नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर-10 और 11 के चौक पर बने राउंड अबाउट को स्थानीय लोगों ने इडियट चौक का नाम दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह चौक बनाया तो गया था ट्रैफिक स्मूथ करने के लिए लेकिन यह उल्टा ट्रैफिक को बढ़ाने का काम कर रहा है। इस चौक को लेकर द्वारका के रेजिडेंट्स लगातार डीडीए से सवाल कर रहे हैं, लेकिन जब सवालों के जवाब नहीं मिले तो इस चौक को लेकर RTI डालने का सिलसिला शुरू हुआ।
लोगों के अनुसार इस चौक को बनाने की जरूरत ही नहीं थी। फिर भी चौक बनाया गया और इस तरह से बनाया गया कि अब यह चौराहा एक्सिडेंट संभावित क्षेत्र बनता जा रहा है। चौक काफी ऊंचा बनाया गया है जिसकी वजह से सामने का व्यू नजर नहीं आता। इतने ऊंचे चौराहे दिल्ली में देखने को नहीं मिलते।
द्वारका के निवासी सीके रिजमॉन ने इस चौराहे की डिजाइन को लेकर एक RTI डाली। जिसमें DDA ने जवाब दिया कि इस चौराहे की करीब 1.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत थी और यह काम पूरा हुआ 76 लाख 38 हजार रुपये में। इस प्रपोजल को तैयार करने वाले जेई, एई और ईई अब रिटायर हो गए हैं। राउंड अबाउट की डिजाइन को सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट से पास करवाया गया था। इसके अलावा इस राउंड अबाउट को लेकर डीडीए में कुछ अन्य RTI भी दाखिल की गई हैं, लेकिन अब तक उनके जवाब नहीं मिले हैं।
एक और RTI दाखिल करने वाले शोभित चौहान ने बताया कि राउंड अबाउट बनने के बाद यहां लोग ट्रैफिक जाम में फंस रहे हैं। इस राउंड अबाउट ने सड़क की बड़ी जगह को घेर लिया है। इससे ट्रैफिक के लिए काफी कम जगह बची है। जो जगह बची है उस पर दो जगह पेड़ खड़े हैं। यह पेड़ दूर से लोगों को दिखाई भी नहीं देते। यदि स्कूल बस या अन्य बड़े वाहन यहां से गुजरते हैं जो जगह की कमी की वजह से यहां जाम लग जाता है। यही वजह है कि अब द्वारका में यह इडियट चौक के नाम से मशहूर हो चुका है।
शोभित कहते हैं कि अब जब यह बन चुका है तो हम यह नहीं कह रहे कि इसे तोड़ दिया जाए, लेकिन हम इसमें मॉडिफिकेशन चाहते हैं ताकि ट्रैफिक यहां स्मूथ हो। चौक की उंचाई को कम किया जाए। चौक के दोनों तरफ बीच रास्ते में लगे दोनों पेड़ों को हटाया जाए। इस राउंड अबाउट की वजह से चारों तरह नजर ही नहीं आता। कहां से कट है, सामने क्या बाधा है कुछ पता ही नहीं चलता। जिसकी वजह से लोग भ्रमित होते हैं और रास्ता भटक जाते हैं। DDA द्वारका के चीफ इंजिनियर एसएन सिंह ने बताया कि चौक को लेकर लोगों ने शिकायतें की है। लोगों की शिकायतों के बाद एक मेट्रो का पिलर वहां से हटाया गया है। पेड़ों को काटने या ट्रांसप्लांट करने की इजाजत हमने वन विभाग से मांगी है। उनकी मंजूरी का इंतजार है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर-10 और 11 के चौक पर बने राउंड अबाउट को स्थानीय लोगों ने इडियट चौक का नाम दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह चौक बनाया तो गया था ट्रैफिक स्मूथ करने के लिए लेकिन यह उल्टा ट्रैफिक को बढ़ाने का काम कर रहा है। इस चौक को लेकर द्वारका के रेजिडेंट्स लगातार डीडीए से सवाल कर रहे हैं, लेकिन जब सवालों के जवाब नहीं मिले तो इस चौक को लेकर RTI डालने का सिलसिला शुरू हुआ।
लोगों के अनुसार इस चौक को बनाने की जरूरत ही नहीं थी। फिर भी चौक बनाया गया और इस तरह से बनाया गया कि अब यह चौराहा एक्सिडेंट संभावित क्षेत्र बनता जा रहा है। चौक काफी ऊंचा बनाया गया है जिसकी वजह से सामने का व्यू नजर नहीं आता। इतने ऊंचे चौराहे दिल्ली में देखने को नहीं मिलते।
द्वारका के निवासी सीके रिजमॉन ने इस चौराहे की डिजाइन को लेकर एक RTI डाली। जिसमें DDA ने जवाब दिया कि इस चौराहे की करीब 1.35 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत थी और यह काम पूरा हुआ 76 लाख 38 हजार रुपये में। इस प्रपोजल को तैयार करने वाले जेई, एई और ईई अब रिटायर हो गए हैं। राउंड अबाउट की डिजाइन को सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट से पास करवाया गया था। इसके अलावा इस राउंड अबाउट को लेकर डीडीए में कुछ अन्य RTI भी दाखिल की गई हैं, लेकिन अब तक उनके जवाब नहीं मिले हैं।
एक और RTI दाखिल करने वाले शोभित चौहान ने बताया कि राउंड अबाउट बनने के बाद यहां लोग ट्रैफिक जाम में फंस रहे हैं। इस राउंड अबाउट ने सड़क की बड़ी जगह को घेर लिया है। इससे ट्रैफिक के लिए काफी कम जगह बची है। जो जगह बची है उस पर दो जगह पेड़ खड़े हैं। यह पेड़ दूर से लोगों को दिखाई भी नहीं देते। यदि स्कूल बस या अन्य बड़े वाहन यहां से गुजरते हैं जो जगह की कमी की वजह से यहां जाम लग जाता है। यही वजह है कि अब द्वारका में यह इडियट चौक के नाम से मशहूर हो चुका है।
शोभित कहते हैं कि अब जब यह बन चुका है तो हम यह नहीं कह रहे कि इसे तोड़ दिया जाए, लेकिन हम इसमें मॉडिफिकेशन चाहते हैं ताकि ट्रैफिक यहां स्मूथ हो। चौक की उंचाई को कम किया जाए। चौक के दोनों तरफ बीच रास्ते में लगे दोनों पेड़ों को हटाया जाए। इस राउंड अबाउट की वजह से चारों तरह नजर ही नहीं आता। कहां से कट है, सामने क्या बाधा है कुछ पता ही नहीं चलता। जिसकी वजह से लोग भ्रमित होते हैं और रास्ता भटक जाते हैं। DDA द्वारका के चीफ इंजिनियर एसएन सिंह ने बताया कि चौक को लेकर लोगों ने शिकायतें की है। लोगों की शिकायतों के बाद एक मेट्रो का पिलर वहां से हटाया गया है। पेड़ों को काटने या ट्रांसप्लांट करने की इजाजत हमने वन विभाग से मांगी है। उनकी मंजूरी का इंतजार है।
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