नई दिल्ली
अंग्रेजों के जमाने में बनना शुरू हुए नई दिल्ली के शीला सिनेमा थिअटर को बनने में एक करीब पंद्रह साल लगे। तब अंग्रेजों का ही शासन था, जब साल 1937 में दिल्ली के नामी कारोबारी डीसी कौशिश ने करीब पांच हजार स्क्वेयर प्लॉट खरीदने के कुछ अर्से के बाद यहां सिनेमा कॉम्प्लेक्स बनाना शुरू किया। इसी दौरान दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया। नतीजा यह रहा कि सिनेमा बनाने के लिए डीसी कौशिस को एक-एक ईंट और बाकी सामान खरीदने के लिए अंग्रेज सरकार से इजाजत लेनी पड़ती थी। यही वजह रही कि इस सिनेमा को बनने में लंबा समय लगा।
12 जनवरी 1961 को हॉलिवुड मूवी सॉलमन ऐंड शीबा की स्क्रीनिंग के साथ शुरू हुए इस सिनेमाघर में एस एस राजामौली की नई फिल्म बाहुबली 2 किन्हीं कारणों से प्रदर्शित नहीं हो सकी। इसके बाद मालिकों ने इस सिनेमाघर पर ताला लगा दिया। पिछले 5 महीनों में नई दिल्ली का यह तीसरा बेहतरीन और काफी पुराना सिनेमाहॉल है, जहां ताला टंग गया है। इससे पहले दरियागंज के गोलचा और कनॉट प्लेस के रीगल थिअटर पर लगाातर बढ़ रहे घाटे की वजह से ताला टांग दिया गया था।
इस शुक्रवार को जब शीला सिनेमा पर ताला टंगने की खबर फिल्म मार्केट में आई, तो हर किसी को यही लगा कि बाहुबली 2 नहीं मिलने की वजह से सिनेमा को अस्थायी तौर से बंद किया गया है। शीला सिनेमा के लिए नई फिल्मों की बुकिंग कर रहे दीप जैन ने भी उस वक्त मीडिया में एक-दो दिन बाद सिनेमा फिर से शुरू करने की बात कही थी, लेकिन शनिवार देर शाम को सिनेमा की संचालक कंपनी ने इसे बंद करने का ऐलान करके सभी को चौंका दिया। कभी सदाबहार हीरो देव आनंद के चहेते रहे इस सिनेमाघर पर देव साहब की ज्यादातर फिल्मों ने या तो सिल्वर जुबली मनाई या फिर 100 दिन चलने का रेकॉर्ड अपने नाम किया। शीला दिल्ली नहीं, 70 एम एम स्क्रीन और प्रोजेक्शन सिस्टम से लैस देश का पहला सिनेमाहॉल था। शुरुआती दस साल यानी 1961 से 1971 के दौरान यहां इक्का-दुक्का हिंदी फिल्म ही लगीं, वरना यहां हमेशा हॉलिवुड फिल्मों का ही बोलबाला रहा करता था।
एक समय में दिल्ली का गौरव रहे शीला सिनेमाघर पर भी ताला टंग गया है। फिल्म कारोबार से जुड़े लोग दिल्ली सरकार द्वारा 2 साल पहले मनोरंजन कर में की गई 100 फीसदी बढ़ोतरी के अलावा MCD द्वारा 100 फीसद हाउस टैक्स दरों में बढ़ोतरी को भी इसके पीछे जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं, बिजली-पानी की दरों में रेकॉर्ड इजाफा भी एक वजह रही। पूर्वी दिल्ली में चल रहे गगन सिनेमा के बुकर जोगेंद्र महाजन कहते हैं कि पिछले करीब 10 सालों में दिल्ली के 60 से ज्यादा सिंगल स्क्रीन हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।
ताज्ज्जुब की बात है 1970 के दशक में दिल्ली की आबादी 70-80 लाख के करीब थी, उस वक्त यहां 72 के करीब सिंगल स्क्रीन थे। वहीं आज जब दिल्ली की आबादी पहले से दो गुणा हो चुकी है, तो दिल्ली में कुल 10 सिंगल स्क्रीन ही बचे हैं। दिल्ली सिने दर्शक परिषद के जनरल सेक्रटरी रमेश बजाज ने एक के बाद बंद हो रहे सिंगल स्क्रीन्स पर चिंता जताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सिंगल सिनेमाघरों के लिए स्पेशल पैकेज देने और मनोरंजन कर में तुरंत 100 फीसद छूट दिए जाने की अपील की है। उन्होंने केजरीवाल को पत्र लिखकर बचे हुए सिंगल स्क्रीन थिअटरों को बचाने की गुहार लगाई है।
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