Wednesday, May 3, 2017

शेल्टर होम का 'डर' बयान करतीं चिट्ठियां

आमिर खान, नई दिल्ली
तिहाड़ जेल के पास महिलाओं को रखने के लिए बने निर्मल छाया शेल्टर होम्स में वे घुटन महसूस करती हैं, उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता। यहां रखी गई एक महिला की चिट्ठी से पता चलता है कि उसे गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया गया। यहां रखी गईं कम से कम सात आश्रय प्राप्त महिलाओं-लड़कियों ने रोंगटे खड़े करने वाले खुलासे किए। वे कहती हैं कि वे अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के पास वापस जाना चाहती हैं लेकिन उन्हें शेल्टर होम में रहने के लिए मजबूर किया गया।

निर्मल छाया में लड़कियों के साथ होते शोषण का गवाह बने एक सूत्र ने बताया कि वहां के हालात डरावने हैं और जल्द ऐक्शन लिया जाना चाहिए। सूत्र ने कहा, 'लड़कियों को बेरहमी से पीटा जाता है और किसी बाहरी शख्स के सामने अपना दर्द बयान करने की उन्हें इजाजत नहीं। शेल्टर होम में किसी तरह की कोई मेडिकल सुविधा का इंतजाम भी नहीं है।'

अक्टूबर 2016 में यहां की 7 आश्रय प्राप्त लड़कियों-महिलाओं ने शेल्टर होम के खराब होते हालात को लेकर चिट्ठियां लिखीं। एक लेटर के मुताबिक, 'मैं गर्भवती थी लेकिन मुझे गर्भपात के लिए मजबूर किया गया। यहां के स्टाफ ने मुझसे वादा किया कि मुझे मेरे दोस्त के पास जाने की इजाजत दी जाएगी, लेकिन मुझे यहां रहने के लिए मजबूर किया गया। मेरी प्रार्थना है कि मुझे किसी और शेल्टर होम में भेजा जाए या दोस्त के पास जाने दिया जाए।'

वहीं, एक अन्य लेटर के मुताबिक, 'मैं शादीशुदा हूं और मेरी 6 साल की बेटी है। मैं और बेटी यहीं रहते हैं और हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मैं पति के पास लौटना चाहती हूं लेकिन मुझे यहां रहने को मजबूर किया जा रहा है। केस बेवजह लंबा खिंच रहा है, मेरी गुजारिश है कि मुझे पति के पास भेज दिया जाए।'

8 अप्रैल को दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी और दिल्ली महिला आयोग को लिखे पत्रों में महिलाओं-लड़कियों ने प्रताड़ित किए जाने के दावे किए हैं। उनके मुताबिक, शेल्टर होम में दो कैदियों ने फिनाइल पी लिया था, लेकिन उन्हें मेडिकल सुविधा नहीं मुहैया करवाई गई, बल्कि उन्हें बेरहमी से पीटा गया। उन्हें मेडिकल रूम में ले जाकर बंद कर दिया गया।

एक चिट्ठी ऐसी भी थी जिसमें लड़की ने अपने परिवार के पास न लौटने की इच्छा जाहिर की। उसका आरोप है कि उसे जबरन परिवार के पास लौटने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन वह किसी एनजीओ या कहीं और जाना चाहती है, जहां वह पढ़ाई कर सके और बाद में नौकरी पा सके।

अधिकारियों से गुजारिश करते हुए आश्रय प्राप्त लड़कियों-महिलाओं ने वहां पहुंच उनकी हालत का जायजा लेने को कहा। उन्होंने लिखा, 'यहां लड़कियों को पीटा जाता है, हम यहां बहुत दुखी हैं।'

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