विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
बवाना उपचुनाव में कांग्रेस के तीसरे नंबर पर सिमट जाने पर कांग्रेस के अंदर की नाराजगी अब खुलकर बाहर आने लगी है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस चुनाव में हार को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन पर निशाना साधा है। बवाना उपचुनाव के नतीजों के अगले दिन मीडिया से बातचीत में कांग्रेस की हार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी चुनाव जीतने के लिए लड़ा जाता है, न कि चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए। उन्होंने पार्टी को यह भी नसीहत दी है कि पार्टी को भी अपनी रणनीति को लेकर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है। नतीजों के बाद कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर हालिया चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ने की बात कह कर अपनी हार का बचाव करने की कोशिश की थी।
अजय माकन और कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर हार के बाद वोट प्रतिशत बढ़ने की बात कही थी। शीला ने माकन की बचाव की दलील को मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। शीला का कहना था कि हार को स्वीकार करना चाहिए। ऐसी दलीलों से जनता को गुमराह करना ठीक नहीं। हाइकमान और प्रदेश के नेताओं को सोचना चाहिए कि कैसे दिल्ली में कांग्रेस मजबूत बने। शीला का कहना है कि 15 साल तक शासन में रही कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, इस मसले पर पार्टी को गंभीरता से सोचना चाहिए। उन्होंने माकन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह खुद फैसला करें कि वह दिल्ली में पार्टी की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं या नहीं। शीला ने उम्मीद जताई कि आगामी अक्टूबर में माकन से दिल्ली की कमान वापस ली जा सकती है।
दूसरी ओर कांग्रेसी नेता प्रत्यूष्ठ कंठ ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि आज कांग्रेस कार्यकर्ता सवाल पूछ रहे हैं कि लोग हमें वोट क्यों नहीं दे रहे। बवाना उपचुनाव में क्यों कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव प्रचार करने नहीं आए। कांग्रेस के लिए बवाना जीतना एक सुनहरा मौका था, लेकिन हमने इसे गंवा दिया। कंठ का कहना है कि किराड़ी में पूर्वांचल के लोग 90 फीसदी के आसपास रहते हैं, यह सीट बवाना से सटी हुई है। किराड़ी विधानसभा के तहत 5 वॉर्ड आते हैं, लेकिन एमसीडी चुनाव में कांग्रेस ने यहां पांचों सीटों में से एक भी पूर्वांचली को नहीं दी। अगर पूर्वांचल के लोगों को सीट मिलती तो इसका फायदा कांग्रेस को बवाना उपचुनाव में भी मिलता। कंठ ने अपील की है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता एक साथ आएं, ताकि कांग्रेस फिर से खड़ी हो सके। एक और कांग्रेसी नेता जितेंद्र कोचर ने कहा है कि कांग्रेस की मजबूती के लिए सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस को ऐसे नेता की जरूरत है, जो सबको साथ लेकर चले।
बवाना उपचुनाव में कांग्रेस के तीसरे नंबर पर सिमट जाने पर कांग्रेस के अंदर की नाराजगी अब खुलकर बाहर आने लगी है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस चुनाव में हार को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन पर निशाना साधा है। बवाना उपचुनाव के नतीजों के अगले दिन मीडिया से बातचीत में कांग्रेस की हार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी चुनाव जीतने के लिए लड़ा जाता है, न कि चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए। उन्होंने पार्टी को यह भी नसीहत दी है कि पार्टी को भी अपनी रणनीति को लेकर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है। नतीजों के बाद कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर हालिया चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढ़ने की बात कह कर अपनी हार का बचाव करने की कोशिश की थी।
अजय माकन और कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर हार के बाद वोट प्रतिशत बढ़ने की बात कही थी। शीला ने माकन की बचाव की दलील को मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया। शीला का कहना था कि हार को स्वीकार करना चाहिए। ऐसी दलीलों से जनता को गुमराह करना ठीक नहीं। हाइकमान और प्रदेश के नेताओं को सोचना चाहिए कि कैसे दिल्ली में कांग्रेस मजबूत बने। शीला का कहना है कि 15 साल तक शासन में रही कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, इस मसले पर पार्टी को गंभीरता से सोचना चाहिए। उन्होंने माकन को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह खुद फैसला करें कि वह दिल्ली में पार्टी की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं या नहीं। शीला ने उम्मीद जताई कि आगामी अक्टूबर में माकन से दिल्ली की कमान वापस ली जा सकती है।
दूसरी ओर कांग्रेसी नेता प्रत्यूष्ठ कंठ ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि आज कांग्रेस कार्यकर्ता सवाल पूछ रहे हैं कि लोग हमें वोट क्यों नहीं दे रहे। बवाना उपचुनाव में क्यों कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव प्रचार करने नहीं आए। कांग्रेस के लिए बवाना जीतना एक सुनहरा मौका था, लेकिन हमने इसे गंवा दिया। कंठ का कहना है कि किराड़ी में पूर्वांचल के लोग 90 फीसदी के आसपास रहते हैं, यह सीट बवाना से सटी हुई है। किराड़ी विधानसभा के तहत 5 वॉर्ड आते हैं, लेकिन एमसीडी चुनाव में कांग्रेस ने यहां पांचों सीटों में से एक भी पूर्वांचली को नहीं दी। अगर पूर्वांचल के लोगों को सीट मिलती तो इसका फायदा कांग्रेस को बवाना उपचुनाव में भी मिलता। कंठ ने अपील की है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता एक साथ आएं, ताकि कांग्रेस फिर से खड़ी हो सके। एक और कांग्रेसी नेता जितेंद्र कोचर ने कहा है कि कांग्रेस की मजबूती के लिए सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस को ऐसे नेता की जरूरत है, जो सबको साथ लेकर चले।
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