नई दिल्ली
किराया बढ़ाने के नियमों का पालन न करने को लेकर ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के खिलाफ याचिका पर अदालत 31 जुलाई को अपना आदेश सुनाएगी। अदालत ने 26 जुलाई को एक एनजीओ की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा के छुट्टी पर होने की वजह से कार्यवाही आगे की लिए टाल दी गई।
एनजीओ ने ओला, उबर और 'टैक्सी फॉर श्योर' नाम की तीनों ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने मांग की थी। अदालत ने शिकायतकर्ता एनजीओ न्यायभूमि को कंपनियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 200 के तहत शिकायत के समर्थन में सबूत पेश करने के लिए कहा।
एनजीओ का आरोप है कि यह कंपनियां डीजल पर गाड़ियों को चलाकर परमिट की शर्तों और दिल्ली में पॉइंट टु पॉइंट सर्विस उपलब्ध कराकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही हैं। एनजीओ ने कथित तौर पर किराए के संबंध में नियमों का पालन न करने और मीटर से नहीं चलने को लेकर कैब कंपनियों 91,000 करोड़ रुपये लेने की मांग की है। शिकायत में इन कंपनियों पर 26,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाने और उन्हें जेल भेजने की मांग भी की गई है।
किराया बढ़ाने के नियमों का पालन न करने को लेकर ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के खिलाफ याचिका पर अदालत 31 जुलाई को अपना आदेश सुनाएगी। अदालत ने 26 जुलाई को एक एनजीओ की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा के छुट्टी पर होने की वजह से कार्यवाही आगे की लिए टाल दी गई।
एनजीओ ने ओला, उबर और 'टैक्सी फॉर श्योर' नाम की तीनों ऐप बेस्ड कैब कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने मांग की थी। अदालत ने शिकायतकर्ता एनजीओ न्यायभूमि को कंपनियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 200 के तहत शिकायत के समर्थन में सबूत पेश करने के लिए कहा।
एनजीओ का आरोप है कि यह कंपनियां डीजल पर गाड़ियों को चलाकर परमिट की शर्तों और दिल्ली में पॉइंट टु पॉइंट सर्विस उपलब्ध कराकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही हैं। एनजीओ ने कथित तौर पर किराए के संबंध में नियमों का पालन न करने और मीटर से नहीं चलने को लेकर कैब कंपनियों 91,000 करोड़ रुपये लेने की मांग की है। शिकायत में इन कंपनियों पर 26,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाने और उन्हें जेल भेजने की मांग भी की गई है।
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