नई दिल्ली
जवाहलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेजिडेंट का रजिस्ट्रेशन ब्लॉक करने के खिलाफ स्टूडेंट्स एकजुट हैं। 1 अगस्त को स्टूडेंट्स एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक पर वाइस चांसलर के खिलाफ प्रोटेस्ट करेंगे। यूनियन का कहना है कि प्रेजिडेंट मोहित पांडे की स्टूडेंटशिप यूनिवर्सिटी इस तरह से नहीं छीन सकती है, वह स्टूडेंट्स के चुने गए मेंबर हैं। जेएनयूएसयू ने मांग की है कि वीसी यूनिवर्सिटी छोड़ दें क्योंकि वह इसके डेमोक्रैटिक स्ट्रक्चर को तबाह कर रहे हैं।
शुक्रवार को मोहित पांडे को एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक में प्रशासन के साथ होने जा रहे मीटिंग में अंदर आने यह कहते हुए रोक दिया गया था कि वह रजिस्टर्ड स्टूडेंट नहीं हैं। मोहित ने वीसी जगदीश कुमार के नाम खुला खत भी लिखा है, जिसमें उन्होंने रजिस्ट्रेशन, स्टूडेंट्स से फाइन से लेकर नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले में प्रशासन की उदासीनता का भी विरोध किया है।
पीएचडी स्टूडेंट हॉस्टल से बाहर: जेएनयू के पीएचडी स्टूडेंट दिलीप यादव को हॉस्टल से बाहर करने पर भी यूनियन नाराज है। पिछले साल जून में अकैडमिक काउंसिल की मीटिंग में हंगामा करने और अक्टूबर में वीसी समेत बाकी अधिकारियों का रातभर घेराव का दोषी बताते हुए दिलीप पर फाइन लगाया गया है, साथ ही हॉस्टल बदलने की सजा सुनाई गई है। यूनियन ने उनके साथ उत्पीड़ने होने की बात करते हुए कहा है कि दिलीप को फाइन और जांच को सुलझाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने समय दिया है मगर हॉस्टल शिफ्ट करने की सजा के तौर पर गुरुवार को उन्हें उनके हॉस्टल से निकाल दिया गया और कमरे को डबल लॉक कर दिया गया। यूनियन ने प्रशासन ने मांग की है कि वह दिलीप से माफी मांगे और कमरा वापस दे। दिलीप अभी कमरे से बाहर रह रहे हैं।
मोहित कहते हैं, पोस्टर या बैनर लगाने पर जांच बिठाना साफतौर पर उत्पीड़न है। मेरे खिलाफ 6 जांच चल रही हैं और दो गलत एफआईआर भी है। यूनियन की जनरल सेक्रटरी सतरूपा चक्रवर्ती का आरोप है कि वीसी आरएसएस के अजेंडे पर चल रहे हैं और जेएनयू को बर्बाद कर रहे हैं। जेएनयूएसयू के प्रेजिडेंट को स्टूडेंट्स ने चुना, जबकि वीसी को एक तरह से आरएसएस ने ही अपॉइंट किया है, ऐसे में वीसी को यूनिवर्सिटी छोड़ना चाहिए।
यूनियन का कहना है कि पिछले साल जेएनयूएसयू प्रेजिडेंट कन्हैया को जेल भेजा गया, तो इस बार के प्रेजिडेंट पर झूठी एफआईआर तक कर दी गई हैं। यह साजिश के तहत ही किया जा रहा है। स्टूडेंट्स ने यह भी मांग की कि फाइन का इस्तेमाल प्रशासन स्टूडेंट्स वेलफेअर में ही खर्च करे। 10 हजार से 20 हजार तक का फाइन 30 स्टूडेंट्स पर लगा था, कुछ के हॉस्टल बदलने की भी सजा है। जेएनयूएसयू के चारों मेंबर समेत उमर खालिद और एक और स्टूडेंट पर 20 हजार रुपये का फाइन है।
जवाहलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेजिडेंट का रजिस्ट्रेशन ब्लॉक करने के खिलाफ स्टूडेंट्स एकजुट हैं। 1 अगस्त को स्टूडेंट्स एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक पर वाइस चांसलर के खिलाफ प्रोटेस्ट करेंगे। यूनियन का कहना है कि प्रेजिडेंट मोहित पांडे की स्टूडेंटशिप यूनिवर्सिटी इस तरह से नहीं छीन सकती है, वह स्टूडेंट्स के चुने गए मेंबर हैं। जेएनयूएसयू ने मांग की है कि वीसी यूनिवर्सिटी छोड़ दें क्योंकि वह इसके डेमोक्रैटिक स्ट्रक्चर को तबाह कर रहे हैं।
शुक्रवार को मोहित पांडे को एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक में प्रशासन के साथ होने जा रहे मीटिंग में अंदर आने यह कहते हुए रोक दिया गया था कि वह रजिस्टर्ड स्टूडेंट नहीं हैं। मोहित ने वीसी जगदीश कुमार के नाम खुला खत भी लिखा है, जिसमें उन्होंने रजिस्ट्रेशन, स्टूडेंट्स से फाइन से लेकर नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले में प्रशासन की उदासीनता का भी विरोध किया है।
पीएचडी स्टूडेंट हॉस्टल से बाहर: जेएनयू के पीएचडी स्टूडेंट दिलीप यादव को हॉस्टल से बाहर करने पर भी यूनियन नाराज है। पिछले साल जून में अकैडमिक काउंसिल की मीटिंग में हंगामा करने और अक्टूबर में वीसी समेत बाकी अधिकारियों का रातभर घेराव का दोषी बताते हुए दिलीप पर फाइन लगाया गया है, साथ ही हॉस्टल बदलने की सजा सुनाई गई है। यूनियन ने उनके साथ उत्पीड़ने होने की बात करते हुए कहा है कि दिलीप को फाइन और जांच को सुलझाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने समय दिया है मगर हॉस्टल शिफ्ट करने की सजा के तौर पर गुरुवार को उन्हें उनके हॉस्टल से निकाल दिया गया और कमरे को डबल लॉक कर दिया गया। यूनियन ने प्रशासन ने मांग की है कि वह दिलीप से माफी मांगे और कमरा वापस दे। दिलीप अभी कमरे से बाहर रह रहे हैं।
मोहित कहते हैं, पोस्टर या बैनर लगाने पर जांच बिठाना साफतौर पर उत्पीड़न है। मेरे खिलाफ 6 जांच चल रही हैं और दो गलत एफआईआर भी है। यूनियन की जनरल सेक्रटरी सतरूपा चक्रवर्ती का आरोप है कि वीसी आरएसएस के अजेंडे पर चल रहे हैं और जेएनयू को बर्बाद कर रहे हैं। जेएनयूएसयू के प्रेजिडेंट को स्टूडेंट्स ने चुना, जबकि वीसी को एक तरह से आरएसएस ने ही अपॉइंट किया है, ऐसे में वीसी को यूनिवर्सिटी छोड़ना चाहिए।
यूनियन का कहना है कि पिछले साल जेएनयूएसयू प्रेजिडेंट कन्हैया को जेल भेजा गया, तो इस बार के प्रेजिडेंट पर झूठी एफआईआर तक कर दी गई हैं। यह साजिश के तहत ही किया जा रहा है। स्टूडेंट्स ने यह भी मांग की कि फाइन का इस्तेमाल प्रशासन स्टूडेंट्स वेलफेअर में ही खर्च करे। 10 हजार से 20 हजार तक का फाइन 30 स्टूडेंट्स पर लगा था, कुछ के हॉस्टल बदलने की भी सजा है। जेएनयूएसयू के चारों मेंबर समेत उमर खालिद और एक और स्टूडेंट पर 20 हजार रुपये का फाइन है।
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