नई दिल्ली
साउथ एमसीडी ने नई योजना के तहत ग्रीन वेस्ट का निपटारा शुरू कर दिया है। इसके लिए 21 ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर्स स्थापित किए गए हैं। इन सेंटर्स पर हर महीने 50 टन ग्रीन वेस्ट का निपटारा किया जाएगा। अब ग्रीन वेस्ट को ओखला लैंडफिल साइट और वेस्ट-टु-एनर्जी प्लांट तक ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे होने वाले खर्च में बचत होगी।
साउथ एमसीडी कमिश्नर डॉ पुनीत कुमार गोयल ने कहा कि ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट के तहत एमसीडी एक नई दिशा में काम कर रही है। एमसीडी के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने इसके लिए ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर्स स्थापित किए हैं। साउथ एमसीडी की स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन शैलेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक सेंट्रल जोन में 4, वेस्ट जोन में 7, साउथ जोन में 7 और नजफगढ़ जोन में 3 ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट्स स्थापित कर दिए गए हैं। ये प्लांट पार्कों में लगाए गए हैं। फूल, टहनियां, घास और बगीचे की छंटाई के बाद निकले तमाम ग्रीन वेस्ट को एक ही जगह पर प्लांट में डाला जा रहा है। इससे एमसीडी को काफी फायदा हो रहा है। ग्रीन वेस्ट प्लांट में ही लोग अपने ग्रीन वेस्ट को डालें, इसके लिए लोगों में जागरूकता भी फैलाई जाएगी। इसके लिए कई जगहों पर बोर्ड भी लगाए जाएंगे। यह प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो जाएगी।
शैलेंद्र सिंह ने कहा कि 21 ग्रीन वेस्ट प्लांट के जरिए हर महीने करीब 50 टन ग्रीन वेस्ट का मैनेजमेंट हो सकेगा। पहले हर महीने ग्रीन वेस्ट को ओखला लैंडफिल साइट ले जाने में काफी ज्यादा खर्च होता था। वह कम हो जाएगा। चार से ज्यादा ट्रक, डीजल और तमाम तरह के दूसरे खर्चों को मिलाकर करीब 2 करोड़ रुपये साल में खर्च होते थे।
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