वृद्धि बहुत ज्यादा नहीं हुई है। संख्या में बढ़ोतरी की वजह है कि लोग अब पुलिस के पास शिकायत करने लगे हैं। पुलिस का कहना है कि पिछले 5 साल में रिपोर्ट लिखवाने और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया काफी आसान हुई है। पुलिस के इस बयान के बाद भी मानना होगा कि दिल्ली के पास ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है। आईपीसी की धारा 356 के तहत संपत्ति को जबरन चुराने की कोशिश के अपराध में सिर्फ 2 साल की अधिकतम सजा है। आईपीसी की धारा 379 के तहत चोरी की अधिकतम सजा 3 साल है। अगर लूट के दौरान पीड़ित को गंभीर चोट आती है तो उस केस में अधिकतम सजा 10 साल तक हो सकती है।

हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर बात की। सभी ने एक स्वर में माना है कि स्नैचिंग से निपटने के लिए कठोर कानूनों की जरूरत है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में यह कानून लागू भी है। दिल्ली में स्नैचिंग करने वाले इस वक्त 25 से अधिक छोटे-बड़े गैंग सक्रिय हैं। हाल ही में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने स्नैचरों के गैंग पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया है। कमिश्नर ने पकड़े स्नैचरों पर मकोका लगाने का निर्देश दिया है। बता दें कि मकोका संगठित अपराध के विरुद्ध ही लगाया जाता है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'स्नैचरों पर सख्ती बहुत मुश्किल है क्योंकि कोर्ट से उन्हें आसानी से बेल मिल जाती है। सबूतों के अभाव और लोगों की शिकायत आगे नहीं बढ़ाने की प्रवृति के कारण चोरी-छिनैती करने वाले अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। स्नैचिंग में मिले सोने के गहनों कुछ घंटो के अंदर ही पिघलाकर बेच दिया जाता है।'

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