Tuesday, August 29, 2017

फर्जी विडियो देशद्रोह का आधार नहीं: कोर्ट

वरिष्ठ संवाददताता, नई दिल्ली
डीयू के रामजस कॉलेज में कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगने से जुड़ी घटना का विडियो दिखाए जाने पर दिल्ली की तीसहजारी अदालत ने कहा कि वास्तविकता का पता लगाए बिना एक अविश्वसनीय विडियो के आधार पर देशद्रोह का आरोप नहीं थोपा जा सकता।

कॉलेज में इसी साल 21 फरवरी को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा कि पुलिस विडियो की सच्चाई जानने की कोशिश कर रही है। अदालत ने कहा कि तमाम फर्जी विडियो सर्कुलेट हुए, जिनकी वास्तविकता का पता लगाना जरूरी है। मैजिस्ट्रेट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि AISA और ABVP के बीच दोबारा से झगड़ा हो जाए, तो क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा?

मामले में याचिकाकर्ता विवेक गर्ग ने दलील दी कि पुलिस ने घटना के 5 महीने बाद ऐक्शन टेकन रिपोर्ट दी और अब तक स्टूडेंट से पूछताछ शुरू भी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं जंगल की आग की तरह फैल रही हैं और पुलिस है कि अपनी जिम्मेदारी से पीछे भाग रही है। अदालत ने गर्ग को देशद्रोह के मुद्दे पर आगे भी अपनी दलीलें जारी रखने की छूट दे दी है। मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।

9 पन्नों की रिपोर्ट में पुलिस ने कहा था कि एबीवीपी और आइसा के सदस्यों से पूछताछ के अलावा उसने प्रॉक्टर से डीयू के विभिन्न कॉलेजों के स्टूडेंट्स की जानकारी मांगी है। पुलिस के मुताबिक, मामले में पहले से ही मॉरिस नगर थाने में दंगे और सरकारी कर्मचारियों के काम में रुकावट डालने के आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। शिकायतकर्ता की ओर से उपलब्ध कराए गए विडियो के संबंध में पुलिस ने कहा था कि इसकी वास्तविकता संदेह के घेरे में है, इसलिए इसकी फरेंसिक जांच कराई जाएगी।

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