Tuesday, February 28, 2017

इस साल मॉनसून में कम होगी बारिश!

नई दिल्ली
इस साल मॉनसून का असर नॉर्मल से कम होने के चांस हैं। मौसम वैज्ञानिकों ने मौजूदा मौसम के मॉडल्स से जानकारी के आधार पर बताया है कि इस साल अल नीनो के प्रभाव से मॉनसून में कम बारिश होने की आशंका है। इस साल अल नीनो के कारण मॉनसून पर इंपैक्ट पड़ेगा। साथ ही दिल्ली में बीते कुछ सालों की तुलना में इस साल सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई जा रही है।

मॉनसून का असर होगा कम
स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने बताया कि अभी के मौसम के मॉडल्स से मिली जानकारी के अनुसार इस साल अल नीनो के असर से अगस्त-सितंबर में नॉर्मल से कम बारिश होने की संभावना है। मॉनसून पर मार्च महीने के अंत में और अप्रैल में और भी स्टीक जानकारी मिलने की उम्मीद है। लेकिन अभी के मौसम के मॉडल्स के अनुसार मिली जुली संभावनओं का पता चला है, जिसमें जून-जुलाई के आस पास न्यूट्रल मॉनसून की उम्मीद है। यानी इन दोनों महीनों में नॉर्मल के पास मॉनसून के रहने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन अगस्त-सितंबर में मॉनसून की बारिश नॉर्मल से कम रहने के संकेत मिले हैं।

इंडियन ओशन डाइपोल से अल नीनो का असर हो सकता है कम
महेश पलावत ने बताया कि इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) पॉजिटिव रहता है तो बारिश सामान्य के आसपास हो सकती है। यह अल नीनो के असर को कम करके मॉनसून को सक्रिय कर देता है। IOD में अरब सागर और हिंद महासागर की समुद्री सतह के बारे में जानकारी मिलती है। जब अरब सागर और हिंद महासागर की समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाता है। इसके बाद बादल बनते हैं और बारिश होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह मॉनसून को भी सक्रिय करते हैं। IOD से ही दक्षिण भारत की ओर मॉनसून बढ़ता है। अल नीनो से मॉनसून कमजोर हो जाता है लेकिन IOD इसके असर को कम कर देता है।

अल नीनो इंपैक्ट
प्रशांत महासगर में पूर्वी प्रशांत महासगर की समुद्री सतह का तापमान जब बढ़ जाता है तब इससे हवाएं दक्षिण प्रशांत महासागर की ओर बढ़ती हैं। उधर दक्षिण प्रशांत महासागर ठंडा होता है इसलिए बारिश कम होती है और अल नीनो का असर पड़ता है। दक्षिण प्रशांत महासागर मलेशिया की तरफ आता है। यहां ठंडक होने से मॉनसून कमजोर हो जाता है। मौसम की पूरी प्रक्रिया से अल नीनो का इंपैक्ट पड़ता है।

मॉनसून पीरियड में कम बारिश
पलावत ने बताया कि मौजूदा मौसम के मॉडल्स से जानकारी मिली है कि इस साल दिल्ली में कम बारिश होने की संभावना है। मार्च में दो साल पहले 2015 में काफी अच्छी बारिश हुई थी। तब दिल्ली में 100 मिमी बारिश हुई थी लेकिन इस साल मार्च में बारिश होने के चांस कम हैं।

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