नई दिल्ली
केंद्र सरकार योजना बना रही है कि अगले साल मई तक दिल्ली में रियल एस्टेट कानून पूरी तरह से लागू हो जाए। इसी वजह से शहरी विकास मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से कहा है कि दिल्ली में रेगुलेटर की नियुक्ति के लिए नेटवर्क को तैयार करने का काम दिल्ली के उपराज्यपाल को दे दिया जाए ताकि मई से पहले रेगुलेटर संबंधी सारी प्रक्रिया पूरी की जा सके। मंत्रालय ने इस मामले में अब हाउसिंग मिनिस्टरी से राय मांगी है।
शहरी विकास मंत्रालय के सू्त्रों का कहना है कि चूंकि दिल्ली में रियल एस्टेट कानून लागू करने की जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय के पास है इसलिए उसकी चिंता यह है कि तय अवधि यानी अगले साल मई तक दिल्ली में यह कानून पूरी तरह से लागू हो जाए। इसके लिए जरूरी है कि मई से पहले न सिर्फ रेगुलेटर और रेगुलेटरी अथॉरिटी के सदस्यों का चयन कर लिया जाए बल्कि उनके लिए ऑफिस, उनकी वेबसाइट और कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी पूरी की जा सके। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो उस स्थिति में यह कानून पूरी तरह से अमल में नहीं आ पाएगा।
मंत्रालय के एक सीनियर अफसर का कहना है कि राज्यों में यह अधिकार राज्य सरकारों के पास है दिल्ली चूंकि केंद्रशासित क्षेत्र है इसलिए दिल्ली के लिए यह अधिकार शहरी विकास मंत्रालय के पास ही है। शहरी विकास मंत्रालय ने हालांकि शुरुआत में डीडीए के उपाध्यक्ष को अस्थायी तौर पर रेगुलेटर की भूमिका में रखा है लेकिन अगर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है तो इसके लिए उपराज्यपाल जैसे शीर्ष प्रशासनिक प्रमुख को जिम्मेदारी दी जाए ताकि वह इसके लिए तेजी से काम करा सके। इसी वजह से शहरी विकास मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था।
अब पता चला है कि गृह मंत्रालय ने शहरी विकास मंत्रालय के इस अनुरोध पर अब हाउसिंग मिनिस्टरी से उसकी राय मांगी है। इसकी वजह यह है कि इस कानून को हाउसिंग मिनिस्टरी ने ही तैयार किया था। उम्मीद की जा रही है कि अगले एक दो दिन में हाउसिंग मिनिस्टरी भी अपनी राय गृह मंत्रालय को भेज देगी। उसके बाद गृह मंत्रालय इस मामले में आखिरी फैसला कर सकेगा। रियल एस्टेट कानून लागू होने के बाद न सिर्फ बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी बल्कि प्रापर्टी डीलरों के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा।
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