आंचल बंसल, नई दिल्ली
कैंपसों में नुमाइश के लिए टैंक हासिल करने की वकालत के बाद अब जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) प्रशासन यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर डिफेंस पॉलिसी ऐंड रिसर्च सेंटर खोलने की तैयारी में है। जैसा कि नाम से साफ है, यह सेंटर ऑफ स्टडी फॉर सोशल सिस्टम्स की तरह विकसित किया जाएगा, जो जेंडर, आदिवासी और दलित मामलों आदि पर पढ़ाई और रिसर्च करवाता है। घटनाक्रम से वाकिफ एक फैकल्टी मेंबर ने बताया, 'हमारे पास ऐसे सेंटर और फैकल्टी मेंबर्स हैं, जो आदिवासी मामलों से जुड़ी पॉलिसी पर रिसर्च कर रहे हैं। हालांकि, डिफेंस पॉलिसी और स्ट्रैटिजी के मामले में यूनिवर्सिटी के पास इस तरह की कोई सुविधा नहीं है।'
नेशनल डिफेंस अकेडमी (एनडीए) समेत 6 अहम डिफेंस इंस्टिट्यूट इस यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हैं और कैडेट्स को 1976 से बीएससी या बीए की डिग्री दी जाती रही है। सूत्रों ने बताया कि इस सेंटर को स्थापित करने से अफसरों की अल्युमनाई और डिफेंस फोर्स के एक्सपर्ट्स से यूनिवर्सिटी के रिश्ते मजबूत होंगे। यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त बाकी संस्थानों में आर्मी कैडेट कॉलेज, देहरादून, पुणे का कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग, सिकंदराबाद स्थित मिलिटरी कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड मकैनिकल इंजिनियरिंग, मेयो का मिलिटरी कॉलेज ऑफ टेलिकम्युनिकेशन और लोनावाला का नेवल कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग शामिल हैं।
यूनिवर्सिटी इस आधार को मजबूत करने के लिए 'डिफेंस' अल्युमनाई असोसिएशन बनाने पर विचार कर रही है। एक फैकल्टी मेंबर ने बताया, 'कम से कम 42,000 अफसरों का नेटवर्क है, जो जेएनयू अल्युमनाई का हिस्सा हैं। इनमें से कई अफसरों ने इस अल्युमनाई असोसिएशन को बनाने की मांग की है।' मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी और पूर्व जनरल वीके सिंह भी इसमें शामिल हैं और वे इस सेंटर को बनाने में मदद करेंगे। सिंह और बख्शी जेएनयू कैंपस में 23 जुलाई को करगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद थे। इसका आयोजन यूनिवर्सिटी प्रशासन और वेटरंस इंडिया ने किया था।
इसी दौरान जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने धर्मेंद्र प्रधान और सिंह से एक टैंक हासिल करने में मदद करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि कैंपस के अहम स्थान पर इसकी नुमाइश की जानी चाहिए, ताकि छात्रों को सेना के त्याग और बलिदान की याद दिलाई जा सके। 2001 में संसद पर हुए हमले में सजायाफ्ता अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ पिछले साल फरवरी में जेएनयू में आयोजित एक कार्यक्रम के विरोध में कुछ पूर्व सैनिकों ने जेएनयू के वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर अपनी डिग्री लौटाने की धमकी दी थी।
कैंपसों में नुमाइश के लिए टैंक हासिल करने की वकालत के बाद अब जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) प्रशासन यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर डिफेंस पॉलिसी ऐंड रिसर्च सेंटर खोलने की तैयारी में है। जैसा कि नाम से साफ है, यह सेंटर ऑफ स्टडी फॉर सोशल सिस्टम्स की तरह विकसित किया जाएगा, जो जेंडर, आदिवासी और दलित मामलों आदि पर पढ़ाई और रिसर्च करवाता है। घटनाक्रम से वाकिफ एक फैकल्टी मेंबर ने बताया, 'हमारे पास ऐसे सेंटर और फैकल्टी मेंबर्स हैं, जो आदिवासी मामलों से जुड़ी पॉलिसी पर रिसर्च कर रहे हैं। हालांकि, डिफेंस पॉलिसी और स्ट्रैटिजी के मामले में यूनिवर्सिटी के पास इस तरह की कोई सुविधा नहीं है।'
नेशनल डिफेंस अकेडमी (एनडीए) समेत 6 अहम डिफेंस इंस्टिट्यूट इस यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हैं और कैडेट्स को 1976 से बीएससी या बीए की डिग्री दी जाती रही है। सूत्रों ने बताया कि इस सेंटर को स्थापित करने से अफसरों की अल्युमनाई और डिफेंस फोर्स के एक्सपर्ट्स से यूनिवर्सिटी के रिश्ते मजबूत होंगे। यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त बाकी संस्थानों में आर्मी कैडेट कॉलेज, देहरादून, पुणे का कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग, सिकंदराबाद स्थित मिलिटरी कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड मकैनिकल इंजिनियरिंग, मेयो का मिलिटरी कॉलेज ऑफ टेलिकम्युनिकेशन और लोनावाला का नेवल कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग शामिल हैं।
यूनिवर्सिटी इस आधार को मजबूत करने के लिए 'डिफेंस' अल्युमनाई असोसिएशन बनाने पर विचार कर रही है। एक फैकल्टी मेंबर ने बताया, 'कम से कम 42,000 अफसरों का नेटवर्क है, जो जेएनयू अल्युमनाई का हिस्सा हैं। इनमें से कई अफसरों ने इस अल्युमनाई असोसिएशन को बनाने की मांग की है।' मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी और पूर्व जनरल वीके सिंह भी इसमें शामिल हैं और वे इस सेंटर को बनाने में मदद करेंगे। सिंह और बख्शी जेएनयू कैंपस में 23 जुलाई को करगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद थे। इसका आयोजन यूनिवर्सिटी प्रशासन और वेटरंस इंडिया ने किया था।
इसी दौरान जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने धर्मेंद्र प्रधान और सिंह से एक टैंक हासिल करने में मदद करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि कैंपस के अहम स्थान पर इसकी नुमाइश की जानी चाहिए, ताकि छात्रों को सेना के त्याग और बलिदान की याद दिलाई जा सके। 2001 में संसद पर हुए हमले में सजायाफ्ता अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ पिछले साल फरवरी में जेएनयू में आयोजित एक कार्यक्रम के विरोध में कुछ पूर्व सैनिकों ने जेएनयू के वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर अपनी डिग्री लौटाने की धमकी दी थी।
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