नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा के मॉनसून सेशन का पहला दिन हंगामेदार रहा। विपक्षी पार्टी के दो विधायकों को मार्शल के जरिए बाहर किया गया, वहीं हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा। पहले दिन सत्र शुरू होते ही बीजेपी नेता सीवर मामले में मुख्यमंत्री का जवाब चाहते थे। उन्होंने इस मामले में दिल्ली सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा दिया। वहीं सत्ता पक्ष के नेता वर्णिका मामले और विजेंद्र गुप्ता द्वारा विधानसभा कमिटियों को असंवैधानिक कहे जाने के मुद्दे पर माफी मांगने की मांग करते रहे। हंगामे की वजह से दो घंटे के पहले सेशन में डेढ़ घंटे तक किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई।
सत्र शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने सीवर की सफाई के दौरान तीन मजदूरों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने वर्णिका मामले पर चिंता जताई तो नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता सीवर मामले में मुख्यमंत्री का जवाब मांगने लगे। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि आपका यह रवैया महिलाओं का अपमान है। इसके बाद सदन में हंगामा होने लगा। अध्यक्ष ने 2 बजकर 18 मिनट पर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। फिर 2 बजकर 40 मिनट पर सत्र की शुरुआत हुई।
सीवर मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने हंगामे के दौरान ही अपनी बात रखी, लेकिन ठीक से सुनाई नहीं दी। दोनों पक्षों की ओर से हंगामा जारी रहा। तीन बजे अध्यक्ष ने फिर आधे घंटे के लिए सत्र स्थगित कर दिया। जब फिर से सत्र की शुरुआत हुई तो बीजेपी नेता फिर से वेल में आ गए। अध्यक्ष ने विजेंद्र गुप्ता को अपनी सीट पर जाने की वार्निंग दी। इसके बाद भी वह नहीं माने तो अध्यक्ष ने उन्हें मार्शल से बाहर करवा दिया। इसके बाद मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसका विरोध किया और उन्हें भी मार्शल से बाहर किया गया। इस दौरान जगदीश प्रधान भी बाहर चले गए।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि जो घटना हुई है, वह चिंताजनक है। सरकार का आदेश है कि किसी भी सूरत में सीवर साफ करने के लिए मैनुअली किसी मजदूर को नहीं उतारा जाएगा। यह कोर्ट का भी आदेश है। बावजूद इसके एक ठेकेदार ने मजदूर को सीवर में उतारा। इस मामले में जिस भी अधिकारी या ठेकेदार की गलती पाई जाएगी, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री खुद तीनों परिवार के घर गए और तीनों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की। साथ में परिवार के एक मेंबर को सिविल डिफेंस में नौकरी दी जाएगी। इस दौरान वॉटर मिनिस्टर राजेंद्र गौतम ने कहा कि जो हुआ वह दुखद है। पूर्व मंत्री संदीप कुमार ने कहा कि सिविल डिफेंस की नौकरी कोई स्थायी नौकरी नहीं है, इनके परिवार के सदस्य को स्थायी नौकरी दी जाए।
दिल्ली विधानसभा के मॉनसून सेशन का पहला दिन हंगामेदार रहा। विपक्षी पार्टी के दो विधायकों को मार्शल के जरिए बाहर किया गया, वहीं हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा। पहले दिन सत्र शुरू होते ही बीजेपी नेता सीवर मामले में मुख्यमंत्री का जवाब चाहते थे। उन्होंने इस मामले में दिल्ली सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा दिया। वहीं सत्ता पक्ष के नेता वर्णिका मामले और विजेंद्र गुप्ता द्वारा विधानसभा कमिटियों को असंवैधानिक कहे जाने के मुद्दे पर माफी मांगने की मांग करते रहे। हंगामे की वजह से दो घंटे के पहले सेशन में डेढ़ घंटे तक किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई।
सत्र शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने सीवर की सफाई के दौरान तीन मजदूरों की मौत पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने वर्णिका मामले पर चिंता जताई तो नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता सीवर मामले में मुख्यमंत्री का जवाब मांगने लगे। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि आपका यह रवैया महिलाओं का अपमान है। इसके बाद सदन में हंगामा होने लगा। अध्यक्ष ने 2 बजकर 18 मिनट पर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। फिर 2 बजकर 40 मिनट पर सत्र की शुरुआत हुई।
सीवर मामले में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने हंगामे के दौरान ही अपनी बात रखी, लेकिन ठीक से सुनाई नहीं दी। दोनों पक्षों की ओर से हंगामा जारी रहा। तीन बजे अध्यक्ष ने फिर आधे घंटे के लिए सत्र स्थगित कर दिया। जब फिर से सत्र की शुरुआत हुई तो बीजेपी नेता फिर से वेल में आ गए। अध्यक्ष ने विजेंद्र गुप्ता को अपनी सीट पर जाने की वार्निंग दी। इसके बाद भी वह नहीं माने तो अध्यक्ष ने उन्हें मार्शल से बाहर करवा दिया। इसके बाद मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसका विरोध किया और उन्हें भी मार्शल से बाहर किया गया। इस दौरान जगदीश प्रधान भी बाहर चले गए।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि जो घटना हुई है, वह चिंताजनक है। सरकार का आदेश है कि किसी भी सूरत में सीवर साफ करने के लिए मैनुअली किसी मजदूर को नहीं उतारा जाएगा। यह कोर्ट का भी आदेश है। बावजूद इसके एक ठेकेदार ने मजदूर को सीवर में उतारा। इस मामले में जिस भी अधिकारी या ठेकेदार की गलती पाई जाएगी, उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री खुद तीनों परिवार के घर गए और तीनों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की। साथ में परिवार के एक मेंबर को सिविल डिफेंस में नौकरी दी जाएगी। इस दौरान वॉटर मिनिस्टर राजेंद्र गौतम ने कहा कि जो हुआ वह दुखद है। पूर्व मंत्री संदीप कुमार ने कहा कि सिविल डिफेंस की नौकरी कोई स्थायी नौकरी नहीं है, इनके परिवार के सदस्य को स्थायी नौकरी दी जाए।
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