Thursday, August 3, 2017

...तो महिलाएं या उनके घरवाले ही काट रहे हैं चोटियां?

नई दिल्ली
यूपी व दिल्ली-एनसीआर में कई दिनों से हो रहीं चोटी काटने की वारदात से सब परेशान हैं। कोई भी मामला ऐसा नहीं है जिसमें पीड़ित ने चोटी काटने वाले या वाली को देखा हो। इससे पुलिस भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में पुलिस की जांच दो पहलुओं पर केंद्रित हो गई है। या तो महिलाएं खुद अपनी चोटी काट रही हैं या फिर उन्हीं के घर का कोई सदस्य यह शरारत कर रहा है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब तक जितने भी मामले हुए हैं सबमें एक बात कॉमन है, लगभग सभी की चोटियां घर के अंदर कटीं। अधिकतर मामलों में घर का मुख्य दरवाजा बंद था। कई जगह सीसीटीवी भी लगे थे जिनमें कोई संदिग्ध शख्स वारदात के समय कैद नहीं हुआ। हालांकि दूसरे पहलुओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पुलिस के खबरी भी बेखबर
पुलिस ने चोटी काटने की इन घटनाओं पर अपने मुखबिरों से भी जानकारी ली है कि कहीं कोई बाहरी आदमी या गैंग तो यह काम नहीं कर रहा है लेकिन अब तक की पूछताछ में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है जिससे साबित हो कि कोई बाहरी औरत या गैंग इन वारदातों को अंजाम दे रहा है। दूसरी तरफ दिल्ली के कांगनहेड़ी की तीन और पालम साधनगर की एक घटना में फरेंसिक एक्सपर्ट ने ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि दो मामलों में कैंची चलाई गई है। एक्सपर्ट दो मामलों में किसी नतीजे में नहीं पहुंच सके हैं।

पुलिस का कहना है कि इन मामलों में अगर भूत-प्रेत या तंत्र विद्या का इस्तेमाल होता तो दूसरे साइड इफेक्ट भी सामने आते, यह केवल लोगों का वहम है। मनोचिकित्सकों की अब तक की राय में पीड़ित किसी न किसी तनाव में पाई गई हैं। ऐसे में वह खुद भी अपनी चोटी काट सकती हैं।

सवाल कायम हैं
अगर महिलाओं ने खुद अपनी चोटी काटी तो कोई कैंची या दूसरी ऐसी कोई चीज मिलती? क्या पता कैंची में बाल लगे हुए हों? अगर मान भी लें कि पीड़ित महिलाएं मनोरोगी हैं, तो क्या वह खुद अपनी चोटी काटने के बाद कैंची को साफ करके रख देती होंगी?

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