Tuesday, December 20, 2016

बदहाल है दिल्ली का पहला रेडियो मार्केट

नई दिल्ली
विभाजन के दौरान पाकिस्तान में अपना सब कुछ गंवाकर दिल्ली आने वाले विस्थापितों को स्थायी रूप से बसाने के लिए लालकिले के सामने खाली पड़ी जमीन पर 1955 में पूरी प्लानिंग के साथ पहली मार्केट बसाई गई। लेकिन आज यह बदहाली का शिकार है।

आजादी के बाद करीब 900 विस्थापित परिवारों को यहां शॉप अलॉट की गई।प्लानिंग के साथ बसी लाजपत राय मार्केट में जरूरत के सभी सामान मिलते थे। आने वाले सालों में जब चांदनी चौक में अलग-अलग आइटम्स की मार्केट बनने लगी तो इस मार्केट के शॉपकीपर्स ने यहां रेडियो और इलेक्ट्रिकल्स आइटम्स की बिक्री शुरू की। साठ के दशक में इस मार्केट की 90 फीसदी दुकानों पर रेडियो, टीवी, टेप रेकॉर्डर , कैसेट्स, बिजली के प्रॉडक्ट्स की बिक्री शुरू हुई।

इसी दौरान लालकिले के दूसरे छोर पर जैन मंदिर के सामने भी इसी तरह की दूसरी मार्केट बनी। इस मार्केट की अलग पहचान बनाने के मकसद से इसका नाम ओल्ड लाजपत राय मार्केट रखा गया। दुकानदारों ने संबधित विभागों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए सेंट्रल रेडियो एंड इलेक्ट्रिकल्स मार्केट असोसिएशन (क्रेमा) बनाई।

शायद ऐसा पहली बार हुआ, जब किसी मार्केट के बनने के 50 साल बाद तक मार्केट के रखरखाव की जिम्मेदारी किसी सरकारी एजेंसी को नहीं दी गई। शॉपकीपर्स असोसिएशन के प्रवक्ता रमेश बजाज कहते हैं कि सरकारी विभागों की आपसी खींचतान के चलते हमारी मार्केट के रखरखाव की जिम्मेदारी किसी को नहीं दी गई। इसका खमियाजा मार्केट के शॉपकीपर आज तक भुगत रहे हैं।

बजाज के मुताबिक, बीते पचास सालों में मार्केट की स्थिति बद से बदतर होती रही। मार्केट की सफाई से लेकर दूसरे जरूरी कामों को शॉपकीपर ने खुद ही किया। मार्केट के अंदर बने सभी फुटपाथ पूरी तरह से टूट गए। पानी की निकासी के लिए बनी नालियां पूरी तरह से बंद हो गईं। दुकानों के बाहर लटके बिजली के तार से कभी भी हादसे हो सकते हैं। यहां आने वाले कस्टमर्स और शॉपकीपर्स के लिए बने पब्लिक टॉयलेट की सफाई नहीं होती है। इसकी वजह से यह इस्तेमाल करने लायक नहीं रह गया है। इससे हमेशा बदबू आती रहती है।

क्रेमा के प्रेजिडेंट सुंदर मल्होत्रा के मुताबिक, दस साल पहले सरकार ने जब नगर निगम को हमारी मार्केट के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी तो हमें लगा अब मार्केट के दिन बदलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मार्केट की दुकानों के बाहर बने सीमेंट के बरामदों का बुरा हाल है। रखरखाव नहीं होने से आए दिन इन बरामदों का बुरा हाल है। आए दिन इनसे ईंट-पत्थर गिरते हैं, जिससे शॉपकीपर्स और कस्टमर्स घायल हो जाते हैं। मार्केट में महिलाओं के बना टॉयलेट बंद हो चुका है।

दूसरे टॉयलेट की सफाई हफ्तों नहीं होती है। सफाई कर्मचारी नजर तक नहीं आते हैं। यही वजह है कि कुछ साल पहले तक चांदनी चौक आने वाले पयर्टक हमारी मार्केट में शॉपिंग के लिए आया करते थे, लेकिन मार्केट में फैली गंदगी और इसकी बदहाली के चलते पर्यटकों के साथ-साथ लोकल कस्टमर्स यहां आने से कतराते हैं।

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