Friday, March 3, 2017

दिमागी मरीजों का पर्मानेंट घर बनेगा 'सक्षम'

नई दिल्ली
मानसिक बीमारी से पीड़ित ऐसे मरीज जिन्हें ठीक होने के बाद भी परिवार और रिश्तेदार नहीं अपनाते हैं, अब उनका आशियाना होगा 'सक्षम'। दिल्ली सरकार के हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को इहबास हॉस्पिटल में हाफ-वे होम 'सक्षम' की शुरुआत कर दी है।

सत्येंद्र जैन ने कहा कि हम एक मॉडल क्रिएट करने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिसे इहबास के डायरेक्टर डॉक्टर निमेश देसाई और उनकी टीम पूरा करने में लगी हुई है। अब ऐसे लोग, जो ठीक होने के बाद भी अपने घर जाने की स्थिति में नहीं हैं, उनके लिए यह 'सक्षम' ही उनका घर होगा।

मिनिस्टर ने कहा कि हमारे मोहल्ला क्लीनिक को जिस प्रकार विदेशों में सराहना मिल रही है, अब वह दिन दूर नहीं जब बाकी देश भी हमारे मॉडल को अपनाएंगे। हम अमेरिका को फॉलो नहीं करेंगे अब अमेरिका हमें फॉलो करेगा। उन्होंने मेंटल हेल्थ के लिए गेम्स को अपनाने के लिए जोर दिया और कहा कि इहबास में भी इस तरह के गेम्स शुरू किए जाएंगे।

डॉक्टर निमेश के अनुसार अभी होम में कुल 50 मरीजों के रहने की क्षमता है। इसमें दो ब्लॉक हैं, एक ब्लॉक में महिला मरीज और दूसरे में पुरुषों को रखा जा रहा है। फिलहाल होम में कुल 42 मरीजों को रखा गया है। उन्होंने कहा कि हाफ-वे होम का मतलब होता है कि मरीज उस लेवल तक ठीक हो गया है कि उसे घर भेजा जा सकता है। लेकिन बीच-बीच में उसे हॉस्पिटल आना पड़ेगा। डॉक्टर ने बताया कि लंबे समय से बीमार रहने पर मरीज को हिस्ट्री लॉस हो जाता है और उसे फिर से स्किल डिवेलपमेंट कराना होता है। ऐसे मरीजों के लिए यह हाफ-वे होम बनाया गया है।

इहबास के मनोरोग सोशल वर्कर हिमांशु कुमार सिंह का कहना है कि इहबास का 'सक्षम' अभी हाफ-वे होम और लॉन्ग स्टे होम, दोनों लेवल पर काम कर रहा है। लॉन्ग स्टे होम में ऐसे मरीजों को रखा जाता है, जो ठीक तो हो जाते हैं लेकिन उन्हें उनका परिवार स्वीकार नहीं करता। कुछ जानबूझ कर नहीं करते तो कुछ की पारिवारिक स्थिति ऐसी होती है कि वे बुजुर्गों को छोड़ देते हैं। अभी होम में ऐसे लगभग 40 मरीज हैं, जिन्हें उनके परिवार ने छोड़ दिया है। इसमें से कुछ मरीज तो 20-20 साल से हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि इन मरीजों को बेहतर सुविधा मिले और वे अपनी जिंदगी ठीक से जी सकें। डॉक्टर ने कहा कि यह बहुत ही जिम्मेदारी का काम है, कई ऐसे मरीज हैं जो खुद से खाना खाने की भी स्थिति में नहीं होते हैं, उन्हें स्टाफ के लोग खाना खिलाते हैं।

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