नई दिल्ली
मॉनसून के इस सीजन में सड़कों पर गड्ढे आम समस्या हैं। इनकी वजह से हादसे भी होते हैं। लोग इन्हें ठीक करवाने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर भी लगाते हैं। द्वारका के सेक्टर-23 के न्यू कंचनजंगा अपार्टमेंट के परमिंदर खेत्रपाल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वह लगातार तीन महीने से द्वारका के गड्ढों को भरवाने के लिए डीडीए के चक्कर लगाते रहे, लेकिन जब गड्ढे नहीं भरे तो उन्होंने खुद ही इस काम को पूरा करने की ठानी। अकेले सफर शुरू किया और लोग उनके साथ जुड़ते चले गए।
सेक्टर-22 और 23 में गड्ढों को भरने की शुरुआत उन्होंने करीब दो महीने पहले शुरू की थी। जून में बरसात के बाद बने गड्ढों की वजह से द्वारका में जाम के साथ हादसे भी हो रहे थे। वह रोज सुबह मार्निंग वॉक की जगह गड्ढे भरने का काम करने लगे। जब आसपास के सारे गड्ढे भर गए तो उन्हें इस काम में मजा आने लगा। इसके बाद वह रोज दूसरी सड़कों पर जाकर गड्ढे भरने लगे। गड्ढे भरने के लिए वह उस मलबे का इस्तेमाल करते हैं, जो आम तौर पर खाली प्लॉट में बिल्डर और अन्य लोग जमा कर देते हैं। यह मलबा भी द्वारका में कचरे बढ़ाने का काम कर रहा है। ऐसे में गड्ढे भरकर वह इस कचरे को भी कम करने का काम कर रहे हैं।
परमिंदर के अनुसार हम हर साल डीडीए को लिखते हैं। इस बार भी हमने लिखा। हम खुद जाकर डीडीए से मिलकर आए, लेकिन डिपार्टमेंट ने इसके लिए कोई पहल नहीं की। एक महीने तक मैं लगातार प्रयास करता रहा कि डिपार्टमेंट अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए यह काम करवाए, लेकिन जब मैं थक गया और उम्मीद खत्म हो गई तो मैंने खुद ही यह काम शुरू किया। एक संस्था 'सुख दुख के साथी' के लोगों ने मेरी हेल्प की और लोग जुड़ते ही जा रहे हैं। इस समय भी द्वारका की मेन रोड और सर्विस रोड पर कई गड्ढे हैं, लेकिन डीडीए इसके लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है।इस सिलसिले में द्वारका सेक्टर-8 की आरडब्ल्यूए डीडीए अधिकारियों से पिछले हफ्ते मिली थी। उन्हें बताया गया कि सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं। इस समय सड़कों पर गढ्ढे नहीं हैं, मगर हकीकत यह है कि सेक्टर-19, सेक्टर-10, सेक्टर-14, सेक्टर-10, द्वारका मोड़ आदि के पास इस समय भी कई गड्ढे हैं।
इस सिलसिले में द्वारका के चीफ इंजीनियर एस. एन. सिंह ने बताया कि सड़कों के गड्ढे तो भरवाए जा रहे हैं, लेकिन जीएसटी की वजह से काफी समय से कोई टेंडर वर्क नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से सड़कों की रिपेयरिंग और कार्पेटिंग का काम भी रुका हुआ है। अब टेंडर करना शुरू कर दिया गया है। ऐसे में एक-डेढ़ महीने में सड़कों की हालत सुधार दी जाएगी।
मॉनसून के इस सीजन में सड़कों पर गड्ढे आम समस्या हैं। इनकी वजह से हादसे भी होते हैं। लोग इन्हें ठीक करवाने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर भी लगाते हैं। द्वारका के सेक्टर-23 के न्यू कंचनजंगा अपार्टमेंट के परमिंदर खेत्रपाल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वह लगातार तीन महीने से द्वारका के गड्ढों को भरवाने के लिए डीडीए के चक्कर लगाते रहे, लेकिन जब गड्ढे नहीं भरे तो उन्होंने खुद ही इस काम को पूरा करने की ठानी। अकेले सफर शुरू किया और लोग उनके साथ जुड़ते चले गए।
सेक्टर-22 और 23 में गड्ढों को भरने की शुरुआत उन्होंने करीब दो महीने पहले शुरू की थी। जून में बरसात के बाद बने गड्ढों की वजह से द्वारका में जाम के साथ हादसे भी हो रहे थे। वह रोज सुबह मार्निंग वॉक की जगह गड्ढे भरने का काम करने लगे। जब आसपास के सारे गड्ढे भर गए तो उन्हें इस काम में मजा आने लगा। इसके बाद वह रोज दूसरी सड़कों पर जाकर गड्ढे भरने लगे। गड्ढे भरने के लिए वह उस मलबे का इस्तेमाल करते हैं, जो आम तौर पर खाली प्लॉट में बिल्डर और अन्य लोग जमा कर देते हैं। यह मलबा भी द्वारका में कचरे बढ़ाने का काम कर रहा है। ऐसे में गड्ढे भरकर वह इस कचरे को भी कम करने का काम कर रहे हैं।
परमिंदर के अनुसार हम हर साल डीडीए को लिखते हैं। इस बार भी हमने लिखा। हम खुद जाकर डीडीए से मिलकर आए, लेकिन डिपार्टमेंट ने इसके लिए कोई पहल नहीं की। एक महीने तक मैं लगातार प्रयास करता रहा कि डिपार्टमेंट अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए यह काम करवाए, लेकिन जब मैं थक गया और उम्मीद खत्म हो गई तो मैंने खुद ही यह काम शुरू किया। एक संस्था 'सुख दुख के साथी' के लोगों ने मेरी हेल्प की और लोग जुड़ते ही जा रहे हैं। इस समय भी द्वारका की मेन रोड और सर्विस रोड पर कई गड्ढे हैं, लेकिन डीडीए इसके लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है।इस सिलसिले में द्वारका सेक्टर-8 की आरडब्ल्यूए डीडीए अधिकारियों से पिछले हफ्ते मिली थी। उन्हें बताया गया कि सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं। इस समय सड़कों पर गढ्ढे नहीं हैं, मगर हकीकत यह है कि सेक्टर-19, सेक्टर-10, सेक्टर-14, सेक्टर-10, द्वारका मोड़ आदि के पास इस समय भी कई गड्ढे हैं।
इस सिलसिले में द्वारका के चीफ इंजीनियर एस. एन. सिंह ने बताया कि सड़कों के गड्ढे तो भरवाए जा रहे हैं, लेकिन जीएसटी की वजह से काफी समय से कोई टेंडर वर्क नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से सड़कों की रिपेयरिंग और कार्पेटिंग का काम भी रुका हुआ है। अब टेंडर करना शुरू कर दिया गया है। ऐसे में एक-डेढ़ महीने में सड़कों की हालत सुधार दी जाएगी।
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