नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा में सेक्रटरी विवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामले को अदालत में लाने के बजाय उसे दोनों सरकारों को आपस में सुलझाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को विशेष परिस्थितियों में ही कोर्ट आना चाहिए। ऐसे मामले को इस तरह से कोर्ट में नहीं घसीटा जाना चाहिए।
कोर्ट ने सलाह दी कि एक अफसर के लिए दो सरकारों को इस तरह से लड़ाई नहीं करनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा क्यों नहीं है कि दोनों पार्टियां बिना कोर्ट आए मामले को आपस में सुलझा लें? गौरतलब है कि तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने दिल्ली विधानसभा के सचिव प्रसन्ना कुमार सुर्यदेवरा को वापस ऑल इंडिया रेडियो भेजा था। इस फैसले को दिल्ली विधानसभा के स्पीकर ने कोर्ट में चुनौती दी है। स्पीकर ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने इस मामले में केंद्र को नोटिस जारी किया है और साथ ही दिल्ली सरकार और अफसर को इस मामले में शुक्रवार को पार्टी बनाया गया है। 17 जनवरी को अगली सुनवाई के दौरान पक्षकारों से जवाब मांगा गया है । मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत के उस सुझाव को स्वीकार कर लिया कि अगली सुनवाई तक उस अधिकारी को एआईआर नहीं भेजा जाएगा।
दिल्ली विधानसभा के स्पीकर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह संवैधानिक पद पर हैं और एलजी उनकी सहमति के बिना सेक्रटरी को वापस नहीं भेज सकते। अधिकारी को जुलाई 2015 में एक साल के लिए सेक्रटरी बनाया गया था और समय खत्म होने के बाद एआईआर ने उन्हें वापस बुलाया था। स्पीकर ने रिलीव करने से इनकार करते हुए उनका कार्यकाल दो साल के लिए और बढ़ाने की मांग की थी। एआईआर ने इसकी अनुमति नहीं दी, जिसके बाद एलजी ने आदेश पारित किया था। एलजी के आदेश के बावजूद स्पीकर ने रिलीव करने से इनकार कर दिया था।
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