नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के एडुकेशन मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने एनसीईआरटी की जनरल काउंसिल मीटिंग में किताबों को वैचारिक लड़ाई का मैदान बनाने का मसला उठाया। उन्होंने एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर को डिटेल रिपोर्ट भी सौंपी जिसमें अलग-अलग विषय के हिसाब से बताया गया है कि एनसीईआरटी की किताबों में किस तरह के बदलाव की जरूरत है।
सिसोदिया ने कहा कि सरकार बदलती है तो किताबें भी बदल जाती हैं। कुछ सरकार लेफ्ट विंग अकेडमिशियन को लाती है तो कुछ राइट विंग को। वे वैचारिक ग्राउंड पर करिकुलम और किताबों की आलोचना करते हैं। जबकि डिबेट का सेंटर पॉइंट बच्चे होने चाहिएं। काउंसिल मीटिंग में किताबों के कंटेंट का रिव्यू, लर्निंग आउटकम का इंप्लीमेंटेशन, किताबें की पर्याप्त सप्लाई और नॉन अकैडमिक स्टाफ का रिक्रूटमेंट अजेंडा में शामिल था।
मीटिंग में कई राज्यों के एडुकेशन मिनिस्टर ने भाग लिया और एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी अध्यक्षता की। सिसोदिया ने कहा कि एनसीईआरटी की कई किताबें कंफ्यूजिंग हैं और टेक्स्ट ओवरलोडेड हैं। उन्होंने हर विषय की किताब का अलग एनालिसिस भी दिया जिसे दिल्ली सरकार के स्कूल टीचर्स की टीम ने तैयार किया था।
एनसीईआरटी ने पिछले महीने किताबों के कंटेंट और गलतियों को लेकर राज्यों से सुझाव और फीडबैक देने को कहा था। जिसके बाद काउंसिल बदलाव पर फैसला लेगी। यूपी के एडुकेशन विभाग के अधिकारियों ने एनसीईआरटी की किताबें जरूरी करने में राज्य का इंटरेस्ट बताया। एनसीईआरटी अधिकारी के मुताबिक कई राज्यों ने एनसीईआरटी की किताबों की कमी का मसला उठाया और कहा कि इससे प्राइवेट पब्लिशर्स को प्लैटफॉर्म मिल जाता है। एचआरडी मिनिस्ट्री अगले महीने एनसीईआरटी अधिकारियों के साथ रिव्यू मीटिंग करेगी ताकि किताबों की उपलब्धता का मसला सुलझाया जा सके।
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